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सत्संग: चार दिवसीय गीता प्रवचन माला का शुभारंभ

डा. स्वामी दिव्यानंद महाराज ने कहा श्रीमद् भागवत गीता साक्षात् मां की भांति ही सभी पर ज्ञान भक्ति की वात्सल्यमयी वर्षा करने वाली, सभी को उपनिषद रूपी दुग्धपान कराने वाली है। भगवान श्रीकृष्ण ने रचना नहीं, गान किया है। गीत का अर्थ केवल गाना ही नहीं अपितु जिसमें स्वरताल मर्यादित हो तभी वह संगीत बनता है। वे बृहस्पतिवार को ज्योति पार्क स्थित श्री गीता आश्रम में गीता जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित 4 दिवसीय दिव्य अध्यात्मिक गीता प्रवचन माला का शुभारंभ कर रहे थे। उन्होंने कहा

By JagranEdited By: Published: Thu, 10 Jan 2019 07:09 PM (IST)Updated: Thu, 10 Jan 2019 07:16 PM (IST)
सत्संग: चार दिवसीय गीता प्रवचन माला का शुभारंभ
सत्संग: चार दिवसीय गीता प्रवचन माला का शुभारंभ

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: डॉ. स्वामी दिव्यानंद ने कहा श्रीमद्भगवद्गीता साक्षात मां की भांति ही सभी पर ज्ञान भक्ति की वात्सल्यमयी वर्षा करने वाली, सभी को उपनिषद रूपी दुग्धपान कराने वाली है। भगवान श्रीकृष्ण ने रचना नहीं, गान किया है। गीत का अर्थ केवल गाना ही नहीं अपितु जिसमें स्वरताल मर्यादित हो तभी वह संगीत बनता है।

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डॉ. स्वामी दिव्यानंद बृहस्पतिवार को ज्योति पार्क स्थित श्री गीता आश्रम में गीता जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित 4 दिवसीय दिव्य अध्यात्मिक गीता प्रवचन माला का शुभारंभ कर रहे थे। उन्होंने कहा कि तत्व ज्ञान भक्ति की भी अपनी एक मर्यादा है। गीता का उपदेश दूसरे अध्याय के सातवें श्लोक से अर्जुन की जिज्ञासा की भूमिका से प्रारंभ हुआ है, जब उसने यह स्वीकार कर लिया कि मैं जानना चाहता हूं कि मेरा कल्याण किसमें है। कार्यक्रम का शुभारंभ भव्य शोभायात्रा एवं यज्ञ के साथ हुआ, जिसमें किशोरी लाल अत्रेजा द्वारा ग्रंथ पूजन तथा यज्ञ के मुख्य यजमान मोहित मदनलाल ग्रोवर भी शामिल हुए। आयोजन में बड़ी संख्या में महिला व पुरुष श्रद्धालु शामिल हुए।


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