दुर्गा पंडाल: दोहार बैंड की धुन पर खूब नाचे लोग
संगीत की कोई भाषा नहीं होती। वाद्य यंत्रों के साथ तालियों के ताल से भी माहौल रससिक्त हो सकता है।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: संगीत की कोई भाषा नहीं होती। वाद्य यंत्रों के साथ तालियों के ताल से भी माहौल बेहतर हो सकता है। दुर्गा पूजा पंडालों में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों में ऐसे ही आनंद के क्षण देखे जा सकते हैं। दुर्गा पूजा पंडालों में हालांकि बंगाली गाने बजे मगर सुर ताल ऐसा कि भाषा की समझ नहीं होते हुए भी लोगों ने खूब आनंद लिया। लोग संगीत में डूबे, लोक संगीत की धुन पर खूब नाचे और साथ मां दुर्गा का जयघोष भी किया।
रविवार को देर शाम सेक्टर 15 पार्ट टू के दुर्गा पूजा पंडाल पूर्वापल्ली दुर्गाबाड़ी में बंगाली गीतों से सजा कार्यक्रम- के प्रोथोम काचे एशेची के माध्यम से कालजयी संगीतकारों, गीतकारों और गायकों को याद किया गया। वह संगीत जो जीवनशैली का हिस्सा बन चुका है। पुराने गीत जिन्हें आज भी उतना ही पसंद किया जाता है। ऐसे गीतों को प्रस्तुत करते गायकों की आवाज ने सुनने वालों का दिल जीत लिया। बंगाली फिल्मों के गीतों के सुरीले सफर को एक कथा में पिरोकर उसके चुने हुए गीत को प्रस्तुत किया अमृता पुरकायस्था, राजीव दत्ता मजुमदार, सुदीप भट्टाचार्य, सुदीप चक्रवर्ती, सोमेन साहा, रिया साहा और मोमिता कुंडु ने। कई ऐसे गीत भी गाए गए जो हिदी और बंगला दोनों में थे। इस कार्यक्रम का निर्देशन राजीव दत्ता मजुमदार ने किया।
सोमवार की रात इस पंडाल में बंगाली लोक संगीत पर खूब नाचे दर्शक। दोहार बैंड के कलाकारों ने बंगाल के गांवों से जुड़े गीतों को बहुत ही सुंदर तरीके से प्रस्तुत किया। रवींद्रनाथ टैगोर के लिखे गीतों से लेकर बंगाल के नदिया क्षेत्र में गाए जाने वाले लोक गीतों के साथ पारंपरिक वाद्य यंत्रों का प्रयोग इस बैंड ने किया। पंडाल में बुजुर्गो, बच्चों महिलाओं ने उन गीतों पर जमकर डांस किया।