वाहनों के पीछे लटककर सफर करने को मजबूर हैं लोग
: ग्रामीण क्षेत्र से हजारों लोग रोजाना शहर की तरफ जाते हैं लेकिन अक्सर इन्हें वाहनों के पीछे लटककर सफर करना पड़ता है। इससे हर वक्त हादसे का भय बना रहता है। यह नजारा ग्रामीण क्षेत्र की किसी भी सड़क पर आसानी से देखा जा सकता है। वाहन चालक जगह से ज्यादा सवारी बैठाने के बाद कुछ लोगों को गाड़ी के पीछे लटका लेते हैं। दिल्ली-जयपुर हाईवे, पटौदी गुरुग्राम रोड, फरुखनगर रोड और झज्जर रोड पर रोजाना ऐसे वाहन गुजरते हैं जिनमे लोगों को खड़ा कर ले जाया जाता है। आइएमटी मानेसर से भी ऐसे कई गाड़ियां जाती हैं जिनमे कर्मचा
जागरण संवाददाता, मानेसर: ग्रामीण क्षेत्र से हजारों लोग रोजाना शहर की तरफ जाते हैं लेकिन अक्सर इन्हें वाहनों के पीछे लटककर सफर करना पड़ता है। इससे हर वक्त हादसे का भय बना रहता है। यह नजारा ग्रामीण क्षेत्र की किसी भी सड़क पर आसानी से देखा जा सकता है। वाहन चालक जगह से ज्यादा सवारी बैठाने के बाद कुछ लोगों को गाड़ी के पीछे लटका लेते हैं। दिल्ली-जयपुर हाईवे, पटौदी गुरुग्राम रोड, फरुखनगर रोड और झज्जर रोड पर रोजाना ऐसे वाहन गुजरते हैं जिनमें लोगों को खड़ा लटक कर जाता देखा जा सकता है।
आइएमटी मानेसर से भी ऐसी कई गाड़ियां जाती हैं जिनमें कर्मचारियों को बाहर लटककर सफर करना पड़ता है। इन गाड़ियों में बाहर की तरफ खड़ा होने के लिए लोहे का गार्डर वेल्ड कराया होता है और पकड़ने के लिए केवल एक पतला सा पाइप वेल्ड करा दिया जाता है। इसी पाइप के सहारे 5 से 7 लोग लटककर जाते हैं। सर्दी के मौसम में भी यह सिलसिला ऐसे ही रहता है। लोगों को अपने स्तर पर ही इसका इंतजाम करना पड़ता है।
सवारी ले जाने वाले वाहन चालक भी इस बात का ध्यान नहीं देते हैं न ही अधिकारियों की नजर इस पर पड़ती है। गांव झुंड सराय के बस स्टैंड पर खड़े छात्र सुमित यादव ने बताया कि रोजाना इस प्रकार से गाड़ियों में लटककर गुरुग्राम जाना पड़ता है। निजी बसों में भी काफी भीड़ रहती है और रोडवेज की बसें कम चलती हैं। श्रमिक वर्ग के लोगों को तो सवारी गाड़ी वाले भी बाहर लटका देते हैं। इस प्रकार से चलने वाली गाड़ियों पर कार्रवाई की जानी चाहिए।