क्राइम फाइल: आदित्य राज
दिल्ली में कोरोना वायरस का संक्रमण अधिक होने की वजह से गुरुग्राम पुलिस सीमावर्ती इलाकों के नाकों पर अभूतपूर्व सख्ती दिखा रही है।
क्या दिल्ली भारत में नहीं, पाकिस्तान में है
दिल्ली में कोरोना वायरस का संक्रमण अधिक होने की वजह से गुरुग्राम पुलिस सीमावर्ती इलाकों के नाकों पर अभूतपूर्व सख्ती दिखा रही है। चाहे कोई भी हो अगर ई-पास नहीं है तो सीमा के भीतर प्रवेश नहीं। शनिवार सुबह कई बाइक सवार सिरहौल बॉर्डर तक पहुंच गए। बॉर्डर पर तैनात एक महिला पुलिसकर्मी ने सभी को रोक दिया। सभी विनती करते रहे कि लेकिन उन्होंने किसी की नहीं सुनी। इस पर कई नाराज युवाओं को यह कहते सुना गया कि क्या दिल्ली पाकिस्तान में है? देश की राजधानी दिल्ली है। दिल्ली से आने वाले लोगों को गुरुग्राम पुलिस ऐसे देखती है जैसे कोई अपराधी हों। कापसहेड़ा बॉर्डर, आया नगर बॉर्डर, सालापुर बॉर्डर पर भी यही हाल है। आखिर दिल्ली रहने में बुराई क्या है? सहायक पुलिस आयुक्त (उद्योग) बिरम सिंह कहते हैं कि कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए सख्ती बरती जा रही है, न कि किसी से दुश्मनी है।
वकील किसको बताएं हाल
वैश्विक महामारी कोरोना ने बाकी लोगों की तरह ही कई वकीलों को भी गहरा दर्द दिया है। अंतर इतना है कि श्रमिक अपना दर्द बयां कर रहे हैं, लेकिन वकील नहीं। कई वकील किराये के घरों में रहते हैं। दो महीने से काम बंद होने की वजह से उनके सामने भी आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। वे दबी जुबान से अपनी बात उठाते हैं लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं। सभी को लगता है कि वकील तो अमीर होते हैं। उन्हें क्या पता कि अदालत में काम चलेगा तभी तो वकीलों का भी घर चलेगा। वकीलों के ऊपर भी मकान मालिकों का दबाव है। वे कहां से किराया दें, जब कमाई नहीं हो रही। जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मीर सिंह यादव कहते हैं कि सभी लोगों की आर्थिक स्थिति एक जैसी नहीं होती है। ऐसे में सरकार को वकीलों पर, खासकर नए वकीलों पर भी ध्यान देना चाहिए। कर्तव्यनिष्ठा दिखाओ, ईनाम पाओ
पुलिस आयुक्त कार्यालय में ईमानदारी से जिम्मेदारी निभाने वाले इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारियों को सीधे थाना प्रभारी पद का ईनाम दिया जा रहा है। हाल फिलहाल ही इंस्पेक्टर वेदप्रकाश को सेक्टर पांच थाने का, जबकि महेश कुमार को सेक्टर-40 थाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसे लेकर महकमे में चर्चा चलने लगी है कि पुलिस आयुक्त कार्यालय में पोस्टिग कराकर अपनी कर्तव्यनिष्ठा दिखाओ और कुछ ही दिनों में ईनाम पाओ। दरअसल, पुलिस आयुक्त कार्यालय में तैनात अधिकारी सीधे आयुक्त मोहम्मद अकील की नजर में होते हैं। सुबह से लेकर शाम तक अपने कार्यालय में तैनात अधिकारियों को वह मन ही मन पढ़ते रहते हैं। जैसे ही उन्हें महसूस होता है कि अमुक अधिकारी थाना प्रभारी के तौर पर सही रहेगा, उसे जिम्मेदारी पकड़ा दी जाती है। इसे देखते हुए जो अधिकारी खुड्डे लाइन में हैं, वो भी चाहते हैं कि किसी तरह उनकी पोस्टिग पुलिस आयुक्त कार्यालय में हो जाए। गब्बर को ट्वीट से भी खाकी पर असर नहीं
पूरे प्रदेश में गब्बर के नाम से मशहूर गृह मंत्री अनिल विज की धमक कम होती दिख रही है। एक मामले में उनको ट्वीट किए जाने के बाद महकमे के कुछ अधिकारी सुनवाई नहीं की। 15 मई को गांव सुखराली में किराये पर रहने वाले एचडीएफसी बैंक में प्रबंधक अनमोल गुप्ता के घर में चोरी हो गई थी। 14 दिन बाद भी जब कार्रवाई आगे नहीं बढ़ी तो उन्होंने सीधे यह सोचकर गृह मंत्री को ट्वीट कर दिया कि अब तो संबंधित अधिकारियों के कान खड़े हो जाएंगे और वे जल्द से जल्द आरोपितों को ढूंढ निकालेंगे। ट्वीट करने के बाद भी अधिकारियों की सेहत पर असर न होता देख अनमोल गुप्ता निराश हैं। वे कहते हैं कि बहुत उम्मीद के साथ गृह मंत्री को ट्वीट किया था। फिर भी कार्रवाई आगे नहीं बढ़ रही है। आखिर घर में चोरी की शिकायत लेकर किसके पास लेकर जाएं। कौन सुनवाई करेगा।