जागरण की खबर से जागी उम्मीद, सीपी ने दिए फिर से जांच के आदेश
करीब साढ़े तीन साल पहले सड़क हादसे में मारा गया बेटा तो वापस नहीं मिलेगा मगर पिता को अब यह उम्मीद जरूर जगी है कि उन्हें न्याय मिलेगा। दैनिक जागरण ने आहत पिता की पीड़ा प्रकाशित की तो पुलिस आयुक्त केके राव ने पूरे मामले की पड़ताल नए सिरे से कराने के आदेश डीसीपी (ईस्ट) सुलोचना गजराज को दिए हैं। दीपावली के बाद मामले की तफ्तीश एक बार फिर से शुरू होगी। वहीं कई अधिवक्ता भी पीड़ित पक्ष की अदालती मदद नि:शुल्क करने के लिए आगे हैं।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम : करीब साढ़े तीन साल पहले सड़क हादसे में मारा गया बेटा तो वापस नहीं मिलेगा, मगर पिता को अब यह उम्मीद जरूर जगी है कि उन्हें न्याय मिलेगा। दैनिक जागरण ने आहत पिता की पीड़ा प्रकाशित की तो पुलिस आयुक्त केके राव ने पूरे मामले की पड़ताल नए सिरे से कराने के आदेश डीसीपी (ईस्ट) सुलोचना गजराज को दिए हैं। दीपावली के बाद मामले की तफ्तीश एक बार फिर से शुरू होगी। वहीं कई अधिवक्ता भी पीड़ित पक्ष की कानूनी मदद निशुल्क करने के लिए आगे हैं।
करीब साढ़े तीन साल पहले चौदह वर्षीय अमित चौबे को रेल विहार सोसायटी के पास तेज रफ्तार स्विफ्ट कार ने टक्कर मार दी। हादसे के बाद चालक स्विफ्ट कार लेकर चंपत हो गया, अमित आधे घंटे तक सड़क पर पड़ा तड़पता रहा और उसकी जान चली गई थी। सेक्टर 56 थाने की टीम ने जांच की मगर आरोपित चालक का पता नहीं लगा पाई। यही नहीं केस की फाइल भी बंद कर दी गई थी। बेटे की मौत से आहत मूल रूप गांव बभनौली जिला आरा बिहार निवासी जितेंद्र चौबे ने हार नहीं मानी और घटनास्थल पर कार के टूटे साइड मिरर के नंबर कोड के सहारे आगे की कड़ी जोड़ते हुए पहले मारुति कंपनी से यह पता लगाया कि स्विफ्ट कार का चेसिस नंबर क्या है? बाद में यह भी पता लगा लिया कि क्षतिग्रस्त कार को किस वर्कशाप में फर्जी बिल के सहारे बनवाया गया था। यहां तक कि कार का नंबर और चालक को भी खोज लिया था। कार का अधूरा नंबर जितेंद्र के पास पहले ही था।
घटना पांच जून 2015 की शाम हुई थी। सबूत जुटाने के बाद जितेंद्र जब पुलिस के पास पहुंचा तो उसे पता चला कि केस को ही बंद कर दिया गया है। हर जगह से निराशा मिली तो जितेंद्र बड़ी उम्मीद के साथ 25 सितंबर को दैनिक जागरण के गुरुग्राम कार्यालय में पहुंचे थे। अपनी पीड़ा बताते हुए वे रो पड़े थे। आहत पिता की पीड़ा सुनने के बाद दैनिक जागरण ने 26 सितंबर को केस की फाइल हुई बंद बेटे की मौत से आहत पिता ने जुटाए सबूत शीर्षक से खबर प्रकाशित की। जिसके बाद मामले को संज्ञान में लेने के बाद पुलिस आयुक्त ने जांच के आदेश दिए। पुलिस आयुक्त ने केस की जांच फिर से कराने के निर्देश डीसीपी को दिए हैं। छानबीन नए सिरे की जाएगी। सबूतों की पड़ताल कर पीड़ित पक्ष को अवगत कराते हुए उचित कार्रवाई होगी।
मनीष सहगल, एसीपी (मुख्यालय) बड़ी उम्मीद के साथ दैनिक जागरण कार्यालय गया तो मुझे उम्मीद से अधिक सपोर्ट मिला। मेरा मकसद किसी को दुखी करना नहीं पर जो भी व्यक्ति (कार चालक) बेटे की मौत की वजह बना उसे सजा मिलनी चाहिए। जागरण में खबर छपने के बाद पुलिस आयुक्त ने मामले को संज्ञान में लिया है। वहीं एडवोकेट रोहित ने अदालत में पैरवी नि:शुल्क करने का आश्वासन दिया है।
जितेंद्र चौबे (अमित का पिता)