विद्यार्थियों को दें मंजिल चुनने की आजादी: उपायुक्त
हरियाणा शिक्षा बोर्ड और आइसीएसई (इंडियन सर्टिफिकेट ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन) और सीबीएसई 12वीं का परीक्षा परिणाम आ चुका है। ब'चों के लिए सुनहरे भविष्य की शुभकामना के साथ अभिभावकों के लिए जिला उपायुक्त विनय प्रताप ¨सह का संदेश:
हरियाणा शिक्षा बोर्ड और आइसीएसई (इंडियन सर्टिफिकेट ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन) और सीबीएसई 12वीं का परीक्षा परिणाम आ चुका है। इसी के साथ विद्यार्थियों के भविष्य और करियर को लेकर घरों में चर्चाएं शुरू हो गईं हैं। खासकर इंटरमीडिएट वाले छात्र-छात्राओं के घरों में तो मंजिल को लक्ष्य कर भविष्य की सफलता के लिए पूरी कोशिश जारी है। बच्चों के सुनहरे भविष्य और सफल करियर के लिए अभिभावक काउंसि¨लग का भी सहारा ले रहे हैं। अभिभावकों के साथ ही छात्र-छात्राएं भी भविष्य के प्रति संवेदनशील दिख रहे हैं। बच्चों के लिए सुनहरे भविष्य की शुभकामना के साथ अभिभावकों के लिए जिला उपायुक्त विनय प्रताप ¨सह का संदेश: प्रिय अभिभावक
परीक्षाओं के परिणाम आ रहे हैं और आप निश्चित रूप से बच्चों के बेहतर अंक की उम्मीद और उन्हें बेहतर शिक्षण संस्थान में दाखिले के लिए प्रयास कर रहे होंगे। एक अभिभावक के तौर हम सभी अपने बच्चों के बेहतर भविष्य बनाने को लेकर अपना शत प्रतिशत देते हैं। लेकिन, हमें इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि परीक्षा में अच्छे अंक लाने से ही बेहतर भविष्य या करियर नहीं बनाया जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि छात्र-छात्रा में संबंधित क्षेत्र से जुड़ी बौद्धिक क्षमता और प्रतिभा हो। छात्र-छात्रा में अलग-अलग बौद्धिक क्षमता और प्रतिभा होता है और वह इसी के आधार पर आगे बढ़ते हैं। इसलिए यह ज्यादा उपयुक्त होगा कि आप मार्क्स से ज्यादा विद्यार्थियों की रुचि को अहमियत देते हुए उन्हें अपना करियर चुनने की आजादी दें। विद्यार्थी अपनी इच्छा के अनुसार विषय का चुनाव करें तो बेहतर कर सकेंगे और उसमें आसानी से पारंगत होंगे। दबाव में आकर वह कुछ अच्छा करने की कोशिश तो कर सकते हैं, लेकिन पारंगत नहीं हो सकते। दबाव में चुने गए विषय से वह प्रोफेशन में अच्छा नहीं कर पाएंगे। समाज में भी ऐसे कई उदाहरण हैं जहां अभिभावकों के स्वतंत्रता देने पर बच्चों ने बेहतर किया है। एक और महत्वपूर्ण बात है कि आप अनावश्यक दबाव लेने से बचें। कई अभिभावक अपने रिश्तेदार या पड़ोसियों के बच्चों को आगे बढ़ता देखते हैं तो अपने बच्चे को उससे ऊपर देखने की चाह में बच्चे पर अन्य विषय थोपने की कोशिश करते हैं। प्रतिस्पर्धा के दौर में अभिभावक भी दूसरे अभिभावकों से आगे निकलना चाहते हैं, जिससे वह मजबूर होकर बच्चे को मजबूर बना देते हैं। ऐसे में अगर बच्चा अभिभावकों के उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता है तो गलत कदम उठा बैठता है या डिप्रेशन में आ जाता है। तब अभिभावकों के पास पछतावे के अलावा कुछ नहीं रह जाता। इसलिए बेहतर है कि आप अनावश्यक दबाव में न आकर अपने बच्चों की प्रतिभा को परखें और उसी पर उन्हें आगे बढ़ने की आजादी दें। हमेशा याद रखें कि परीक्षा में अच्छे अंक हासिल करना सफलता की कसौटी नहीं होती। रवींद्रनाथ टैगोर जैसे कवि व आइंस्टीन जैसे वैज्ञानिक बचपन में पढ़ने में कमजोर थे, लेकिन आज हमारे लिए प्रेरणास्त्रोत हैं।
-विनय प्रताप ¨सह, जिला उपायुक्त