तंत्र के गण: वंचितों को गरिमामय जीवन दे रहे हैं रवि कालरा
बेसहारा बीमारों, बुजुर्गों और जरूरतमंदों को गरिमामय जीवन देने जैसा पुनीत काम गांव बंधवाड़ी स्थित 'द अर्थ सेवियर्स फाउंडेशन' द्वारा किया जा रहा है। गांव स्थित फाउंडेशन के आश्रम में इस समय 500 ऐसे मजबूर लोगों की सेवा की जा रही है जिनका कोई सहारा नहीं है। इनमें असाध्य और साध्य रोगों से पीड़ितों की संख्या काफी है। करीब डेढ़ सौ बुजुर्ग ऐसे हैं जिनके बच्चे हैं और वह सक्षम भी हैं फिर से भी अपने माता-पिता को किसी लावारिश की तरह सड़कों पर छोड़ कर भाग गए। रवि बताते हैं कि उन्हें ऐसे बेसहारा लोगों की सेवा कर आत्मसंतुष्टि की अनुभूति होती है। कहते हैं कि इससे ऐसा लगता है जीवन का उद्देश्य सफल हो गया है, शायद ईश्वर ने मुझे इसी काम के लिए भेजा है।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: बेसहारा बीमारों, बुजुर्गो और जरूरतमंदों को गरिमामय जीवन देने जैसा पुनीत काम गांव बंधवाड़ी स्थित 'द अर्थ सेवियर्स फाउंडेशन' द्वारा किया जा रहा है। गांव स्थित फाउंडेशन के आश्रम में इस समय 500 ऐसे मजबूर लोगों की सेवा की जा रही है जिनका कोई सहारा नहीं है। इनमें असाध्य और साध्य रोगों से पीड़ितों की संख्या काफी है। करीब डेढ़ सौ बुजुर्ग ऐसे हैं जिनके बच्चे हैं और वह सक्षम भी हैं फिर भी अपने माता-पिता को किसी लावारिश की तरह सड़कों पर छोड़ कर भाग गए।
रवि बताते हैं कि उन्हें ऐसे बेसहारा लोगों की सेवा कर आत्मसंतुष्टि की अनुभूति होती है। कहते हैं कि इससे ऐसा लगता है जीवन का उद्देश्य सफल हो गया है, शायद ईश्वर ने मुझे इसी काम के लिए भेजा है।
रवि कालरा बताते हैं कि वह आर्मी के लिए कांट्रैक्ट पर काम करते थे। इस दौरान उन्होंने काफी पैसे कमाए। वर्ष 2007 की बात है जब रवि दिल्ली की एक सड़क से गुजर रहे थे तभी एक ऐसा दृश्य सामने आया, जिसने जीवन की धारा को ही बदल दिया। उन्होंने देखा की कूड़े के एक ढेर के पास एक बच्चा और एक कुत्ता एक ही पत्तल में खा रहे थे। कालरा बताते हैं कि यह दृश्य देखकर उनका हृदय विचलित हो गया। इसी के बाद से उन्होंने प्रण लिया कि वह ऐसे लोगों की सेवा करेंगे जिनका कोई सहारा नहीं होता। यह काम उन्होंने वसंत कुंज में शुरू किया। इसके बाद वर्ष 2011 में बंधवाड़ी में आश्रम बनाया। इस आश्रम में आज 500 लोग हैं। जिसमें बुजुर्गों की संख्या सबसे अधिक है। इनमें कैंसर और कुष्ठ जैसे असाध्य रोगों से पीड़ित भी हैं। कई ऐसे बुजुर्गं हैं जो चल-फिर तक नहीं सकते हैं। इनके मल-मूत्र तक को उठाने का भी काम रवि करते हैं। यही कारण है कि यहां रह रहे बुजुर्गों को अपने बच्चों की कमी नहीं खलती।
कालरा यही कहते हैं कि एक मनुष्य होने के नाते हर किसी की गरिमा होती है। जिसका किसी भी कीमत पर हनन नहीं होना चाहिए। यही कारण है कि वह रात में बाहर निकल कर ऐसे लोगों की तलाश करते हैं जो बेसहारा व बीमार बुजुर्गं हों। इन सभी को आश्रम में खाना, कपड़ा, उपचार एवं सेवा का लाभ दिया जाता है। कालरा ने बताया कि उनके यहां कुछ ऐसे बुजुर्ग भी हैं जिनके बेटे विदेश में रहते हैं। उनसे प्रॉपर्टी अपने नाम कराने के बाद वह अपने माता-पिता को सड़क पर लावारिश की तरह से छोड़ गए थे। सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने इस संस्था को 50 लाख रुपये की सहायता की है। यही नहीं इस संस्था द्वारा लावारिश लाशों का दाह संस्कार भी उसके धर्मानुसार पूरे विधि-विधान के साथ कराया जाता है।