स्वच्छता और पर्यावरण को सुरक्षित रखने में बढ़ा कदम
प्रशासन और सरकार को दोष देने ने और कोसने से बेहतर है कि कुछ कदम खुद उठाया जाए। कुछ दबाव डाला जाए। अगर लोग मिलकर काम करेंगे तो शहर की आबो हवा जरूर बदलेगी।
पूनम, गुरुग्राम
प्रशासन और सरकार को दोष देने और कोसने से अच्छा है कि कुछ कदम खुद उठाया जाए। अगर लोग मिलकर काम करेंगे तो शहर की आबो हवा जरूर बदलेगी। यह विश्वास है दंपती अजय नायर और रेणु नायर का। गुरुग्राम को बदलने की कोशिश करने वाला यह दंपती रोजाना सेक्टर 54, 55, 56 और नए गुरुग्राम के अन्य हिस्सों में जाकर लोगों को कचरा जलाने से मना करता है। खासतौर पर सब्जी मंडियों, मार्केट इलाके, पार्कों और मलिन बस्तियों में जाकर लोगों को आस-पास सफाई रखने और कूडे़ को जलाकर खत्म करने से मना करते हैं। विभिन्न इलाकों में जाकर वे कूड़े को जलाने से रोकने के लिए पोस्टर बांटते हैं।
यह पोस्टर नागरिक संगठन सिटिजन फॉर क्लीन एयर के पर्यावरण एक्टिविस्ट ने तैयार किया है। इसमें यह बताया गया है कि कूड़ा जलाकर खत्म करने से किस तरह प्रदूषण बढ़ सकता है। गुरुग्राम की हवा बहुत प्रदूषित है और इसको लेकर सभी चितित हैं। अजय नायर और रेणु नायर लोगों को वेस्ट सेग्रिगेशन का प्रशिक्षण भी देते हैं। जीरो वेस्ट लाइफ स्टाइल की प्रेरणा देते हैं। पिछले कई सालों से शहर में स्वच्छता अभियान भी चलाते रहे हैं।
हालांकि अजय और रेणु शहर के हालात को लेकर दुखी भी हैं। वे कहते हैं कि गुरुग्राम के पास के ग्रामीण इलाकों में और मलिन बस्तियों के आस-पास जमा कूड़ा जिसमें काफी मात्रा में पॉलीथिन होता है, उसे लोग गोबर के कंडे डालकर जला देते हैं, ताकि आग जल्दी पकड़ ले। यहीं हाल सब्जी मंडियों के कचरे का होता है। उन्होंने कई बार ऐसा करने से लोगों को रोका है, कुछ बार तो ज्यादा मात्रा में कूड़ा जलाने पर फायर बिग्रेड को बुलाकर बुझाना पड़ा है। प्रशासन दंड देने के मामले में सख्त नहीं है तो न सही लोगों को जागरूक तो कर ही सकता है। थ्री बी का फंडा अपनाने को कर रहे हैं प्रेरित
अजय और रेणु लोगों से जीरो वेस्ट लाइफस्टाइल अपनाने की अपील करते हैं। एक पर्चा और पोस्टर उनके पास होता है, जिसमें थ्री बी का फंडा समझाया गया है। थ्री बी का फंडा का मतलब अगर आप घर से निकल रहे हैं तो अपने साथ थ्री बी बैग, बोतल और बॉक्स लेकर चलें। बॉक्स यानी कोई डिब्बा लेकर चलें ताकि अगर को खाने-पीने की चीज खरीदते हैं तो उसे पॉलीथिन या एक बार प्रयोग कर कूड़ा बनाने वाली किसी और पैकिग में लेकर आने की जरूरत नहीं पड़े। कहीं भी बाहर जाए तो ये तीन चीजें लेकर चलें। थ्री बी को अपनाने से पर्यावरण संरक्षण में काफी मदद मिलेगी। वर्ष 2015 में इनकी सोसायटी को प्रधानमंत्री स्वच्छता पुरस्कार मिला
रेणु नायर सेक्टर 54 स्थित वास्तु सोसायटी की आरडब्ल्यूए अध्यक्ष हैं। अजय नायर भी आरडब्ल्यूए की टीम में रहे हैं। वास्तु सोसायटी गुरुग्राम की ऐसी पहली सोसायटी थी जिसे कचरा प्रबंधन और स्वच्छता के लिए देश स्तर का स्वच्छता पुरस्कार मिला था। वास्तु सोसायटी एक छोटी सी सोसायटी है जिसमें 50 घर हैं। यहां लोगों ने वेस्ट सेग्रिगेशन किया। बागवानी और किचन के कचरे से खाद बनाई। रीसाइकिल, रीयूज और रीड्यूस का तरीका अपनाया। ई वेस्ट सरकार द्वारा प्राधिकृत वेंडर को दिया।
सोसायटी के लोगों ने सोसायटी में और आसपास पौधारोपण कर इलाके को हरा-भरा बनाया। सोसायटी को प्रधानमंत्री स्वच्छता पुरस्कार और जिला स्तर पर आयोजित समारोह में भी सम्मानित किया गया था7 इस सोसायटी से प्रेरणा लेकर कई अन्य सोसायटियों में भी कचरा प्रबंधन शुय किया गया। इसका श्रेय अजय नायर और रेणु नायर को जाता है।