क्राइम फाइल: आदित्य राज
शहर में कुछ स्थानों पर पुलिसकर्मी काफी सक्रिय दिखाई देते हैं। इन स्थानों में से एक हुडा सिटी मेट्रो स्टेशन। वहां पर आसपास पुलिसकर्मी इस तरह सक्रिय रहते हैं कि नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहन चालक उनसे बचकर निकल नहीं सकते।
साहब नंबर प्लेट तो देखो
शहर में कुछ स्थानों पर पुलिसकर्मी काफी सक्रिय दिखाई देते हैं। इन स्थानों में से एक हुडा सिटी मेट्रो स्टेशन। वहां पर आसपास पुलिसकर्मी इस तरह सक्रिय रहते हैं कि नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहन चालक उनसे बचकर निकल नहीं सकते। लेकिन अति उत्साह में कई बार वे ऐसा कर जाते हैं जिससे पूरी मेहनत पर पानी फिर जाता है। उनकी योग्यता के ऊपर सवाल खड़े होने लगे हैं। कुछ दिन पहले एक कार हुडा सिटी सेंटर मेट्रो स्टेशन से सेक्टर-43 की तरफ जैसे ही बढ़ी, वैसे ही दो पुलिसकर्मियों ने रोक लिया। चालक राजेश ने पूछा कि उसने ट्रैफिक नियमों का तो उल्लंघन किया नहीं फिर क्यों रोका गया। इस पर पुलिसकर्मियों ने कहा कि कार पुरानी है। चालक ने कहा कि साहब नंबर प्लेट तो देखो। इतनी बात सुनते ही दोनों पुलिसकर्मी ठिठक गए। दोनों ने आंखें नीची करते हुए हाथ से निकल जाने का इशारा किया।
मुख्यमंत्री के निर्देश का असर नहीं
साइबर सिटी में तैनात कुछ पुलिसकर्मी वारदात होने पर बदमाशों के पीछे भागने से पहले पीड़ित को ही अपने प्रश्नों के जाल में उलझाने का प्रयास करते हैं। यदि ऐसा करने के बजाय बदमाशों के पीछे भागें तो वे आसानी से पकड़ में आ सकते हैं। शनिवार रात प्रवीण कुमार नामक व्यक्ति थाने में अपनी शिकायत दर्ज कराने पहुंचे। उन्होंने कहा कि कुछ देर पहले उनके साथ वारदात हुई है। सुनते ही पुलिसकर्मियों को रवाना हो जाना चाहिए था लेकिन सवाल-जवाब करते रहे। तब तक प्रवीण कुमार के इलाके से यानी लगभग 50 किलोमीटर दूर से काफी लोग थाने पर पहुंच गए। यह हाल तब है जब गृहमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक कई बार कह चुके हैं कि शिकायत सामने आते ही एफआइआर दर्ज कर तत्काल प्रभाव से आगे की कार्रवाई शुरू कर दें। लगता है गृहमंत्री हों या मुख्यमंत्री, किसी की बात का कुछ पुलिसकर्मियों के ऊपर असर नहीं।
इनाम या सजा
एनकाउंटर स्पेशलिस्ट की पहचान बनाने वाले एक पुलिस अधिकारी को कुछ दिन पहले चौकी इंचार्ज बना दिया गया। इसे लेकर महकमे में कई तरह की चर्चाएं चल रही हैं। वैसे किसी को समझ में नहीं आ रहा है कि इस अधिकारी को इनाम दिया गया है या फिर सजा दी गई है। वर्षों तक जिसने क्राइम ब्रांच में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई उसे चौकी का प्रभारी क्यों बना दिया गया। साथ-साथ यह भी चर्चा चल रही है कि पुलिस आयुक्त केके राव को पता है कि किसे, कब और कहां तैनात करना है। जिस इलाके की चौकी का प्रभारी बनाया गया है, उस इलाके में क्राइम का ग्राफ काफी बढ़ा हुआ है। कुछ दिन पहले पुलिसकर्मियों के सामने से एटीएम चोर निकल गए। यही नहीं जिस गांव में पुलिस चौकी है, उसमें कितने अवैध हथियार हैं, इसका कोई अंदाज नहीं। संभवत इसी को देखते हुए ही चौकी प्रभारी बनाया गया है।
ताख पर डीसी का निर्देश
जिला उपायुक्त का निर्देश कुछ खाकी वालों के लिए मायने नहीं रखते। वे अपनी मर्जी के मालिक हैं। इससे पूरे पुलिस महकमे की किरकिरी हो रही है। यही नहीं समझाने के बाद भी कुछ समझने को तैयार नहीं। कहते हैं उन्हें सबकुछ पता है। अब शिकायत सामने आने पर नींद हराम है। दरअसल, पिछले सप्ताह सेक्टर-54 इलाके में संचालित एक प्रतिष्ठान में कुछ पुलिसकर्मी जांच करने के नाम पर पहुंच गए। सभी कर्मचारियों से अपना कोविड सर्टिफिकेट दिखाने को कहा। एक कर्मचारी के पास दोनों टीका लगवाने का सर्टिफिकेट नहीं था, क्योंकि दूसरी टीका लगवाने का समय अभी पूरा नहीं हुआ है। पुलिसकर्मी चालान काटने लगे तो कर्मचारियों ने कहा कि आप ऐसा नहीं कर सकते लेकिन वे नहीं माने। जिला उपायुक्त द्वारा कई बार कहा जा चुका है कि जिनको पहला टीका लगा है और दूसरे टीके का समय नहीं हुआ है, वैसी स्थिति में चालान नहीं काटा जाएगा।