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बागवानी अपनाकर कई किसान हुए समृद्ध

परंपरागत खेती छोड़ कर बागवानी अपनाकर कई किसान आर्थिक रूप से सक्षम हो गए। बागवानी से किसानों की आय में कई गुना इजाफा हो गया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 06 Jul 2020 06:35 PM (IST)Updated: Mon, 06 Jul 2020 06:35 PM (IST)
बागवानी अपनाकर कई किसान हुए समृद्ध
बागवानी अपनाकर कई किसान हुए समृद्ध

महावीर यादव, बादशाहपुर

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परंपरागत खेती छोड़ कर बागवानी अपनाकर कई किसान समृद्ध हो गए हैं। बागवानी से किसानों की आय में कई गुना इजाफा हो गया। अब वे बागवानी में आगे भी कदम बढ़ाने की योजना बना रहे हैं। इसके साथ ही दूसरे किसानों को भी इसके लिए प्रेरित कर रहे हैं। जिले में इस समय करीब 300 हेक्टेयर भूमि में बागवानी की जा रही है, जिसमें अमरूद, बेर, किन्नू, अनार आदि पर किसानों का ध्यान ज्यादा है। बागवानी में किसानों को दोहरा लाभ मिल रहा है। बागवानी में दो पेड़ों के बीच करीब 20 फिट का फासला रहता है, जिसमें किसान कई तरह की सब्जी आदि उगा कर भी अपनी आय बढ़ा रहे हैं।

परंपरागत खेती गेहूं, सरसों, बाजरा आदि छोड़कर बागवानी शुरू की। करीब 18 एकड़ जमीन में किन्नू का बाग लगाया। इसके साथ ही 2 एकड़ में आम और चीकू भी लगाए हैं। किन्नू की इस बार दूसरी फसल आने को तैयार है। पहले खेती में 10 से 15 हजार रुपए बचते थे। अब बागवानी शुरू की तो पिछले साल किन्नू आदि बेचकर करीब 10 लाख की कमाई की। इसके साथ ही बाग के बीच में टमाटर, खीरा, तरबूज और कपास आदि लगा दिए। उससे भी अतिरिक्त आय हो गई। इस बार किन्नू की पैदावार पिछले साल के मुकाबले ज्यादा होने की उम्मीद है।

सतीश कुमार, मांकड़ोला बागवानी अपनाने से काफी फायदा हुआ है। दो एकड़ में किन्नू का बाग लगाया है। हालांकि इससे कई पौधे नष्ट हो गए। उसके बाद भी काफी लाभ मिल रहा है। बागवानी के साथ-साथ सब्जी उगाने का भी काम किया जा रहा है। पिछले साल नेट हाउस लगाकर आधे एकड़ में खीरा लगाया। उसमें ही करीब ढाई लाख रुपए की बचत आ गई। जितनी उस आधे एकड़ में बचत हो गई, उतनी परंपरागत खेती करने से 5 एकड़ में भी नहीं हो पाती है। इस बार नींबू, मौसमी और कटहल के पेड़ लगाने की योजना बना रहे हैं। बाग लगाने से काफी आमदनी बढ़ गई है।

जयबीर, सुल्तानपुर पहले परंपरागत खेती करते थे, तो केवल लागत ही निकल पाती थी। मेहनत ज्यादा और आमदनी कम होती थी। अब बागवानी की तरफ ध्यान दिया तो पिछले साल दो एकड़ का किन्नू आठ-नौ लाख रुपए में बिक गया। इस बार भी किन्नू में अच्छी पैदावार हो रही है। भाव भी बाजार में अच्छा मिल रहा है। बागवानी करने से आमदनी काफी अच्छी हो गई। अब किन्नू के साथ-साथ पपीता और माल्टा लगाने की योजना है। किसानों को परंपरागत खेती छोड़ कर बेहतर आय वाली योजना बनानी चाहिए। सरकार भी इसके लिए खूब प्रोत्साहित कर रही है।

विजयपाल, मऊ बागवानी अपनाने से लोगों को काफी फायदा हो रहा है। किसानों को बागवानी के लिए विभाग की तरफ से समय-समय पर प्रेरित भी किया जाता है। इसमें किसान को सबसे ज्यादा जागरूक होने की जरूरत है। कई किसानों की बागवानी के बाद पेड़ सूखने की शिकायत आती है। किसान पहले से ही मन बना लेता है कि वह अमरूद का बाग लगाएगा जबकि उसको पहले अपनी जमीन और पानी का परीक्षण कराना चाहिए। विभाग यह निशुल्क करता है। उसके बाद जिस पेड़ के अनुकूल जमीन और पानी हो, वही पेड़ लगाना चाहिए। इससे किसान को काफी फायदा होगा।

डॉ. सुधीर यादव, उपनिदेशक, बागवानी विभाग


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