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खिलौने दे न पाईं तो खिलौना बन गईं अम्मा..

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: 'हमारे वास्ते सपना सलोना बन गईं अम्मा, जमीं पर लेट कर अक्सर बिछौन

By JagranEdited By: Published: Tue, 17 Apr 2018 05:42 PM (IST)Updated: Tue, 17 Apr 2018 05:42 PM (IST)
खिलौने दे न पाईं तो खिलौना बन गईं अम्मा..
खिलौने दे न पाईं तो खिलौना बन गईं अम्मा..

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: 'हमारे वास्ते सपना सलोना बन गईं अम्मा, जमीं पर लेट कर अक्सर बिछौना बन गईं अम्मा, रुला देती है अब भी याद उन बचपन के मेलों की, खिलौने दे न पाईं तो खिलौना बन गईं अम्मा।' जाने-माने कवि दिनेश रघुवंशी की ऐसी ही कविता व मुक्तक से सेक्टर चार स्थित वैश्य समाज धर्मशाला का सभागार देर रात तक गुलजार रहा। मौका था राष्ट्रीय कवि संगम हरियाणा द्वारा आयोजित प्रथम दस्तक कवि सम्मेलन का। प्रदेश भर से आए नौ युवा रचनाकारों से सजी साहित्यिक महफिल की अध्यक्षता कर रहे रघुवंशी ने अपने संघर्ष व लेखन यात्रा का उदाहरण देते हुए साहित्य के नए हस्ताक्षरों को कविता का पाठ भी पढ़ाया।

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पुस्तक का हुआ लोकार्पण

कवि सम्मेलन का शुभारंभ कवयित्री वीणा अग्रवाल द्वारा सरस्वती वंदना से हुआ, जिसके बाद शहर के युवा लेखक सुंदर कटारिया के हरियाणवी कविता संग्रह 'लखमी का कुत्ता' का लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम में शहर के साहित्य प्रेमियों के अलावा बहादुरगढ़, दिल्ली, फरीदाबाद, झज्जर, भिवानी, नोएडा व आसपास के क्षेत्र से कई साहित्यकार भी पहुंचे। फरीदाबाद से पहुंची कवयित्री डॉ. सुष्मा गुप्ता ने कहा कि कुछ वर्षों से शहर में साहित्यिक गतिविधियों में शिथिलता थी, लेकिन प्रबुद्ध नागरिकों व स्थानीय साहित्यकारों के सहयोग से दोबारा राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम हो रहे हैं जो साहित्य के साधकों के लिए शुभ संकेत है।

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नौ नवोदित कवियों ने किया काव्य पाठ

तीन घंटे चले कवि सम्मेलन में झज्जर से आए शिव पाराशर व सुमित गुलिया, सोनीपत से अशोक बरोदा, जींद से बृजकिशोर प्रजापति, भिवानी से पंकज ओम प्रेम, रोहतक से नीरज राज व गुरुग्राम से जयदीप ¨सह सरस, कुलदीप बृजवासी व विनय माही ने अपने काव्यपाठ से श्रोताओं को प्रभावित किया। कार्यक्रम का संचालन हरियाणवी हास्य कवि सुंदर कटारिया ने किया। इस मौके पर राष्ट्रीय कवि संगम के अध्यक्ष जगदीश मित्तल, प्रांतीय अध्यक्ष मनमोहन गुप्ता, गौ सेवा आयोग के चेयरमैन भानीराम मंगला, भीष्म भारद्वाज, कृष्ण गोपाल विद्यार्थी, देवेंद्र हंस, परीणिता फुटेला, श्रवण दुबे, विजय ¨सह, पुष्पा अंतिल व राजू राजभर समेत कई साहित्य प्रेमी मौजूद रहे।


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