क्राइम फाइल: आदित्य राज
शहर में हर तरफ खाकी वाले चालान की पर्ची लेकर खड़े मिल जाएंगे। यदि किसी ने हेलमेट नहीं पहन रखा हो या सीट बेल्ट न लगा रखी हो तो इस तरह उसे पकड़ने के लिए दौड़ते हैं जैसे बड़ा अपराधी हो।
खाकी वाले हैं फिर किस बात का डर
शहर में हर तरफ खाकी वाले चालान की पर्ची लेकर खड़े मिल जाएंगे। यदि किसी ने हेलमेट नहीं पहन रखा हो या सीट बेल्ट न लगा रखी हो तो इस तरह उसे पकड़ने के लिए दौड़ते हैं, जैसे बड़ा अपराधी हो। ठीक है ट्रैफिक नियमों का पालन कराने के लिए सख्ती आवश्यक है, लेकिन नियम सभी के लिए एक समान होने चाहिए। सड़कों पर पुलिसकर्मी बिना हेलमेट के ही बाइक चलाते दिख जाएंगे, उन्हें न कोई रोकने वाला है न टोकने वाला। शहर में ट्रैफिक पुलिस सबसे अधिक सक्रिय अग्रवाल धर्मशाला चौक से लेकर महावीर चौक तक दिखाई देती है। लेकिन आम लोगों के लिए, अपने लोगों के लिए नहीं। पिछले सप्ताह एक बाइक से दो पुलिसकर्मी उसी जगह से निकल रहे थे, जहां पर सबसे अधिक ट्रैफिक पुलिसकर्मी सक्रिय रहते हैं। ऐसा देख बाइक से जा रहे राजकुमार बोल पड़े, खाकी है फिर खाकी से किस बात का डर। सीपी की तनी भृकुटी से उड़ी नींद
केवल एफआइआर दर्ज करना भर अपनी जिम्मेदारी मान बैठे थाना प्रभारियों को कड़ाके की सर्दी में पसीने आ रहे हैं। नींद भी हराम हो गई है। कुछ दिनों से दिन-रात अपने इलाके में दौड़-भाग कर रहे हैं, लेकिन फिर भी चोर तक पकड़ में नहीं आ रहे। कैब में सवारी को बैठाकर लूट की वारदात करने वाले चालकों के ऊपर भी लगाम नहीं लग पा रही है। इससे उनकी चिता बढ़ गई है। दरअसल, पुलिस आयुक्त केके राव ने पिछले सप्ताह समीक्षा बैठक के दौरान तेवर तीखे करते हुए न केवल एक थाना प्रभारी को निलंबित कर दिया बल्कि एक को लाइन हाजिर करने का आदेश जारी किया। यहां तक कह दिया है कि जैसे ही लापरवाही की शिकायत उनके सामने आएगी, वैसे ही सीधा निलंबन होगा। सभी को चिता है कि आरोपित नहीं पकड़े गए तो अगली समीक्षा बैठक के दौरान निलंबित अधिकारियों में उनका भी नाम शामिल होगा। जेल पहुंच गए फिर कैसा डर
कहा जाता है कि किसी को डराने की सीमा होती है। जब डराने वाला सीमा को पार कर जाता है फिर सामने बेखौफ हो जाता है। कुछ ऐसा ही मामला कुछ दिन पहले सामने आया। साइबर क्राइम थाना पुलिस ने कुछ महीने पहले हंस एन्क्लेव निवासी संजय कुमार को जाब दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी करने के मामले में गिरफ्तार किया था। हालांकि वह अपने आपको निर्दोष बताता रहा, लेकिन उसे जेल भेज दिया गया। गिरफ्तारी के दौरान उसकी सोने की चेन पुलिसकर्मियों ने अपने पास रख ली थी। संजय ने डर से कुछ नहीं बोला। जमानत पर बाहर आने के बाद उसने सोचा कि जब जेल चला ही गया फिर डर कैसा। चेन छीनने की शिकायत सहायक पुलिस आयुक्त करण गोयल से कर दी। इस पर दोनों पुलिसकर्मी मनोज एवं संदीप को निलंबित कर दिया गया। उन्हें विभागीय जांच के बाद जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है।
किसान आंदोलन से मिली राहत
किसान आंदोलन से जिले के कई खाकी वाले राहत महसूस कर रहे हैं। उनके तबादले का आर्डर हो चुका है, लेकिन आंदोलन को देखते हुए उन्हें रिलीव नहीं किया गया है। कुछ दिन पहले पुलिस महानिदेशक मनोज यादव ने जिले में तैनात पुलिस इंस्पेक्टर रैंक के छह अधिकारियों को स्थानीय स्तर पर ही इधर-उधर नहीं, बल्कि जिले से बाहर भेजने का आदेश जारी कर दिया। उस समय तक ऐसा लग रहा था कि आंदोलन कर रहे किसान 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च नहीं निकालेंगे। आर्डर जारी होने के बाद सामने आया कि किसान मानने को तैयार नहीं। इस वजह से किसी को रिलीव नहीं किया गया है। चर्चा है कि 26 जनवरी के बाद कई अन्य अधिकारियों को भी जिले से बाहर भेजने को लेकर सूची तैयार की जा रही है। इसे देखते हुए अधिकारियों ने अपने-अपने इलाके में काफी सक्रियता बढ़ा दी है ताकि इमेज कुछ ठीक हो सके।