गिरते भूजल स्तर के कारण डार्क जोन में गुरुग्राम
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: साइबर सिटी में दिन-ब-दिन भूजल स्तर गिरता जा रहा है। इसी के मद्देनज
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: साइबर सिटी में दिन-ब-दिन भूजल स्तर गिरता जा रहा है। इसी के मद्देनजर गुरुग्राम को डार्क जोन में रखा गया है। भूजल विशेषज्ञों का कहना है कि समय रहते इस दिशा में ठोस प्रयास नहीं किए गए तो भविष्य में स्थिति विकराल रूप ले सकती है। इससे लोग पानी के लिए तरस सकते हैं। गुरुग्राम में जल संरक्षण से जुड़े लोगों का कहना है कि आम आदमी को अभी तक खतरे का ठीक से अंदाजा नहीं है। उन्हें इस मामले में जागरूक करने की जरूरत है। साथ ही सरकारी विभागों को सजग होकर ठोस उपाय करने होंगे। कहने के लिए तो बोरवेल पर पाबंदी है, लेकिन हकीकत में अवैध रूप से यहां बोरवेल का काम हो रहा है। इस पर अंकुश लगाने के लिए निगरानी प्रणाली को और मजबूत करने की जरूरत है।
वाटर हार्वे¨स्टग सिस्टम को लेकर भी ठोस काम नहीं हो रहा है। नगर निगम क्षेत्र में सौ से अधिक वाटर हार्वे¨टग सिस्टम लगे हैं। इसमें से सिर्फ 15 से 20 फीसद ही काम कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में भूमिगत जल का स्तर कैसे बढ़ेगा। विशेषज्ञों की मांग है कि गुरुग्राम में अवैध ही नहीं वैध बोरवेल पर भी अंकुश लगाने की जरूरत है। लागों के लिए पीने के लिए नहरी पानी की आपूर्ति को और बढ़ाने की जरूरत है। जब हर क्षेत्र में नहरी पानी का सुचारू संचालन होगा तो ही बोरवेल पर निर्भरता कम होगी। जल संरक्षण से जुड़े मुकेश का कहना है कि प्रशासनिक स्तर पर जल संरक्षण के नाम पर सिर्फ औपचारिकता ही निभाई जाती है। जानकारों का कहना है कि निर्माण के क्षेत्र में भूजल का सबसे अधिक दोहन किया जाता है। इस क्षेत्र में सबसे अधिक निगरानी की जरूरत है। बिल्डरों द्वारा निर्माण साइटों पर पर सिर्फ कहने के लिए ही ट्रीटेड पानी का इस्तेमाल होता है असल में यहां सबसे अधिक भूमिगत जल का ही इस्तेमाल किया जाता है।
2016 में गुरुग्राम का जल स्तर
खंड जल स्तर मीटर में
गुरुग्राम 36.21
सोहना 24.34
पटौदी 35.25
फरुखनगर 19.57
(गुरुग्राम में वर्ष 2016 में औसत भूमिगत जल स्तर 28.86 मीटर दर्ज किया गया है) भूजल स्तर को बढ़ाने लिए आम आदमी, सरकार और प्रशासन सभी को मिल कर प्रयास करना होगा। गुरुग्राम वैसे भी इस मामले में डार्क जोन में पहुंच गया है। अगर समय रहते नहीं चेते तो स्थिति भविष्य में विकराल रूप ले लेगी।
विवेक कंबोज, पर्यावरणविद्