अतीत की याद दिला रहीं रेलवे स्टेशन की दीवारें
ऐतिहासिक फरुखनगर का इको फ्रेंडली रेलवे स्टेशन पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है। रेल विभाग युवाओं को एक साथ आधुनिक और प्राचीन कला के संगम की अनूठी कला के नमूनों से रूबरू कराने में किसी प्रकार की कसर नहीं छोड़ रहा है। डेढ़ सौ साल पुरानी इमारतों को हेरीटेज बनाने के लिए पत्थर व रंग रोगन आदि का विशेष ध्यान रखा गया है। न
आरके वर्मा, फरुखनगर
ऐतिहासिक फरुखनगर का इको फ्रेंडली रेलवे स्टेशन पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है। रेल विभाग युवाओं को एक साथ आधुनिक और प्राचीन कला के संगम की अनूठी कला के नमूनों से रूबरू कराने में किसी प्रकार की कसर नहीं छोड़ रहा है। डेढ़ सौ साल पुरानी इमारतों का हेरिटेज स्टेशन के हिसाब से पत्थर व रंग रोगन आदि का विशेष ध्यान रखा गया है।
नई पीढ़ी के लिए पुराने जमाने की सोच को ¨जदा रखने के लिए दीवारों पर ड्राइंग एवं पेंटिग के माध्यम से ब्रिटिश सरकार द्वारा तैयार किए गए भाप से चलने वाले इंजन, लालटेन, फाटक, बैठने के बेंच आदि आकृतियों का चित्रण किया गया है। ब्रिटिश सरकार के कार्यकाल में फाटकों के ऊपर बिजली की व्यवस्था नहीं होने पर मोमबत्ती या केरोसीन के तेल से जलने वाली लालटेन के अंदर लाल व हरे रंग के शीशे लगे रहते थे। उस लाइट के संकेत को देखने के बाद चालक रेल को रोकता था या आगे बढ़ता था।
युवा पर्यटक कुछ समय के लिए उन दिनों की यादों में खो जाते हैं, जिस दौर से कभी गुजरे ही नहीं। स्टेशन भवन के साथ आधुनिक फौवारे, पार्क, व्यायाम व सैर के लिए विशेष स्थान बनाए गए हैं। इसके अलावा वाईफाई, कंप्यूटर शिक्षा, खेल के मैदान की सुविधा भी दी गई है। रेल विभाग ने पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखकर विभिन्न प्रजाति के करीब तीन हजार पौधे लगाए हैं। उनकी तीन साल तक देखरेख करने की जिम्मेदारी हरियाणा वन विभाग ने संभाली है। देश विदेश से आकर राष्ट्रीय पक्षी उद्यान सुल्तानपुर लेक पर विदेशी पक्षियों का दीदार करने वाले पर्यटक पुराने भाप के अकबर इंजन की ट्रेन के सफर का लुत्फ उठाते हैं।