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लोकसभा चुनाव : जब ताऊ के कहने पर लोग देते थे वोट

संवाद सहयोगी सोहना देश व प्रदेश में जब भी चुनाव की चर्चा होती है तो राजनीति के पुरोधा व देश के पूर्व उप-प्रधानमंत्री ताऊ देवीलाल का चेहरा लोगों के जहन में उतर आता है। उनकी सादगी के लोग कायल थे। वे लोगों के दिलों में आज भी बसे हैं। खासकर सोहना के लोगों का ताऊ से विशेष जुडाव रहा है। उनके जीवन के अनेक ऐसे पहलू हैं जो यहां के लोगों को उनके साथ आज भी जोड़े हुए हैं। ताऊ के एक संदेश पर सोहना बाजार बंद हो जाया करता था तो गांव अलीपुर के लोग उनके मात्र इशारे पर एक एक वोट उनकी पार्टी के उम्मीदवार को देते थे। लोग उनकी निशानी के तौर पर जूती व हरा साफा आज भी अपने पास संजोकर रखे हुए हैं। ताऊ भी अलीपुर को अपना गांव मानते थे। उनका सोहना व निकट के गांव अलीपुर के लोगों से विशेष लगाव था। जीवन के अंतिम दिनों में 25 मार्च 2001 को ताऊ ने गांव अलीपुर में खेम पठान व तिगरा में अनंतराम तंवर के निवास पर अपने साथियों के संग होली खेली थी। उनके साथ कार्यकर्ता गोपीचंद गहलोत भी थे।

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 Mar 2019 06:41 PM (IST)Updated: Mon, 25 Mar 2019 06:41 PM (IST)
लोकसभा चुनाव : जब ताऊ के कहने पर लोग देते थे वोट
लोकसभा चुनाव : जब ताऊ के कहने पर लोग देते थे वोट

सतीश राघव, सोहना (गुरुग्राम): देश व प्रदेश में जब भी चुनाव की चर्चा होती है तो राजनीति के पुरोधा व देश के पूर्व उप-प्रधानमंत्री ताऊ देवीलाल का चेहरा लोगों के जहन में उतर आता है। उनकी सादगी के लोग कायल थे। वे लोगों के दिलों में आज भी बसे हैं। खासकर सोहना के लोगों का ताऊ से विशेष जुड़ाव रहा है। उनके जीवन के अनेक ऐसे पहलू हैं, जो यहां के लोगों को उनके साथ आज संजोए हुए हैं।

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ताऊ के एक संदेश पर सोहना बाजार बंद हो जाया करता था तो गांव अलीपुर के लोग उनके मात्र एक इशारे पर एक-एक वोट उनकी पार्टी के उम्मीदवार को देते थे। लोग उनकी निशानी के तौर पर जूती व हरा साफा आज भी अपने पास संजोकर रखे हुए हैं। ताऊ भी अलीपुर को अपना गांव मानते थे। उनका सोहना व निकट के गांव अलीपुर के लोगों से विशेष लगाव था। जीवन के अंतिम दिनों में 25 मार्च 2001 को ताऊ ने गांव अलीपुर में खेम पठान व तिगरा में अनंतराम तंवर के निवास पर अपने साथियों के संग होली खेली थी। उनके साथ पार्टी के वरिष्ठ नेता गोपीचंद गहलोत भी थे।

ताऊ देवीलाल का सोहना के जमींदार नौबत पठान से दोस्ताना रिश्ता था जो उनकी तीसरी पीढ़ी में आज तक बखूबी निभाया जा रहा है। 1966 से वह सोहना में नौबत पठान के यहां अक्सर आते थे। 1977 में प्रदेश के मुख्यमंत्री और 1989 में देश के उपप्रधानमंत्री रहे लेकिन उनका लगाव यहां के लोगों से रहा। सोहना आकर शिवकुंड पर अक्सर नहाना और नौबत पठान के घर का बना भोजन दरी पर बैठकर खाना व लस्सी पीना, उनकी सादगी व दोस्ती का परिचय रहा। नौबत पठान के पोते व ताऊ देवीलाल के चहेते पप्पू पठान बताते हैं कि उन्होंने ताऊ देवीलाल को कुंड में खूब नहलाया है। उन्हें घर के चूल्हे की रोटी से काफी लगाव था। सोहना को चंडीगढ़ बनाने का सपना रह गया अधूरा

ताऊ देवीलाल सोहना को चंडीगढ़ की तर्ज पर विकसित करना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने सोहना पहाड़ी पर से विश्व विख्यात शिव कुंड तक रोड बनवाकर पहल शुरू करा दी लेकिन कुछ खामियों की वजह से उनका सपना पूरा नहीं हो पाया। वे चाहते थे कि सोहना की गलियां चौड़ी हों, फव्वारा चौक पर रंगीन फव्वारे चलें, पार्किंग हो और पर्यटकों के लिए शिव कुंड का विकास हो। एक ऐसा शहर हो जिसे प्रदेश की दूसरी राजधानी के रूप में पहचान मिले। उनकी विरासत संभालने के बाद मुख्यमंत्री बने ओमप्रकाश चौटाला ने यहां के लोगों से वादा किया था कि वे ताऊ देवीलाल के सपने को पूरा करेंगे लेकिन आज तक एक कदम भी नहीं बढ़ा पाए। यहां समस्याओं का भंडार लगा है। नेता आए और गए लेकिन सोहना का विकास नहीं कराया गया। इतना ही नहीं यहां चुनाव लड़ने वाले नेताओं ने विशेष सुध नहीं ली। यही वजह है कि विकास के नाम पर सोहना आज भी पिछड़ा है।


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