अच्छी पहल : अपनी जेब से सड़कों के गड्ढ़े भरने का उठाया बीड़ा
यदि मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो फिर यह मायने नहीं रखता कि जिम्मेदारी किसकी है। व्यक्ति समर्पण भाव से किसी की जिम्मेदारी को अपनी समझकर प्रयास शुरू कर देता है। ऐसा ही कुछ प्रयास पिछले एक साल से रेस्टोरेंट संचालक शौर्य सचदेवा अपने सहयोगियों के साथ मिलकर कर रहे हैं।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम : यदि मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो फिर यह मायने नहीं रखता कि जिम्मेदारी किसकी है। व्यक्ति समर्पण भाव से किसी की जिम्मेदारी को अपनी समझकर प्रयास शुरू कर देता है। ऐसा ही कुछ प्रयास पिछले एक साल से रेस्टोरेंट संचालक शौर्य सचदेवा अपने सहयोगियों के साथ मिलकर कर रहे हैं। उनके प्रयास से शहर की कई सड़कों से गड्ढे गायब हो चुके हैं। ऐसा नहीं है कि वे पूरा समय इसी तरह के कार्य में देते हैं। अपने काम से मौका मिलते ही केवल दो से ढाई घंटे का समय देते हैं। अपनी कार में निर्माण सामग्री रखते हैं और निकल जाते हैं गड्ढों को भरने के लिए।
सोहना रोड पर क्रेप-फे नाम से रेस्टोरेंट चलाने वाले 26 वर्षीय शौर्य सचेदवा साल भर पहले एक सड़क से गुजर रहे थे। उसी दौरान उन्होंने अपनी आंखों से एक दुर्घटना देखी। दुर्घटना सड़क में गड्ढे की वजह से हुई। इसके बाद उन्होंने संकल्प लिया कि वे अपनी कमाई में से कुछ हिस्सा सड़कों के गड्ढे भरने में लगाएंगे। फिर उन्होंने गड्ढों को भरना शुरू किया। एक गड्ढे को भरने में लगभग एक घंटे का समय लग जाता था। फिर उन्होंने जानकारी हासिल करनी शुरू की कि आखिर कौन सी ऐसी तकनीक है जिससे गड्ढे को भरने में कम से कम समय लगे। पता चला कि लंदन में कम से कम समय में गड्ढे को भरने के लिए इंस्टारमैक (कोयले की तरह होता है) का इस्तेमाल किया जाता है। इसे गड्ढे में डालने के बाद स्प्रे करने पर आपस में चिपक जाता है। इससे अधिक से अधिक 15 से 20 मिनट के दौरान एक गड्ढा भर दिया जाता है। सहयोगियों का मिल रहा है साथ
शौर्य सचदेवा कहते हैं कि इस कार्य में उनके सहयोगियों का बेहतर साथ मिल रहा है। सहयोगी भी पूरी समर्पण भाव से काम करते हैं। वे भी अपनी कमाई की कुछ राशि लगाने लगे हैं। वे लोग सोहना रोड से सेक्टर-50 की तरफ जाने वाली सड़क सहित कई सड़कों के कुछ गड्ढे भर चुके हैं। सुबह चार बजे से छह बजे के दौरान ट्रैफिक का दबाव न के बराबर होता है। उसी दौरान वे लोग काम करते हैं। उनका उद्देश्य यह है कि गड्ढों की वजह से किसी की जिदगी न जाए।