जलभराव से मिलेगी निजात, होगा भूजल संरक्षण
हर साल बारिश में महरौली गुरुग्राम रोड यानी एमजी रोड पर पानी जमा नहीं हो पाएगा। एमजीरोड पर स्थित एस्सेल सोसायटी सड़क से ढलान पर होने के कारण बारिश में यहां होने वाले जल भराव का असर सोसायटी में होता था।
पूनम, गुरुग्राम
महरौली-गुरुग्राम रोड यानी एमजी रोड पर स्थित एस्सेल सोसायटी सड़क से ढलान पर होने के कारण हर साल बारिश में यहां होने वाले जलभराव का असर सोसायटी में होता है। लेकिन अब लोगों ने तय किया है कि बारिश के पानी का प्रयोग बागवानी व भूजल संरक्षण के लिए किया जाएगा। इससे जलभराव की समस्या से मुक्ति भी मिल सकेगी। सात टावरो में करीब एक हजार अपार्टमेंट समेटे एस्सेल टावर में बिल्डर प्रबंधन की ओर से चार परंपरागत तरीके से बने रेनवाटर हार्वेस्टिग पिट पहले से थे, मगर ये सोसायटी के गेट से लेकर भीतर तक जमा होने पाले बरसाती पानी को जमीन में ले जाने में पूरी तरह सक्षम नहीं थे। सोसायटी के गेट पर दो बोरवेल के पिट और दो टैंक वाला रेनवाटर हार्वेस्टिग पिट बनवाकर तैयार कर दिया गया है। आरडब्ल्यूए पदाधिकारियों का कहना है कि सोसायटी के मेन गेट पर एमजी रोड से आने वाला बरसाती पानी पूरे सीजन जमा रहता था। जैसे ही बरसात शुरू होगी, इस नए सिस्टम की टेस्टिग शुरू हो जाएगी। सस्ती और बेहतर तकनीक के प्रयोग का दावा
गुरुग्राम में भूजल स्तर लगातार नीचे जा रहा है और दूसरी ओर हम लोग लगभग 80 फीसद पानी नजफगढ़ ड्रेन में बहा देते हैं। एस्सेल टावर के लोग बताते हैं कि उन्होंने जो तकनीक अपनाई है, उसमें कम खर्च आया है। ऐसे सिस्टम को बनाने में आमतौर पर तीन से साढ़े तीन लाख रुपये का खर्च आता है लेकिन वे डेढ़ लाख रुपये के भीतर ही इस कार्य को पूरा कर रहे हैं। अलग से दो सीमेंट रिम से टैंक बनवाए गए हैं, जिसे जमीन में डाला गया है। दो बोरिग कराई गई है। जलभराव वाले सभी क्षेत्र को इससे जोड़ दिया है। बारिश का पानी इन टैंक में जमा होगा। इसका प्रयोग बागवानी के लिए भी किया जाएगा। साथ में इसके साथ की दो बोरिग पिट से पानी जमीन में भी जाएगा। सोसायटी के मेन गेट पर हर साल बरसाती पानी जमा होता है। इस पानी को जमीन में डाली गई सीमेंट रिम के टैंक में जमा किया जाएगा। नए तरीके का रेनवाटर हार्वेस्टिग पिट बनाया गया है। यह भूजल स्तर को बढ़ाएगा। इसे टावर के दूसरे हिस्सों में भी बनाएंगे।
- बृज गुप्ता, आरडब्ल्यूए अध्यक्ष और तकनीक संयोजक, भूजल संरक्षण, एस्सेल टावर
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