जुकाम होना स्वाइन फ्लू नहीं: डॉ. काजल
डेंगू के बाद सर्दी के मौसम में स्वाइन फ्लू का डर लोगों को सताने लगता है। मौसम में बदलाव में जुकाम से ग्रस्त हो रहे हैं जिससे मरीजों को स्वाइन फ्लू का डर सताने लगा। डॉक्टरों की माने तो अब मरीज परेशान कर रहे हैं जिन्हें जुकाम है उन्हें अब डर होने लगा है कि स्वाइन फ्लू है। जबकि जुकाम होना स्वाइन फ्लू नहीं है। जिला नागरिक अस्पताल में फिजिशियन डॉक्टर काजल कुमुद का कहना है कि ओपीडी में अब ऐसे मरीज पहुंच रहे हैं जो जुकाम होने पर अपने का स्वाइन फ्लू का मरीज समझते हैं। डॉ. ने कहा कि जुकाम व स्वाइन फ्लू के लक्षण लगभग एक जैसे है लेकिन कुछ ऐसे लक्षण भी है जो दोनों की पहचान कराता है। इसी लिए लोगों को जुकाम होने पर डरना नहीं चाहिए। किसी भी स्थिति में 5-6 दिन आप पहचान नहीं कर सकते। इस लिए डॉक्टर को दिखना ही एक मात्र बेहतर तरीका है। डॉ. ने कहा कि जैसे जैसे सर्दी बढ़ेगी, तो लोगों में स्वाइन फ्लू का डर बढ़ेगा। लेकिन इसमें लोगों को समझ
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: डेंगू के बाद सर्दी के मौसम में स्वाइन फ्लू का डर लोगों को सताने लगता है। मौसम में बदलाव से लोग जुकाम से ग्रस्त हो रहे हैं जिससे स्वाइन फ्लू का डर सताने लगा। डॉक्टरों की मानें तो अब ऐसे मरीज आ रहे हैं जिन्हें जुकाम है। उन्हें डर सता रहा है कि यह स्वाइन फ्लू है, जबकि जुकाम होना स्वाइन फ्लू नहीं है।
जिला नागरिक अस्पताल में फिजिशियन डॉ. काजल कुमुद का कहना है कि ओपीडी में अब ऐसे मरीज पहुंच रहे हैं जो जुकाम होने पर खुद को स्वाइन फ्लू का मरीज समझते हैं। जुकाम व स्वाइन फ्लू के लक्षण लगभग एक जैसे है लेकिन कुछ ऐसे लक्षण भी हैं जो दोनों की पहचान कराते हैं। इसी लिए लोगों को जुकाम होने पर डरना नहीं चाहिए। किसी भी स्थिति में 5-6 दिन आप पहचान नहीं कर सकते। इस लिए डॉक्टर को दिखाना ही एकमात्र बेहतर तरीका है। डॉ. काजल कुमुद ने कहा कि जैसे जैसे सर्दी बढ़ेगी, तो लोगों में स्वाइन फ्लू का डर बढ़ेगा। लेकिन इसमें लोगों को समझना होगा कि सर्दी में जुकाम-खांसी होना कोई खतरनाक नहीं है। जुकाम की पहचान: सर्दी-जुकाम के समय पहले गले में खराश पैदा होती है और जलन होती है। नाक बंद हो जाती है या बहने लगती है। रोगी को बार-बार छींकना लगता है। हलका बुखार भी आ जाता है। सामान्य लोगों में आमतौर पर सात दिनों के बाद जुकाम दूर हो जाता है। लेकिन यह स्वाइन फ्लू नहीं है।
स्वाइन फ्लू के लक्षण:
. गला खराब होना
. जुकाम होना
. नार्मल कोल्ड होना
. आंखों में दर्द व पानी आना
. सिर दर्द करना
. खांसी होना
. मांसपेशियों में दर्द होना
. आंखें लाल होना
. जी मचलाना बचाव:
स्वाइन फ्लू वायरस से संक्रमण व्यक्ति का खांसना और छींकना और दरवाजा के हैंडल, टेलीफोन के रिसीवर या टायलेट के नल के स्पर्श करने से दूसरे व्यक्ति भी संक्रमित हो सकते है। मरीज को बार-बार अपने हाथों को साबुन से धोना जरूरी होता है जो वायरस का खात्मा कर देते हैं और मरीज हमेशा मॉस्क पहन कर रखें, ताकि दूसरों में वायरस न फैले।
डॉक्टर से लें दवा:
कोई भी मरीज खुद मेडिकल स्टोर से दवा लेकर न खाए। जुकाम व खांसी होने के बाद डॉक्टर को जरूर दिखाए। डॉक्टर अपनी जांच कर दवा देगा। अगर आपको स्वाइन फ्लू नहीं है और आपने टेमी-फ्लू टेबलेट अपनी मर्जी से ले लिया और जब स्वाइन फ्लू से ग्रस्त होते हैं तो उस समय टेमी-फ्ले टेबलेट दवा काम नहीं करेगी।