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शौर्य गाथा के लिए : कारगिल योद्धा बेटों को फौज में भेजने के लिए कर रहा तैयार

कारगिल युद्ध में मोर्चे पर दुश्मन से लोहा लेते हुए एक हाथ गंवाने वाले जनबीर खटाना दोनों बेटों को फौज में भेजने को आतुर है। उनके बेटे भी फौज में जाकर देश सेवा करना चाहते हैं। इसके लिए तैयारी भी कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 Jul 2020 06:36 PM (IST)Updated: Sat, 25 Jul 2020 06:36 PM (IST)
शौर्य गाथा के लिए : कारगिल योद्धा बेटों को फौज में भेजने के लिए कर रहा तैयार
शौर्य गाथा के लिए : कारगिल योद्धा बेटों को फौज में भेजने के लिए कर रहा तैयार

महावीर यादव, बादशाहपुर

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कारगिल युद्ध में मोर्चे पर दुश्मन से लोहा लेते हुए एक हाथ गंवाने वाले जनबीर खटाना दोनों बेटों को फौज में भेजने को आतुर है। उनके बेटे भी फौज में जाकर देश सेवा करना चाहते हैं। इसके लिए तैयारी भी कर रहे हैं। कारगिल युद्ध में अग्रिम मोर्चे पर दुश्मन की सेना से मुकाबला कर रहे थे जनबीर खटाना। उनकी कंपनी के जिम्मे अग्रिम मोर्चे पर लड़ रहे जवानों को हथियार व गोला बारूद पहुंचाने की थी। 22 जून 1999 की रात वह अपनी टुकड़ी के साथ गोला-बारूद पहुंचाने के लिए जा रहे थे तभी दुश्मन की गोलाबारी शुरू हो गई थी। कारगिल से निकलने के बाद बटालिक सेक्टर में उनके वाहन पर मोर्टार से गोला दागा गया। उनका वाहन क्षतिग्रस्त हो गया था और वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे।

जनबीर खटाना बताते है कि रात के साए में कुछ भी नही दिख रहा था। गोला लगने से घायल होने के बाद वे गहरे नाले में काफी देर पड़े रहे, कुछ देर तक तो उन्हें होश रहा फिर बेहोश हो गए थे। उन्हें तीन दिन बाद होश आया तो खुद को श्रीनगर अस्पताल में दाखिल पाया। डाक्टरों ने उसका हाथ काट दिया था। पैर में ज्यादा संक्रमण होने की वजह से पैर भी काटने को कह दिया गया था। जनवीर ने जब डाक्टरों से बार-बार पैर बचाने का आग्रह किया तो उन्हें दिल्ली के आरआर अस्पताल में रेफर कर दिया। दिल्ली से सेना के पूना अस्पताल में भेजा गया। वहां डाक्टरों ने उसके पैर के संक्रमण को पूरी तरह से खत्म कर दिया। पैर कटने से बच गया। टेलीग्राम आने के बाद परिवार में मच गया था कोहराम

कारगिल में जंग छिड़ी थी। वहां से जब घर पर टेलीग्राम आया तो घर वालों से सोचा कि उनका बेटा देश सेवा में शहीद हो गया। कई दिनों बाद परिवार के लोगों को पता लगा कि जनबीर ठीक है। उसके हाथ व पैर में दिक्कत है। दो महीने बाद जब उसको दिल्ली अस्पताल में लाया गया तो उसके परिवार के लोग अस्पताल में मिलने पहुंचे। दिल्ली से उसको पूना अस्पताल में भेज दिया गया। जनबीर का कहना है कि सरकार व सेना ने उस समय उनकी हरसंभव सहायता की। जिस तरह के इलाज की जरूरत थी उनको इलाज मुहैया कराया गया। उस इलाज की बदौलत ही उसका पैर कटने से बच गया।

जनबीर खटाना के दो बेटे हैं। चिकू खटाना और सोनू खटाना। दोनों बेटों को जनबीर खटाना फौज में भेजना चाहते हैं। दोनों बेटे भी देश सेवा के लिए फौज में जाने की तैयारी में जुटे हैं। जनबीर फिलहाल जिला अदालत में स्टांप विक्रेता का काम कर रहे हैं।


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