सीएंडडी वेस्ट: निपटान नहीं ढेर लगाने के लिए खर्चे 20 करोड़
सीएंडडी वेस्ट (कंस्ट्रक्शन एंड डिमालिशन) यानी मलबे के निपटान नहीं सिर्फ इसका ढेर लगाने में ही नगर निगम ने पिछले नौ माह में 20 करोड़ रुपये खर्च कर दिए। इतनी राशि में बेहतरीन ढ़ंग से मलबे का निपटान किया जा सकता है।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: सीएंडडी वेस्ट (कंस्ट्रक्शन एंड डिमालिशन) यानी मलबे के निपटान नहीं, सिर्फ इसका ढेर लगाने में ही नगर निगम ने पिछले नौ माह में 20 करोड़ रुपये खर्च कर दिए। इतनी राशि में बेहतरीन ढ़ंग से मलबे का निपटान किया जा सकता है। करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद शहर के खाली प्लाटों, सरकारी जमीन और ग्रीन बेल्ट में मलबे के ढेर लगे हुए हैं।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल निपटान के आदेश दिए थे, लेकिन नगर निगम ने बिल्कुल इसके उलट मलबे को एक जगह से दूसरी जगह डालकर ढेर लगा दिए। नगर निगम में मलबा उठान के कार्य और प्लांट पर दो एजेंसी काम कर रही है। बता दें कि पार्षदों ने निगम सदन की बैठक में भी सीएंडी वेस्ट उठान को घोटाला बताते हुए इसकी जांच करने की मांग की थी। लेकिन निगम में जांच कमेटी गठित कर इसकी खानापूर्ति कर दी गई।
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720 रुपये प्रति टन हो रहा भुगतान
नगर निगम की ओर से प्रगति एजेंसी शहर में मलबा उठाने का काम कर रही है। अगर कोई व्यक्ति अपना पुराना मकान तोड़ता है तो एजेंसी 720 रुपये प्रति टन के हिसाब से मलबा उठाती है। निगम की ओर से एजेंसी को 360 रुपये प्रति टन के हिसाब से भुगतान होता है। इसी तरह मलबा डंपिग प्वाइंट से बसई सीएंडडी प्लांट तक आइएल एंड एफएस एजेंसी मलबा लेकर जाती है। इस एजेंसी को भी प्रति टन 360 रुपये मिलते हैं। पार्षदों का कहना है कि मलबे से निगम को कुछ भी आय नहीं हुई, बल्कि निजी एजेंसी चालान काटकर जुर्माना वसूल रही है। ज्यादातर सीएंडडी वेस्ट में मिट्टी निकल रही है। उधर प्लांट में काम कर रही एजेंसी भी वेस्ट की छंटाई कर इसे प्राइवेट जगहों पर बेच रही है। इन जगहों पर लगे मलबे के ढेर
शहर में दिल्ली -जयपुर हाइवे के किनारे सेक्टर 16 बूस्टिग स्टेशन के नजदीक मलबा पड़ा हुआ है। इसके अलावा सेक्टर 29 की खाली जमीन पर मलबे के ढेर लगे हुए हैं। सेक्टर 52 में गांव वजीराबाद के नजदीक ग्रीन बेल्ट और खाली जमीन पर करीब डेढ़ एकड़ जमीन पर मलबा डाल दिया गया है।
पार्षद बोले, मलबे का निपटान नहीं हो रहा
-सेक्टर 52 की ग्रीन बेल्ट में मलबे का ढेर लगा दिया है। इसके साथ लगती जमीन पर फूल मंडी बनाने की योजना है, लेकिन मलबे का पहाड़ बना हुआ है। एजेंसी मलबा नहीं उठा रही है। इस बारे में निगम अधिकारियों को अवगत करवाने के बाद भी कुछ काम नहीं हुआ। स्थानीय लोग परेशान हैं।
कुलदीप बोहरा, पार्षद मलबे का निपटान बेहतरीन ढ़ंग से होना चाहिए। मलबा डालने के लिए 15 स्थान निर्धारित नहीं किए गए हैं। मामले के लिए जांच कमेटी गठित की गई थी, लेकिन मलबा निपटान कार्य शुरू नहीं किया गया है।
रविद्र यादव, पार्षद