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डिजिटल सिक्योरिटी मामले में कई स्तरों पर खतरा

डिजिटल युग में साइबर सिक्योरिटी बहुत बड़ी जरूरत है। इससे किसी भी क्षेत्र का व्यक्ति इनकार नहीं कर सकता है। टेक्नोलॉजी विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाला समय साइबर वार है। यही कारण है कि देश ही नहीं दुनिया भर के देशों में साइबर सिक्योरिटी को लेकर लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। यूरोप के देशों और अमेरिका की तुलना में भारत की स्थिति इस मामले में अभी कमजोर है। यहां लोगों को पता ही नहीं है कि उनका डाटा कहां-कहां और किस रूप में है। उसका दुरुपयोग किस प्रकार से हो रहा है या हो सकता है इसकी भी जानकारी नहीं है। डाटा चोरी व है¨कग मामलों में भारत का विश्व में 5वां स्थान है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 15 Jan 2019 07:34 PM (IST)Updated: Tue, 15 Jan 2019 07:34 PM (IST)
डिजिटल सिक्योरिटी मामले में कई स्तरों पर खतरा
डिजिटल सिक्योरिटी मामले में कई स्तरों पर खतरा

यशलोक ¨सह, गुरुग्राम

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डिजिटल युग में साइबर सिक्योरिटी बहुत जरूरी है। टेक्नोलॉजी विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाला समय साइबर वार का है। यही कारण है कि देश ही नहीं दुनिया भर के देशों में साइबर सिक्योरिटी को लेकर लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। यूरोप के देशों और अमेरिका की तुलना में भारत की स्थिति इस मामले में अभी कमजोर है। यहां लोगों को पता ही नहीं है कि उनका डाटा कहां-कहां और किस रूप में है। उसका दुरुपयोग किस प्रकार से हो रहा है या हो सकता है इसकी भी जानकारी नहीं है। डाटा चोरी व है¨कग मामलों में भारत का विश्व में पांचवां स्थान है।

देश में इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। लोग इंटनेट के जरिए अलग-अलग प्रकार की वेबसाइट, सोशल साइट्स व पोर्टल को एक्सेस कर रहे हैं, मगर अपने डाटा प्रोटेक्शन के मामले में जागरूक नहीं हैं। फेसबुक, ट्विटर, वाट्सएप, इंस्टाग्राम जैसी कई सोशल साइटों के पास लोगों से संबंधित कई प्रकार की जानकारियां हैं। वह इनका इस्तेमाल कैसे कर रहे हैं व डाटा कहां सेव है, इसके बारे में जानकारी नहीं है। जबकि अमेरिका जैसे देशों द्वारा इसके सीईओ से पूछा जाता है डाटा कहां है। वहां इन पर सरकार की निगहबानी है। यूरोप में तो डाटा सिक्योरिटी को लेकर सख्त कानून हैं। यहां भी ऐसा होना चाहिए।

सिमेंटेक के डायरेक्टर सेल्स अमन थरेजा ने बताया कि साइबर संसार में डिजिटल डकैतों का बहुत बड़ा अड्डा है। आने वाले समय में इंसानी युद्ध से अधिक मशीन टू मशीन युद्ध होगा। साइबर सिक्योरिटी को खतरा स्टेक होल्डर, सर्विस डेवेलपमेंट व कमांड एंड कंट्रोल स्तर पर है। समिट में मौजूद साइबर सिक्योरिटी विशेषज्ञ दीपक भटनागर ने बताया कि साइबर सिक्योरिटी के तीन स्तर होते हैं, कैपेबिलिटी (क्षमता), सोल्यूशन (समाधान) एवं मैच्योरिटी लेवल (परिपक्वता स्तर)। इसमें से पहले मामले में देश में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। थोड़ी कसर दूसरे और तीसरे स्तर में है। समिट में मौजूद विशेषज्ञों ने कहा कि डाटा सिक्योरिटी मामले में सख्त नियम-कानून बनाना जरूरी है। साइबर सिक्योरिटी आज की सबसे बड़ी जरूरत है। डाटा की सुरक्षा के लिए यहां यूरोप जैसा सख्त कानून जरूरी है। अभी लोगों के डाटा कहां-कहां है उसका कैसे इस्तेमाल हो रहा है कोई जानकारी नहीं है।

- अनुराग चौधरी, साइबर विशेषज्ञ


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