कुत्ते के काटने पर एंटी रेबीज टीका लगवाना जरूरी: डॉ.काजल
कुत्ते या बंदर ने काटने रेबीज का संक्रमण फैलने से कुछ घंटे तक रोका जा सकता है। लेकिन यह स्थाई इलाज नहीं है।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम : कुत्ते या बंदर के काटने पर रेबीज का संक्रमण फैलने से कुछ घंटे तक रोका जा सकता है लेकिन यह स्थायी इलाज नहीं है। जिला नागरिक अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. काजल कुमुद कहना है कि एंटी रेबीज टीका लगवाना एकमात्र समाधान है। अगर शरीर में एक बार रेबीज संक्रमण फैल गया तो उस मरीज को बचाना मुश्किल है। इसलिए जिस जगह कुत्ते ने काटा हो, उसे साफ पानी से साफ करें और घाव को खुला रखने के साथ अपने पास से कोई भी तेल आदि दवा न लगाएं। स्वास्थ्य विभाग के आकड़ों के मुताबिक शहर में कुत्ते काटने पर टीके लगवाने वालों की लंबी लाइन है। ऐसे में प्राइवेट अस्पताल व मेडिकल स्टोर पर टीकाकरण कराने वालों की संख्या अलग है। जिले में रेबीज के संक्रमण से किसी की मौत नहीं हुई। वर्ष - मरीज
2014 - 5000
2015 - 18250
2016 - 11543
2017 - 6795
2018 - 3236
2019 - 6424 (सितंबर माह तक) ज्यादा घाव होने पर दोनों टीके लगवाएं
अगर मरीज को ज्यादा घाव है तो उसे पैसिव व एक्टिव दोनों टीके लगवाने चाहिए। अक्सर एंटी रेबीज का पैसिव टीका लगाया जाता है। अगर ज्यादा घाव है तो एक्टिव टीका भी लगवाना चाहिए। पैसिव टीका लगाने से मरीज के शरीर में अपने आप एंटी रेबीज पनपने लगेगा। ज्यादा घाव होने पर एक्टिव टीका लगवाना जरूरी है। इस टीके में एंटी रेबीज संक्रमण को पनपने नहीं देने की ज्यादा क्षमता होती है। सामान्य काटने पर पैसिव टीका बेहतर है। 72 घंटे में टीका जरूर लगवाएं:
किसी भी व्यक्ति को कुत्ते के काटने के बाद 72 घंटे में हर हाल में एंटी रेबीज टीका लग जाना चाहिए। क्योंकि एक एंटी रेबीज टीका तीन वर्ष तक काम करता है। अगर टीका लगवाने के तीन वर्ष तक कोई कुत्ता काट लेता है तो रेबीज संक्रमण का कोई असर नहीं होगा। सरकारी अस्पताल में सुविधा :
जिला नागरिक अस्पताल में कुत्ते या बंदर के काटने पर एंटी रेबीज टीका 100 रुपये मिलता है। निजी अस्पताल में 400 से 500 रुपये लिए जाते हैं।
अगर कुत्ते में एंटी रेबीज एक्टिव (पागल होना भी बोला जाता है) है और वह किसी को काटने के बाद 10 दिन में मर जाता है तो पीड़ित व्यक्ति को रेबीज संक्रमित होने के चांस 95 फीसद होते हैं। टीका जरूर लगवाएं।
डॉ. काजल कुमुद, वरिष्ठ फिजिशियन