शिक्षा के मंदिरों की गरिमा बनाए रखें शिक्षक
स्कूलों में बाल व महिला शोषण की घटनाएं अक्सर सामने आती रहती हैं। हाल ही में सोनीपत में सामने आई घटना ने शिक्षा के मंदिर की गरिमा को कलुसित किया है। इस घटना को लेकर अभिभावकों में एक बार फिर से भय का माहौल पनपने लगा है। हालांकि शिक्षाविदों का कहना है कि अगर माता पिता और शिक्षक एकजुट होकर काम करें तो इस तरह की घटनाओं को रोका जा सकता है।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम:
सोनीपत के खरखौदा में सरकारी स्कूल में छात्राओं के यौन शोषण की घटना सामने आने के बाद सभी स्तब्ध हैं। शिक्षा के मंदिरों में आए दिन शर्मसार कर देने वाले वाकयों को देखकर यही लगता है कि अब विद्यालयों में सिर्फ अच्छे गुरु नहीं, बल्कि कुछ गुरूघंटाल भी काम कर रहे हैं। जो छात्र-छात्राओं को सभ्यता और संस्कार पढ़ाने की जगह अपनी मनोविकृतियों को पूरा करने के लिए स्कूलों में बच्चों और महिला शिक्षकों का शोषण कर रहे हैं। हाल ही में सोनीपत जिले के एक सरकारी स्कूल में सामने आई यौन शोषण की घटना ने गंदी सोच रखने वाले कुछ शिक्षकों के अमर्यादित आचरण की कलई खोलकर रख दी है। इस घटना को लेकर छात्र-छात्राओं और अभिभावकों में फिर से भय का माहौल है। इस मुद्दे पर शिक्षाविदों का कहना है कि यदि माता पिता और अच्छे शिक्षक एकजुट होकर काम करें तो इस तरह की शर्मसार करने वाली घटनाओं को रोका जा सकता है। इसके अलावा शोषण रोकने के लिए बनी सरकारी योजनाओं का स्कूलों में क्रियांवयन बहुत जरूरी है। 'स्कूलों में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कई तरह की योजनाएं बनी हुई हैं। डाइट द्वारा बनाए गए प्रोजेक्ट ¨जदगी के जरिए बच्चों की काउंस¨लग की जाती है। इसके अलावा स्कूलों में विद्यार्थियों को शोषण के खिलाफ आवाज उठाने के लिए जागरूक किया जाता है। इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए योजनाओं को सही तरीके से स्कूलों में लागू करना होगा।'
-प्रेमलता, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी, गुरुग्राम 'इस तरह की घटनाएं बेहद शर्मनाक हैं। इस तरह की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए जागरूकता और काउंस¨लग की बहुत आवश्यकता है। यह विकृत मानसिकता वाले लोगों के काम हैं। हमें अपने बच्चों को समझाना होगा। उनके दोस्त बनकर उनकी हर समस्या और हर बात को जानना होगा, ताकि समय समय पर उन्हें उचित राय देकर उन्हें इस तरह की घटनाओं की शिकार बनने से रोका जा सके।'
-गरिमा, साइकोलॉजिस्ट, द्रोणाचार्य कॉलेज