एमसीडी टोल प्लाजा के जाली पास बनवाने में 3 और गिरफ्तार
दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेस-वे स्थित एमसीडी टोल प्लाजा के जाली पास छपवाकर बेचने के मामले में उद्योग विहार थाना पुलिस ने बुधवार को तीन और आरोपितों को गिरफ्तार किया है।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेस-वे स्थित एमसीडी टोल प्लाजा के जाली पास छपवाकर बेचने के मामले में उद्योग विहार थाना पुलिस ने बुधवार को तीन और आरोपितों को गिरफ्तार किया है। उनकी पहचान अंकित, चंचल एवं राकेश के रूप में की गई। अंकित को दिल्ली से जबकि चंचल एवं राकेश को भिवानी जिले के उनके गांव लोहानी से गिरफ्तार किया गया। अंकित की दिल्ली में फोटो स्टेट की दुकान है जबकि चंचल एवं राकेश टोल प्लाजा की विजिलेंस शाखा में कर्मचारी हैं। तीनों को बृहस्पतिवार दोपहर अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भोंडसी जेल भेज दिया गया। मामले में अब तक मास्टर माइंड सहित कुल 9 आरोपितों को उद्योग विहार थाना पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है।
इसी महीने चार सितंबर को टोल प्लाजा संचालन कंपनी में सहायक महाप्रबंधक संतोष गायकवाड़ ने उद्योग विहार थाने में दी शिकायत में कहा था कि जांच के दौरान छह वाहन ऐसे मिले जिनमें फर्जी पास के स्टिकर लगे थे। इसके बाद जांच करते हुए पांच वाहन चालक बलराम, विजय सिंह, शिवा, शालू एवं आशिक को उसी दिन सिरहौल बॉर्डर के नजदीक से गिरफ्तार कर लिया गया। पूछताछ में पता चला कि शालू एवं शिवा ने टोल प्लाजा के सुपरवाइजर से मिलीभगत करके कम कीमत पर फर्जी पास खरीदे थे। आरोपित विजय सिंह, बलराम एवं आशिक ने एक एप बेस्ड कैब सर्विस कंपनी के माध्यम से खरीदे थे। सभी ने यह भी बताया कि मासिक पास की कीमत तीन हजार रुपये है, लेकिन फर्जी पास उन लोगों ने 2700 रुपये में खरीदे थे। पूछताछ के आधार पर रोहतक जिले के गांव टिटौली निवासी सत्यव्रत कुंडू को डीएलएफ फेज-तीन इलाके से पांच सितंबर को गिरफ्तार किया गया। उसे रिमांड पर लेकर पूछताछ की गई तो पता चला कि यही मास्टर माइंड है।
पूछताछ में सत्यव्रत कुंडू ने स्वीकार किया कि उसने अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर दिल्ली की एक प्रिटिग प्रेस से फर्जी पास छपवाया था। उसके साथियों में दिल्ली की एक यूनिवर्सिटी की छात्रा भी शामिल है। उसी ने प्रिटिग प्रेस की जानकारी दी थी। जांच से यह भी साफ हो चुका है कि मुख्य आरोपित (टोल प्लाजा पर विजिलेंस मैनेजर) ने फर्जी पास छपवाकर कैब कंपनी से जुड़ी गाड़ियों के चालकों के साथ ही अन्य गाड़ियों के चालकों को तय कीमत (3000) से 300 रुपये सस्ते में बेचे थे। आरोपित छपवाए गए फर्जी 1200 पास में से 700 पास बेच चुका था। मुख्य आरोपित की निशानदेही पर चार लाख रुपये भी बरामद किए जा चुके हैं। साजिश के तहत किया था झगड़ा
सत्यव्रत ने पूछताछ में बताया कि उसकी साथी आरोपित युवती ने एक बार टोल प्लाजा पर जानबूझकर कर्मचारियों से झगड़ा किया था ताकि टोल प्लाजा पर काम करनेवाले अधिकांश कर्मचारी नौकरी छोड़कर चले जाएं। अधिकांश कर्मचारी महाराष्ट्र के रहने वाले हैं। ऐसा इसलिए किया गया था कि जब महाराष्ट्र मूल के कर्मचारी नौकरी छोड़कर चले जाएंगे तो वे अपनी जान-पहचान के लोगों को नौकरी पर रखकर फर्जी पास जारी करने का धंधा आसानी से कर सकेंगे। उद्योग विहार थाना प्रभारी देवेंद्र सिंह ने बताया कि आरोपित युवती सहित तीन अन्य अभी पकड़ से बाहर हैं। सभी को जल्द ही गिरफ्तार किया जाएगा।