बिल्डर की जमीन को बेचकर जुटाया जाएगा फंड
हरियाणा भू-संपदा नियामक प्राधिकरण (हरेरा) गुरुग्राम के सेक्टर-
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: हरियाणा भू-संपदा नियामक प्राधिकरण (हरेरा) गुरुग्राम के सेक्टर-89 स्थित रिहायशी परियोजना को लेकर दिए गए निर्णय से आवंटियों में काफी खुशी है। इन सभी में इस बात को लेकर भरोसा जगा है कि उन्हें उनके घर जल्द ही मिल जाएंगे। हरेरा बेंच ने इस मामले में तीन दिन पहले जो निर्णय दिया है उसके अनुसार बिल्डर के स्वामित्व वाले चार भूखंडों को बेंच कर परियोजना पूरी करने के लिए फंड एकत्र किया जाएगा।
सेक्टर-89 स्थित ग्रीनोपोलिस रिहायशी परियोजना को तैयार कर बिल्डर द्वारा चार साल पहले ही आवंटियों को इसका कब्जा देना था। मगर बिल्डर द्वारा अभी तक इस परियोजना को पूरा ही नहीं किया गया है। यही कारण है कि आवंटियों ने बिल्डर के खिलाफ हरेरा में केस डाला था। इसी मामले में हरेरा ने सुनवाई करते हुए 3सी शेल्टर्स की चार भूखंड को अटैच किया है। गुरुग्राम ग्रीनोपोलिस रिहायशी परियोजना का निर्माण 47.2 एकड़ भू-क्षेत्र में से 37 एकड़ पर हो रहा है। बाकी बची 10 एकड़ भूमि को अटैच करने का आदेश हरेरा गुरुग्राम बेंच ने दिया है। इसके अलावा बिल्डर के नोएडा स्थित तीन अन्य भूखंड को अटैच करने के आदेश जारी किए गए हैं। इन सभी को बेच कर सेक्टर-89 स्थित ग्रीनपोलिस परियोजना को पूरा करने के लिए 334 करोड़ रुपये के फंड की व्यवस्था की जाएगी।
यह आदेश हरेरा गुरुग्राम बेंच द्वारा हरेरा चेयरमैन डॉ. केके खंडेलवाल की अध्यक्षा में सुनाया गया। इन जमीन की बिक्री के आदेश को त्वरित कार्रवाई करने के लिए गुरुग्राम और गौतमबुद्धनगर के जिला कलेक्टरों को भेजा गया। बता दें कि ओरिस इंफ्रास्ट्रक्चर द्वारा 2011 में इस प्रोजेक्ट का लाइसेंस लिया गया था। अलाटियों को 2012 और 2013 में फ्लैटों का आवंटन किया गया था। आवंटियों को इसका कब्जा बिल्डर द्वारा दिसंबर 2015 दिया जाना था। जो अब तक नहीं दिया गया। ओरिस इंफ्रास्ट्रक्चर द्वारा लाइसेंस प्राप्त करने के बाद 3सी शेल्टर इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को निर्माण की जिम्मेदारी सौंप दी।
दोनों के बीच हुए समझौते के अनुसार फ्लैटों में से 35 प्रतिशत का निर्माण ओरिस द्वारा एवं 65 प्रतिशत फ्लैट 3सी शेल्टर इंफ्रास्ट्रक्चर द्वारा बेचे जाने थे। ओरिस इंफ्रास्ट्रक्चर ने फ्लैटों की बुकिग से 300 करोड़ व 3सी इंफ्रास्ट्रक्चर ने 800 करोड़ से अधिक रुपये की राशि एकत्र की मगर इतना रकम निर्माण पर नहीं लगाया।