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सफलता की डगर : आत्मनिर्भर बनाने की आस्था से बन गई निर्यातक : नीतू ¨सह

अपने लिए जिये तो क्या जिये, तू जी ऐ दिल जमाने के लिए। कुछ ऐसा करने की चाहत ने समाजसेविका नीतू ¨सह को निर्यातक बना डाला। जिससे उन्हेँ देश ही नहीं विदेशों में नई पहचान दिला दी। आज उनके ज्वैलरी डिजाइन का डंका दुनिया के कई देशों में बज रहा है। आज यूनिट में डिजाइन की जा रही ज्वैलरी, स्टोल, स्कार्व, शॉल, पोचू, वीच वियर व अन्य गारमेंट्स यूएसए, केनेडा, उत्तरी अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया के अलावा यूरोपीय तक निर्यात किए जा रहे हैं। जिसमें उनके साथ आज यूपी, पंजाब, बिहार व राजस्थान के पांच हजार से ज्यादा लोग जुड़ चुके हैं। इसमें 90 फीसदी महिलाएं शामिल हैं। यह उनकी मेहनत और सपनों को रंग भरने का जुनून ही है कि वर्ष 201

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Feb 2019 08:02 PM (IST)Updated: Wed, 20 Feb 2019 08:02 PM (IST)
सफलता की डगर : आत्मनिर्भर बनाने की आस्था से बन गई निर्यातक : नीतू ¨सह
सफलता की डगर : आत्मनिर्भर बनाने की आस्था से बन गई निर्यातक : नीतू ¨सह

कुंदन तिवारी, नोएडा

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अपने लिए जिये तो क्या जिये, तू जी ऐ दिल जमाने के लिए। कुछ ऐसा करने की चाहत ने समाजसेविका नीतू ¨सह को निर्यातक बना डाला। जिससे उन्हें देश ही नहीं विदेशों में नई पहचान दिला दी। आज उनके ज्वैलरी डिजाइन का डंका दुनिया के कई देशों में बज रहा है। उनकी यूनिट में डिजाइन की जा रही ज्वैलरी, स्टोल, स्कार्व, शॉल, पोचू, वीच वियर व अन्य गारमेंट्स अमेरिका, केनाडा, ऑस्ट्रेलिया के अलावा यूरोपीय देशों तक निर्यात किए जा रहे हैं। उनके साथ उप्र, पंजाब, बिहार व राजस्थान के पांच हजार से ज्यादा लोग जुड़ चुके हैं। इसमें 90 फीसदी महिलाएं शामिल हैं। यह उनकी मेहनत और सपनों को रंग भरने का जुनून ही है कि वर्ष 2018 में एशिया के सर्वश्रेष्ठ ब्रांड एंड लीडर्स अवार्ड-2017 से उन्हें नवाजा गया। यह मुकाम उन्होंने अभिनेता ऋषि कपूर की बेटी को पछाड़ कर हासिल की।

सेक्टर-63 स्थित सिनी डिजाइन फाउंडर नीतू ¨सह ने बताया कि महिलाओं के उत्थान के मकसद से 2005 में आस्था फाउंडेशन की नींव रखी। दिल्ली की सड़कों और स्लम क्षेत्र में कई महिलाओं को बदहाल स्थिति में देखा तो ठान लिया कि महिला सशक्तीकरण के लिए कुछ करना है। ऐसे में 14 साल पहले महज 1200 रुपये से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए इस मुहिम को शुरू किया था। पहले संस्था के माध्यम से महिलाओं को ज्वैलरी डिजाइन का प्रशिक्षण दिया। इसके बाद उन्हें सक्षम बनाने की दिशा में काम किया। प्रदर्शनियों में उनकी डिजाइन की हुई ज्वैलरी को सराहा जाने लगा, लेकिन लगा कि इससे कुछ हासिल होने वाला नहीं है, क्योंकि तैयार माल को कही तो खपाना होगा, तभी आगे भी महिलाओं की मदद की जा सकेगी। लिहाजा 2011 में सिनी डिजाइन नाम से कंपनी की शुरुआत की। ज्वैलरी डिजाइन से शुरू हुआ सफर आज गारमेंट इंडस्ट्री तक पहुंच गया है। उन्होंने बताया कि टेक्सटाइल सेक्टर में जहां चीन और बांग्लादेश भारत के लिए चुनौती बन गए हैं। ऐसे दौर में ब्रांड सिनी मेक इन इंडिया मुहिम के लिए मिसाल बन गया है। सर्वश्रेष्ठ डिजाइन व उत्पादों की गुणवत्ता विदेशी बायर्स को यहां खींचकर ला रही है। इन अवार्ड से नवाजा गया

वर्ष अवार्ड

2018 इंडो ¨सगापुर बिजनेस एंड सोशल फोरम में एशियाज ग्रेटेस्ट ब्रांड एंड लीडर्स अवार्ड

2017 मुंबई में इंडिया लीडरशिप कॉनक्लेव में मोस्ट इनोवेटिव मूवन एंटरप्रिन्योर एवं मोस्ट वैल्यूएबल डिजाइन अवार्ड

2012 दिल्ली सरकार की ओर से सर्वश्रेष्ठ कृत्रिम आभूषणों के लिए हस्तशिल्प राज्य पुरस्कार पति-बच्चों ने बराबर दिया सहयोग : उन्होंने बताया कि पति हरेंद्र कुमार ¨सह ब्यूरोक्रेट्स ह. ,मेरे दोनो बच्चे शौर्यादित्य ¨सह और दिव्यदित्य ¨सह बराबर मेरे साथ खड़े रहे। आस्था संस्था के सामाजिक कार्यो में उन्होंने बराबर हाथ बटा मेरा हौसला बढ़ाया।


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