Move to Jagran APP

बैलेंस शीट: यशलोक सिंह

उद्येाग जगत की चुनौतियां दिनों दिन बढ़ती ही जा रही हैं। जब से कोरोना वायरस का संकट शुरू हुआ है तब से उद्यमियों को अजीब सी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें रोजाना एक नया काम मिल गया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 13 Mar 2020 03:59 PM (IST)Updated: Fri, 13 Mar 2020 03:59 PM (IST)
बैलेंस शीट: यशलोक सिंह
बैलेंस शीट: यशलोक सिंह

बदहाल सड़कें लगा रहीं शान को बट्टा

loksabha election banner

साइबर सिटी के प्रमुख इंडस्ट्रियल हब उद्योग विहार के नाम और शान पर यहां की बदहाल सड़कें बट्टा लगा रही हैं। दूसरे राज्यों से आने वाले कारोबारी प्रतिनिधियों की नजर जब यहां की सड़कों पर पड़ती है, तो वह इसे लेकर कई प्रकार के सवाल पूछते हैं। यही कारण है कि स्थानीय उद्यमी लंबे समय से इन सड़कों की मरम्मत के लिए हरियाणा स्टेट इंडस्ट्रियल एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन पर दबाव बना रहे हैं। इसके बावजूद इसे लेकर अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। उद्यमी हरीश वत्स का कहना है कि यदि जल्द ही सड़कों की मरम्मत नहीं कराई गई तो यहां सड़कें कम, गड्ढे अधिक दिखेंगे। इन बदहाल सड़कों पर औद्योगिक वाहनों का ही नहीं साइकिल, मोटरसाइकिल और कारों से चलना भी दुश्वार होता जा रहा है। उद्यमियों का सवाल है कि क्या ऐसे इन्फ्रास्ट्रक्चर के बल पर देश-विदेश से औद्योगिक निवेश को हासिल करना संभव होगा? अब नए काम से उद्यमी परेशान

अर्थव्यवस्था की सुस्ती के दौर में उद्योग जगत की चुनौतियां कम नहीं हो रही हैं। अब जब से कोरोना का संकट शुरू हुआ है, उद्यमियों को रोजाना का एक नया काम मिल गया है। औद्योगिक एसोसिएशन की सलाह पर उनको यह पता लगाना है कि उनके यहां जो कर्मचारी काम कर रहे हैं, उन्हें स्वास्थ्य संबंधी कोई दिक्कत तो नहीं है। अगर कोई कर्मचारी किसी भी प्रकार से अस्वस्थ हो तो उसका पता लगाकर छुट्टी पर भेजना पड़ रहा है। औद्योगिक इकाइयों में हालात ऐसे हो गए हैं कि अगर यहां किसी कर्मचारी को छींक या खांसी भी आ जाए तो उसके अन्य साथी ही उसे शक की निगाह से देखने लग जाते हैं। सभी उससे दूरी बनाने लगते हैं। किसी के छींक या खांसी आने की शिकायत तुरंत प्रबंधन तक पहुंच रही है। उद्यमी किशन कपूर का कहना है कि इस समय अजीबोगरीब परिस्थितियों से जूझना पड़ रहा है।

तो आगे से मत बुलाना

केंद्र और प्रदेश सरकार के बजट को लेकर एक फरवरी को सिविल लाइंस स्थिति जिला स्वतंत्रता सेनानी भवन में भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता कृष्ण गोपाल अग्रवाल की अध्यक्षता में एक चर्चा का आयोजन किया गया। इसमें विभिन्न औद्योगिक प्रतिनिधियों सहित अन्य क्षेत्र के लोगों को आमंत्रित किया गया था। प्रवक्ता ने केंद्र और प्रदेश के बजट की अच्छाइयों को एक-एक कर गिना डाला, जिसे सभी प्रतिनिधियों ने ध्यानपूर्वक सुना। इसके बाद जब सवाल पूछने की बारी आई तो इन प्रतिनिधियों ने एक के बाद एक तीखे सवाल दागना शुरू किया। इस पर वहां मौजूद भाजपा पदाधिकारी सवाल करने वालों को बीच-बीच में रोकने-टोकने का प्रयास करने लगे। जिस समय हरियाणा टैक्स बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष आरएन यादव सवाल पूछ रहे तो बीच में उन्हें टोका गया। इसके बाद वह बिफर गए। कहा कि जब सवाल ही नहीं पूछने देना था, तो किस लिए बुलाया था। आगे से मत बुलाना। मुंबई भेजना महंगा, सिगापुर सस्ता

गारमेंट, ऑटोमोबाइल सहित अन्य प्रकार के औद्योगिक उत्पादों का दूसरे देशों में निर्यात करने वाले उद्यमी काफी परेशान हैं। इनका कहना है कि सिगापुर माल भेजना उनके लिए काफी सस्ता पड़ता है, जबकि देश के अंदर स्थित बंदरगाह तक इन्हें पहुंचाने में भारी-भरकम रकम खर्च करनी पड़ रही है। औद्योगिक सुस्ती को विश्वव्यापी कोरोना वायरस के संकट ने और बढ़ा दिया है। ऐसे में बंदरगाह तक इन उत्पादों को भेजने और वहां से इन्हें मंगाने के लिए निर्यातकों को विशेष आर्थिक सहायता की दरकार है। उद्यमी एसके आहूजा बताते हैं कि 20 फुट के कंटेनर को गुरुग्राम से मुंबई या गुजरात स्थित बंदरगाह भेजना काफी महंगा है। इसका किराया लगभग 50,000 रुपये आता है। जब यही माल बंदरगाह तक पहुंच जाता है तो उसे शिप द्वारा सिगापुर भेजने में मात्र 3000 रुपये खर्च होते हैं। कराची के लिए खर्च सिर्फ 5000 रुपये और यूरोप के लिए 50,000 रुपये पड़ता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.