बिल्डरों के ठिकाने पर सीबीआइ की छापेमारी
गांव उल्लावास सहित सात गांवों की 1417 एकड़ भूमि के अधिग्रहण मामले में शुक्रवार को सीबीआइ ने शहर में 17 जगहों पर छापेमारी की। इससे सभी बिल्डरों में दिन भर हड़कंप मचा रहा। छापेमारी की कार्रवाई कई घंटे चली। छापेमारी में क्या कुछ सामने आया, यह जानकारी सामने नहीं आ पाई। वर्ष 2009 के दौरान प्रदेश सरकार ने 1417 एकड़ जमीन का अधिग्रहण करने के लिए सेक्शन चार लागू किया था।
जासं, गुरुग्राम : गांव उल्लावास सहित सात गांवों की 1417 एकड़ भूमि के अधिग्रहण मामले में शुक्रवार को सीबीआइ ने शहर में 17 जगहों पर छापेमारी की। इससे सभी बिल्डरों में दिन भर हड़कंप मचा रहा। छापेमारी की कार्रवाई कई घंटे चली। छापेमारी में क्या कुछ सामने आया, यह जानकारी सामने नहीं आ पाई। वर्ष 2009 के दौरान प्रदेश सरकार ने 1417 एकड़ जमीन का अधिग्रहण करने के लिए सेक्शन चार लागू किया था। वर्ष 2012 के दौरान अचानक अधिग्रहण रद कर दिया गया था। शिकायत है कि अधिग्रहण रद करने से पहले 15 बिल्डरों ने एक हजार एकड़ से अधिक जमीन किसानों को अधिग्रहण का भय दिखाकर खरीद ली थी। मानेसर जमीन घोटाले को उजागर करने में विशेष भूमिका निभाने वाले पूर्व सरपंच ओमप्रकाश यादव कहते हैं कि कांग्रेस शासन के दौरान जमीन अधिग्रहण के लिए किसानों को बहुत डराया गया। गांव उल्लावास सहित सात गांवों में भी मानेसर इलाके की तरह ही बिल्डरों ने किसानों को डराया था। किसानों को यह कहकर डराया जाता था कि यदि सरकार जमीन अधिगृहीत करेगी तो उन्हें बहुत कम पैसे मिलेंगे। छापेमारी के बारे में सीबीआइ प्रवक्ता आरके गौड़ ने बताया कि दिल्ली, रोहतक, गुरुग्राम सहित कई जगहों पर एक साथ छापेमारी की गई।