रमजान मुबारक: तन और मन को पाक करता है रमजान
यह वह महीना है जब हम रोजा के माध्यम से शरीर को विकार-मुक्त तो करते ही हैं, पांच वक्त नमाज और कुरान के अध्ययन से मन को भी पाक कर लेते हैं। यह साल के बारह महीनों में सबसे अधिक मुबारक महीना है।
यह वह महीना है जब हम रोजा के माध्यम से शरीर को विकार-मुक्त तो करते ही हैं, पांच वक्त नमाज और कुरान के अध्ययन से मन को भी पाक कर लेते हैं। रमजान का पाक महीना सभी के लिए एक मौका देता है कि वे खुद के द्वारा जाने-अनजाने में किए गुनाहों के लिए तौबा करें। यह माफी का महीना होता है। यह साल के बारह महीनों में सबसे अधिक मुबारक महीना है।
घर से सभी सदस्य जब एक साथ रोजा रखते हैं और इफ्तार करते हैं तो बड़ों के साथ-साथ बच्चों में भी संस्कार बनते हैं। रमजान के दौरान जो अल्लाह की इबादत करता है उनके लिए नेकी का सवाब बाकी दिनों की तुलना में कई गुना अधिक बढ़ जाता है। रमजान हमें सिखाता है कि हमें किसी भी जीव को सताना नहीं चाहिए। अल्लाह ने सभी के लिए रहम और मोहब्बत बख्शी है। फिर हम क्यों इसे नफरत में जाया करें, रमजान के दौरान जो सबसे खास ध्यान रखने वाली बात है, वह है सब्र। रमजान हमें खुद पर काबू रखना सिखाता है। भूख और प्यास को काबू करना आसान है। लेकिन रमजान सिखाता है कि हम हाथ, कान, आंख और जुबान से कोई गुनाह न करें। सभी इंसान अल्लाह के नेक बंदे हैं। रमजान की नमाज की अपने आप में एक खास अहमियत है। साथ ही खान-पान तथा रहन-सहन का ध्यान रखना भी जरूरी है। इफ्तारी के समय अकेले न होकर समूह में इफ्तारी करें तो आपस में मोहब्बत बढ़ती है। रमजान खत्म होने पर ईद का त्योहार हम मिलकर मनाते हैं, अपने जरूरतमंद पड़ोसी की जरूरतों का ख्याल रखते हैं। जकात देना, खुदा की बंदगी और दूसरों का ख्याल रखना यह खास महीना हमें सिखा कर जाता है।
-डॉ. शबाना, जिला नागरिक अस्पताल