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जल संचयन पर दें जोर, जलभराव की समस्या होगी दूर

गगनचुंबी इमारतों के शहर गुरुग्राम की सबसे बड़ी समस्या जलभराव की है। थोड़ी सी बारिश में ही सड़कों पर पानी भर जाता है। जलभराव के चलते सड़कों पर जाम लगता है। पिछले वर्षों में कई बार लगे महाजाम के चलते औद्योगिक नगरी की छवि लोगों के जहन में गलत बन चुकी है। बारिश से जलभराव व जाम के चलते सेक्टर व आलीशान सोसायटी में रहने वाले लोगों को परेशानी होती है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 11 Jul 2020 06:10 PM (IST)Updated: Sat, 11 Jul 2020 06:10 PM (IST)
जल संचयन पर दें जोर, जलभराव की समस्या होगी दूर
जल संचयन पर दें जोर, जलभराव की समस्या होगी दूर

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: गगनचुंबी इमारतों वाले इस शहर की सबसे बड़ी समस्या जलभराव की है। थोड़ी-सी बारिश में ही सड़कों पर पानी भर जाता है। जलभराव से सड़कों पर जाम लगता है। पिछले वर्षों में कई बार लगे महाजाम से औद्योगिक नगरी की छवि लोगों के जेहन में गलत बन चुकी है। बारिश से जलभराव व जाम से सेक्टर व आलीशान सोसायटी में रहने वाले लोगों को परेशानी होती है। कई बार तो यह भी देखने में आया कि सोसायटी में रहने वालों के वाहन जलभराव के चलते पानी में फंसकर बंद हो गए। इससे लोगों को पैदल ही अपने ठिकाने तक जाना पड़ा।

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दैनिक जागरण ने बरसात के मौसम में शहर के विभिन्न इलाकों में जलभराव की समस्या को लेकर एक वेबिनार आयोजित किया। इसमें विभिन्न आरडब्ल्यूए के पदाधिकारियों ने अपने विचार रखे। नगर निगम के पार्षद भी कार्यक्रम के हिस्सा बने। आरडब्ल्यूए के पदाधिकारियों ने कहा कि शहर में जलभराव की समस्या के समाधान के लिए जल संरक्षण पर प्रशासन को ध्यान देना चाहिए। जितना धन जलभराव की निकासी पर खर्च होता है, उससे कम खर्च में सेक्टर व सोसायटी में जल संरक्षण हो सकता है। जल संरक्षण करने से गिरते भूजल स्तर पर भी काबू पाया जा सकता है। जलभराव की समस्या पर ध्यान देने से ज्यादा आज पानी को सहेजने की जरूरत है।

वर्जन..

अरावली की पहाड़ियों से तीन तरफ से घिरे शहर में अरावली से आने वाले पानी से जलभराव की समस्या पैदा होती है। अरावली में अधिकतर चेक डैम आज जर्जर हालत में हैं। लगातार मिट्टी के कटाव से उनका अस्तित्व ही खत्म हो गया है। उन चेक डैम का जीर्णोद्धार कर नए चेक डैम बनाए जाने चाहिए। इससे अरावली का पानी शहर में नहीं आएगा। अरावली में ही चेक डैम में वर्षा जल संरक्षण होगा, तो भूजल स्तर भी ऊपर उठेगा।

डीडी शर्मा, अध्यक्ष, आरडब्ल्यूए, रेल विहार

शहर में जलभराव की समस्या बरसात में ही नहीं होती है। सीवर ओवरफ्लो होने से भी जगह-जगह सड़कों पर पानी भरा रहता है। हमारे सेक्टर में सीवरलाइन वर्ष 2000 में डाली गई थी, जो आज काफी छोटी पड़ रही है। जलनिकास के लिए बनी ड्रेन की साफ-सफाई के लिए मात्र खानापूर्ति होती है। ड्रेन आदि की सफाई के लिए बार-बार कहते रहते हैं। कोई भी अधिकारी सुनने को तैयार नहीं है। ड्रेन की साफ-सफाई समय पर हो, तो जलभराव की समस्या खत्म हो सकती हैं।

हरीश यादव, अध्यक्ष, आरडब्ल्यूए, सेक्टर-56

उप्पल साउथ एंड सोसायटी जहां बसी है, वहां अरावली की पहाड़ियों से आकर पानी जमा होता था। पानी तो आज भी आता है। उसी पानी से लोगों को जलभराव जैसी समस्या का जूझना पड़ता है। उसके लिए अरावली में या तो चेक डैम बने या उनकी सोसायटी में हार्वेस्टिंग सिस्टम की व्यवस्था हो। इससे बरसात का पानी हार्वेस्टिंग के माध्यम से जमीन में चला जाएगा। इससे भूजल स्तर ऊपर उठेगा और लोगों की जलभराव से मुक्ति मिलेगी।

राजेश खटाना, अध्यक्ष, आरडब्ल्यूए, उप्पल साउथ एंड सोसायटी

जलभराव की समस्या अबकी बरसात में और भी विकट हो सकती है। गुरुग्राम-सोहन रोड पर एलिवेटेड मार्ग का निर्माण हो रहा है। एलिवेटेड मार्ग के निर्माण के दौरान किसी भी काम को व्यवस्थित तरीके से नहीं किया जा रहा है। ओमेक्स प्लाजा से लेकर घासोला गांव तक सड़क का चौड़ीकरण कर जलनिकासी के लिए दोनों तरफ ड्रेन बनाया गया है। वह मिट्टी से भरा है। उसकी साफ-सफाई न होने जैसी लापरवाही से ही जलभराव की समस्या होती है।

राजीव अस्थाना, महासचिव, आरडब्ल्यूए, आर्केड पैटल्स

मैं तो कहता हूं कि जलभराव की समस्या को समस्या ही नहीं मानना चाहिए। जलनिकास की व्यवस्था की बजाय सेक्टरों और सोसायटी में वर्षा जल संचयन की जरूरत है। बारिश के पानी को वही संरक्षित कर देना चाहिए। बरसात के पानी को बहने ही न दिया जाए। इससे जलभराव की समस्या खुद खत्म हो जाएगी। उसकी चिता करने की जरूरत ही नहीं है। जल संचयन से दोहरा लाभ मिलेगा। समस्या खत्म होगी, तो भूजलस्तर भी ऊपर आएगा।

तेजराम यादव, अध्यक्ष आरडब्ल्यूए, एमटूके, औरा

दैनिक जागरण का यह वेबिनार एक सराहनीय कदम है। प्रशासन जलभराव की समस्या खत्म करने के लिए उल्टी गंगा बहा रहा है। हीरो होंडा चौक पर सर्वाधिक समस्या पैदा होती है। पानी का बहाव मानेसर की तरफ है, जबकि प्रशासन इस पानी को पंप लगाकर गुरुग्राम की तरफ लाने का प्रयास करता है। पानी को पंप लगाकर ड्रेन आदि में ले जाने की जरूरत ही नहीं है। जितना खर्चा पंप से पानी को इधर-उधर ले जाने में होता है, उससे कम खर्च में तो हार्वेस्टिंग हो सकती है। हार्वेस्टिंग सबसे बेहतर विकल्प है।

दिनेश अग्रवाल, प्रधान वैश्य फाउंडेशन एवं पूर्व अध्यक्ष, सेक्टर-14

सबसे पहले तो दैनिक जागरण को समस्या पर प्रशासन का ध्यान आकर्षित करने के लिए धन्यवाद। दैनिक जागरण हमेशा से ही समाज से जुड़े मुद्दों को उठाता रहा है। हम भी उसका लगातार सहयोग करते हैं। हमने लॉकडाउन के दौरान भी अखबार की सप्लाई पूरी तरह से व्यवस्थित करने का प्रयास किया। रही बात जलभराव की, तो इससे पूरा शहर परेशान हैं। इसके लिए प्रशासनिक अधिकारी ही जिम्मेदार हैं। जलनिकास की जो योजनाएं बनती हैं, वह केवल कागजों तक ही सीमित रह जाती हैं। जलनिकास की बजाय जल संचयन पर जोर दिया जाए।

अनीता शर्मा, अध्यक्ष, आरडब्ल्यूए, ट्यूलिप ऑरेंज

जलभराव की समस्या तो पूरे शहर में है। नगर निगम और दूसरी विकास एजेंसी इससे निजात दिलाने के लिए समय-समय पर कदम भी उठाती रहती है। ड्रेन की साफ-सफाई की व्यवस्था भी होती है। इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि जो पहले समय में पानी के निकास के लिए रास्ते बने हुए थे, आज विकास के चलते वे सभी रास्ते बंद हैं। वर्षा जल को निकलने के लिए रास्ता ही नहीं बचा। पानी सेक्टरों में ही जमा हो जाता है। इससे निजात पाने का सबसे बढि़या तरीका जल संचयन ही है।

जयवीर यादव, उपाध्यक्ष, आरडब्ल्यूए, विपुल व‌र्ल्ड बीसीडी-ब्लॉक

जलभराव की समस्या से बरसात के दिनों में हर व्यक्ति चितित रहता है। साउथ सिटी में भी सड़कों पर पानी जमा हो जाता है। इस बरसात के पानी को सहेजने की जरूरत है। इस पानी को धरती के अंदर ले जाना चाहिए। प्रशासन हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने के लिए प्रयास करेगा, तो सभी सोसायटी के लोग भी उसमें सहायता के लिए आगे आएंगे। आरडब्ल्यूए के माध्यम से हार्वेस्टिंग सिस्टम सभी सेक्टर व सोसायटी में लगाने चाहिए। इससे भूजल स्तर सुधरेगा, तो जलभराव की समस्या भी दूर होगी।

राकेश यादव, पूर्व उपाध्यक्ष, आरडब्ल्यूए, साउथ सिटी-टू

दैनिक जागरण को आरडब्ल्यूए के साथ वेबिनार करने के लिए शुभकामनाएं। जलभराव की समस्या कांग्रेस सरकार की देन है। प्रदेश में 10 साल तक कांग्रेस की सरकार रही। शहर में अधिकतर सोसायटी के लाइसेंस उसी दौरान दिए गए। बिल्डरों ने सरकार में शामिल लोगों के साथ मिलकर अपने हिसाब से नक्शे पास कराए। अरावली का पानी बादशाहपुर नदी के माध्यम से नजफगढ़ ड्रेन में जाता था। आज उस नदी का अस्तित्व ही खत्म हो गया है। ये छोटी-सी ड्रेन में बदल गई है। मैं मानता हूं कि कुछ प्रशासन की भी कमियां है। आने वाले समय में पानी और पार्किग ही सबसे बड़ी समस्या होगी। जलभराव से छुटकारा पाने के लिए हार्वेस्टिंग सिस्टम की जरूरत है।

कुलदीप यादव, नगर निगम पार्षद, वार्ड-29


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