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रखरखाव खर्च पर पहला अधिकार आइएमटी मानेसर का हो

आइएमटी मानेसर स्थित आइएमटी इंडस्ट्रियल एसोसिएशन ने प्रदेश की मुख्य सचिव से रखरखाव खर्च का इस्तेमाल मानेसर में ही करने के लिए पत्र लिखा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 14 Oct 2019 04:10 PM (IST)Updated: Mon, 14 Oct 2019 04:10 PM (IST)
रखरखाव खर्च पर पहला अधिकार आइएमटी मानेसर का हो
रखरखाव खर्च पर पहला अधिकार आइएमटी मानेसर का हो

जागरण संवाददाता, मानेसर : आइएमटी मानेसर स्थित आइएमटी इंडस्ट्रियल एसोसिएशन ने प्रदेश की मुख्य सचिव से रखरखाव खर्च का इस्तेमाल मानेसर में ही करने के लिए पत्र लिखा है। उद्यमियों का कहना है कि औद्योगिक क्षेत्र मानेसर में अपनी कंपनी चलाने वाले लोगों द्वारा रखरखाव खर्च दिया जाता है। इस पैसे पर पहला अधिकार आइएमटी मानेसर का होना चाहिए।

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हरियाणा स्टेट इंडस्ट्रियल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कारपोरेशन (एचएसआइआइडीसी) द्वारा कंपनी संचालकों और प्लॉट मालिकों से रखरखाव खर्च लिया जाता है। इस पैसे से क्षेत्र में विकास कार्य कराए जाते हैं लेकिन इसके लिए एचएसआइआइडीसी के अधिकारियों को चंडीगढ़ मुख्यालय से मंजूरी लेनी पड़ती है। उद्यमियों ने मांग की है कि इस पैसे को स्थानीय कार्यालय के अधीन रखा जाना चाहिए और संबंधित क्षेत्र में ही इस पैसे से विकास कार्य कराए जाने चाहिए। अभी उद्यमियों द्वारा करोड़ों रुपये रखरखाव खर्च के नाम पर लिए जा रहे हैं। इसके बदले उद्यमियों को मूलभूत सुविधाएं भी मुहैया नहीं कराई जा रही हैं।

स्थानीय अधिकारी केवल 5 लाख रुपये ही खर्च कर सकते हैं। इससे ज्यादा का कार्य कराने के लिए अधिकारियों को मुख्यालय से मंजूरी लेनी पड़ती है। इस प्रक्रिया में काफी समय लगता है।

एसोसिएशन के माध्यम से भेजे गए पत्र में कहा कि एक कमेटी बनाकर मंजूरी देने की ताकत दी जानी चाहिए। इस कमेटी में एसोसिएशन के साथ ही अधिकारियों की नियुक्ति की जाए और ज्यादा बड़े कार्य के लिए मंजूरी की ताकत मुख्यालय के पास ही रखनी चाहिए। आजकल सब कार्य ऑनलाइन टेंडर प्रक्रिया से किए जाते हैं। ऐसे में इसका दुरुपयोग भी नहीं किया जा सकता है। कई बार खस्ता सड़क की मरम्मत के कार्य में 5 लाख रुपये से अधिक खर्च हो जाता है। ऐसे में अगर स्थानीय कार्यालय से ही मंजूरी मिलती है तो उसी समय इसका निर्माण कराया जा सकता है। उद्यमियों द्वारा दिया जाने वाला पैसा पहले मुख्यालय जाता है उसके बाद ही किसी भी कार्य के लिए यहां भेजा जाता है। इस प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए यहां से ही मंजूरी देने का कार्य किया जाना चाहिए। इसके लिए एक कमेटी बनाई जा सकती है जो इसे नियंत्रित करने का कार्य करेगी।

- पवन यादव, अध्यक्ष, आइएमटी इंडस्ट्रियल एसोसिएशन


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