भारी भरकम बिजली बिल आने से उद्योग जगत में हड़कंप
दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम (डीएचबीवीएन) द्वारा साइबर सिटी के उद्योग जगत को लाखों रुपये का बिजली बिल भेज जोरदार झटका दे दिया गया है। इस बिल को मिलने के बाद से उद्यमी काफी पेरशान हैं। इसे लेकर बड़ी संख्या में उद्यमी शहर के सेक्टर-14 स्थित आइडीसी क्षेत्र स्थित गुड़गांव इंडस्ट्रियल एसोसिएशन (जीआइए) हाउस में एकत्र हुए। इस दौरान सभी ने एसोसिएशन पदाधिकारियों के साथ इस मुद्दे पर बैठक की। चर्चा के बाद निर्णय लिया गया है कि अगर यह बिल वापस नहीं लिया गया तो वह आंदोलन करने के साथ-साथ कोर्ट का भी दरवाजा खटखटा सकते हैं।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम : दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम (डीएचबीवीएन) द्वारा साइबर सिटी के उद्योगों को लाखों रुपये का बिजली बिल भेज जोरदार झटका दे दिया गया है। इस बिल को मिलने के बाद से उद्यमी काफी परेशान हैं। इसे लेकर बड़ी संख्या में उद्यमी शहर के सेक्टर-14 स्थित आइडीसी क्षेत्र स्थित गुड़गांव इंडस्ट्रियल एसोसिएशन (जीआइए) हाउस में एकत्र हुए। इस दौरान सभी ने एसोसिएशन पदाधिकारियों के साथ इस मुद्दे पर बैठक की। चर्चा के बाद निर्णय लिया गया है कि अगर यह बिल वापस नहीं लिया गया तो वह आंदोलन करने के साथ-साथ कोर्ट का भी दरवाजा खटखटा सकते हैं।
गुरुग्राम के सैकड़ों उद्यमियों के पास डीएचबीवीएन का यह भारी भरकम बिजली का बिल पहुंचा तो उनके पांव तले जमीन खिसक गई। कई उद्यमियों के पास आठ से 20 लाख रुपये तक का बिल बिजली निगम द्वारा भेजा गया है। इसे देखकर उद्यमियों का कहना है कि प्रदेश सरकार इज ऑफ डूइंग बिजनेस की बात करती है वहीं उसके विभागों द्वारा उद्योगों की राह में बड़े-बड़े रोड़े अटकाने का काम किया जा रहा है। जीआइए के अध्यक्ष जेएन मंगला ने बताया कि लाखों रुपये का बिजली बिल मिलने के बाद गुरुग्राम के हर औद्योगिक हब के उद्यमी परेशान हैं। उन्होंने बताया कि उद्यमी 31 मार्च, 2017 से पहले केडब्ल्यूएच के अंतर्गत होने वाली बि¨लग के आधार पर बिजली का बिल चुकाते थे। 31 मार्च, 2017 से बिजली निगम द्वारा बि¨लग प्रक्रिया केवीएएच के आधार पर वसूलना शुरू किया गया। सब कुछ ठीक चल रहा था।
मंगला ने बताया कि अब बिजली निगम ने उद्यमियों को नोटिस भेजा है कि उन्हें केवीएएच के अनुसार बिजली का यह बिल एक अप्रैल, 2015 से 31 मार्च, 2017 की अवधि का भी चुकाना होगा। इसे लेकर लाखों रुपये का बिजली बिल भेज दिया गया है। उनका कहना है कि एडब्ल्यूएच की अपेक्षा केवीएएच के अंतर्गत बि¨लग की व्यवस्था से यूनिट में वृद्धि हो जाती है जबकि रेट स्लैब में किसी प्रकार का बदलाव नहीं होता है। उद्यमियों का कहना है कि अगर डीएचबीवीएन द्वारा पहले उद्यमियों को बता दिया गया होता तो वर्ष अप्रैल 2015 से ही इस अनुसार बिल चुकाने लगते। अब एक साथ लाखों रुपये का बिल भेजना कहीं से भी उचित नहीं है। इसे अगर वापस नहीं लिया गया तो उद्यमियों के पास आंदोलन करने व कोर्ट की शरण में जाने के अलावा कोई और रास्ता नहीं है। वर्तमान बिल भी नहीं लिया जा रहा
जीआइए अध्यक्ष जेएन मंगला का कहना है कि डीएचबीवीएन द्वारा पुराना हिसाब चुकाए बिना वर्तमान बिल नहीं लिया जा रहा है। इससे काफी परेशानी खड़ी हो गई है। काफी बड़ी राशि को एक साथ चुकाना उद्यमियों के लिए संभव नहीं है। लाखों रुपये का बिल महज 50 किलोवॉट लोड वाले उद्योगों को भेजा गया है। अगर एचटी कनेक्शन वालों की बात की जाए तो यह बिल करोड़ भी हो सकता है।
------------- जब से डीएचबीवीएन का बिजली बिल उद्यमियों को मिला है तब से सभी काफी परेशान हैं। जीआइए हाउस में हुई बैठक में निर्णय लिया गया है कि अगर इस बिल को वापस नहीं लिया जाता तो आंदोलन करने के साथ-साथ कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया जाएगा।
दीपक मैनी, महासचिव जीआइए
--
दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम द्वारा उद्यमियों के साथ मनमानी की जा रही है। साथ इतना अधिक बिल भेजना और उसे एक साथ अदा करने का निर्देश काफी परेशान कर रहा है। मेरे पास 11 लाख, 48 हजार रुपये का बिल भेजा गया है।
मनोज सोनी, उद्यमी
--
डीएचबीवीएन द्वारा मेरे पास बिजली का 12 लाख, 68 हजार, 954 का बिल भेजा गया है। सरकार का यह कदम उद्योगों को हतोत्साहित करने वाला है।
प्रदीप कुमार, उद्यमी