ठोस इंडस्ट्रियल वेस्ट प्रबंधन पर्यावरण के हित में
देश में प्रतिदिन 70 लाख टन इंडस्ट्रियल वेस्ट निकलता है। पर्यावरण के हित में इनके ठोस प्रबंधन एवं निस्तारण की जरूरत है। उद्योगों से जुड़े लोगों के लिए इस वेस्ट के प्रबंधन के बारे में विशेष जानकारी रखनी चाहिए।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम : देश में प्रतिदिन 70 लाख टन इंडस्ट्रियल वेस्ट निकलता है। पर्यावरण के हित में इनके ठोस प्रबंधन एवं निस्तारण की जरूरत है। उद्योगों से जुड़े लोगों के लिए इस वेस्ट के प्रबंधन के बारे में विशेष जानकारी रखनी चाहिए। यदि इसमें किसी प्रकार की लापरवाही या भूल होती है तो इसका परिणाम बड़ा ही नकारात्मक होता है। वहीं, औद्योगिक क्षेत्रों में बढ़ता जल संकट भी बड़ी समस्या के रूप में सिर उठा रहा है। इसके प्रबंधन की भी जरूरत अब शिद्दत के साथ महसूस की जा रही है।
यह बातें बुधवार को सेक्टर-29 स्थित एक होटल में 'वेस्ट एंड वेस्टवाटर मैनेजमेंट' सेमिनार के दौरान विशेषज्ञों ने कही। यह सेमिनार गुड़गांव चैंबर ऑफ कॉमर्स एवं पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स की ओर से संयुक्त रूप से आयोजित किया गया। इस दौरान मुख्य अतिथि के रूप में नेशनल वाटर मिशन के संयुक्त सचिव डॉ. सीवी धर्म राव मौजूद रहे। उन्होंने इंडस्ट्रियल वेस्ट के प्रबंधन एवं निस्तारण के बारे में उद्यमियों को विस्तार से जानकारी दी। वहीं जल संरक्षण के लिए उद्योगों को क्या करना चाहिए इसके बारे में बताया। सेमिनार में उद्योग विहार, सेक्टर-37, मानेसर, बावल एवं धारूहेड़ा इंडस्ट्रियल हब के करीब सवा सौ उद्यमियों ने हिस्सा लिया। सभी ने कहा कि इस सेमिनार में उन्हें जल संरक्षण एंव वेस्ट प्रबंधन के बारे में कई नई जानकारी मिली। ग्लोबल वार्मिंग के कारणों के बारे में भी बताया गया।
पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स के वाटर एंड सॉलिड वेस्ट कमेटी के चेयरमैन वरुण गुप्ता ने सेमिनार में कहा कि केंद्र सरकार, राज्य सरकार, नीति आयोग एवं विभिन्न सरकारी संस्थाएं इस मामले में काफी सजग हैं। स्वच्छ भारत अभियान से लेकर स्मार्ट सिटी की योजना तक में इंडस्ट्रियल एवं वाटरवेस्ट प्रबंधन को प्रमुख स्थान दिया गया है। गुड़गांव चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के महासचिव एसके आहूजा ने बताया कि सेमिनार में हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड गुरुग्राम के क्षेत्रीय अधिकारी कुलदीप भी मौजूद रहे। उन्होंने औद्योगिक वेस्ट के निस्तारण से संबंधित नियमों की जानकारी दी।