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बैलेंस शीट: यशलोक सिंह

दबंग रेहड़ी वाले इंडस्ट्रियल एरिया उद्योग विहार के उद्यमियों के लिए बड़ी समस्या का कारण बनते जा रहे हैं। वह अपनी रेहड़ी उस स्थान पर लगाते हैं जहां उनकी मर्जी होती है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 31 Jan 2020 06:32 PM (IST)Updated: Fri, 31 Jan 2020 06:34 PM (IST)
बैलेंस शीट: यशलोक सिंह
बैलेंस शीट: यशलोक सिंह

खोद दी खाई और कहते हैं काम तो ऐसे ही चलेगा बजघेड़ा-राजेंद्रा पार्क रोड पर सीवर लाइन डालने का काम पिछले लगभग आठ महीने से जारी है। इसे लेकर लोगों के घरों एवं फैक्टरियों के सामने गहरे-गहरे गड्ढे खोद दिए गए हैं। इस कारण आनाजाना भी दुश्वार हो गया है। गड्ढे तो काफी पहले खोद दिए गए लेकिन इन पर चैंबर बनाने का काम काफी धीमी गति से चल रहा है। स्थानीय लोगों की शिकायत है कि ठेकेदार द्वारा यह काम मनमर्जी से किया जा रहा है। अमृत फीड फैक्टरी के संचालक राजन अग्रवाल का कहना है कि दो माह से चैंबर का काम लटका हुआ है। इससे उनकी फैक्टरी का काम बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। कच्चा माल मंगाने और तैयार माल फैक्टरी से बाहर भेजने में इससे बड़ी दिक्कत आ रही है। जब ठेकेदार से काम तेजी से निपटाने को कहा जाता है तो उसका रूखा सा जवाब होता है कि यह काम तो ऐसे ही चलेगा। दबंग रेहड़ी वाले मुसीबत

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दबंग रेहड़ी वाले इंडस्ट्रियल एरिया उद्योग विहार के उद्यमियों के लिए बड़ी समस्या का कारण बनते जा रहे हैं। वह अपनी रेहड़ी उस स्थान पर लगाते हैं, जहां उनकी मर्जी होती है। भले ही उनके इस काम से किसी को परेशानी हो रही हो, इससे उनका कोई लेनादेना नहीं होता है। यदि किसी ने अधिक टोकाटाकी की तो वह उससे हमेशा भिड़ने को भी तत्पर रहते हैं। उनकी दबंगई से उद्यमियों सहित औद्योगिक इकाइयों के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को अच्छी खासी परेशानी उठानी पड़ रही है। रेहड़ी वालों से जुड़ी यह समस्या उद्योग विहार के फेज एक से लेकर पांच तक में अब सामान्य सी बात हो गई है। कई स्थानों पर तो फैक्टरियों के गेट के सामने या उसके काफी करीब सटा कर यह रेहड़ियां लगा दी जा रही हैं। इन अतिक्रमणकारियों की मनमानी इस कदर बढ़ गई है कि वह हाथापाई करने पर भी आमादा हो जाते हैं।

-- ट्रिब्यूनल की उलझी पहेली

गुरुग्राम के उद्यमी प्रदेश सरकार की इस पहेली को अभी तक सुलझा नहीं सके हैं कि आखिर किस सोच-समझ के साथ गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) का अपीलेट ट्रिब्यूनल हिसार में बनाया गया है, जबकि गुरुग्राम प्रदेश का सबसे बड़ा औद्योगिक एवं कारोबारी हब है। जीएसटी संग्रह के मामले में प्रदेश के अन्य जिले गुरुग्राम के आसपास भी कहीं नहीं ठहरते हैं। दबी जुबान से उद्यमी प्रदेश सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं। उनकी मजबूरी है कि वह सरकार के निर्णय का खुलेआम विरोध भी नहीं कर सकते हैं, लेकिन उनका भरसक प्रयास यही है कि यह ट्रिब्यूनल किसी प्रकार से हिसार के स्थान पर गुरुग्राम में स्थापित हो जाए। शहर के उद्यमियों का कहना है की जीएसटी से संबंधित विवादों के समाधान के लिए उन्हें हिसार दौड़कर जाना पड़ेगा। ऐसे में काफी दिक्कत होगी, क्योंकि हिसार और गुरुग्राम के बीच कोई सीधी कनेक्टिविटी भी नहीं है।

बिजली बिल में गड़बड़ी बनी मुसीबत

उद्यमियों से लेकर आमजन तक के बिजली बिल में आए दिन गड़बड़ियों के मामले आ रहे हैं। इससे सभी काफी परेशान हैं। जब कई दिनों तक वह बिजली निगम के दफ्तरों के चक्कर काटते हैं तो इसके बाद उनसे कहा जाता है कि उनके बिजली बिल को ठीक कराने के लिए बिजली निगम के हिसार कार्यालय भेज दिया गया है। उद्यमियों की शिकायत है कि यह बिजली बिल दो-दो माह बाद वहां से आता है। इसके बावजूद गड़बड़ी ठीक नहीं होती है। ऐसी स्थिति में उपभोक्ताओं की दिक्कत और बढ़ जाती है। गुड़गांव उद्योग एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रवीण यादव का कहना है कि 'करे कोई और भरे कोई' जैसी कहावत को बिजली निगम द्वारा इस समय चरितार्थ की जा रही है। यदि सरकार गुरुग्राम के बिजली बिलों से संबंधित गड़बड़ियों को ठीक करने की व्यवस्था हिसार के बजाय स्थानीय स्तर पर ही कर दे तो उपभोक्ताओं को बड़ी राहत मिलेगी।


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