किसानों को डराकर जमीन बेचने के लिए किया गया था मजबूर
बादशाहपुर व आसपास के गांवों की 1320 एकड़ जमीन घोटाले की जांच कर रही सीबीआइ टीम पर जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह से तल्खी दिखाई उससे किसानों को न्याय मिलने की उम्मीद जग गई है।
सत्येंद्र सिंह, गुरुग्राम
बादशाहपुर व आसपास के गांवों की 1320 एकड़ जमीन घोटाले की जांच कर रही सीबीआइ टीम पर जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह से तल्खी दिखाई उससे किसानों को न्याय मिलने की उम्मीद जग गई है। अदालत ने सीबीआइ को इस मामले की जांच दिसंबर 2017 में सौंपी थी और छह माह के अंदर जांच रिपोर्ट देने के निर्देश दिए थे। छह माह में जांच पूरी नहीं होने पर जांच एजेंसी ने अदालत से समय बढ़ाने की मांग की तो समय भी बढ़ा दिया गया था। क्या था मामला
जून 2009 में प्रदेश की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने बादशाहपुर व आसपास के गांवों की 1407 एकड़ जमीन का जनहित के लिए अधिग्रहित किया था। भूमि अधिग्रहण की धारा चार के तहत बादशाहपुर, घाटा, नगली अमरपुर, तिघरा, मैदावास, कादरपुर, रामगढ़ ढाणी व बैरमपुर गांवों की जमीन का अधिग्रहण करने का नोटिस दिया था। सेक्टर 58 से लेकर 67 तक विकसित करने के नाम पर अधिग्रहण करने को जमीदारों (किसानों)को नोटिस दे दिए गए थे। नोटिस मिलने के बाद लोगों ने अपनी जमीन बिल्डरों को सस्ते दामों में बेचनी शुरु कर दी थी।
1407 एकड़ जमीन में से 870 जमीन पर सेक्शन छह लागू किया गया। उसके बाद मात्र 87 एकड़ जमीन को ही अधिग्रहित किया गया। ये 87 एकड़ भी वह जमीन थी जो किसानों ने बिल्डरों को बेची नही। बाकी सभी जमीन रिलीज कर दी गई। बिल्डरों से जमीन खरीदने के बाद बड़ी-बड़ी इमारत इस जमीन में खड़ी कर दी थी। किसानों को डराया गया था कि उनकी जमीन को बीएसएफ कैंप के लिए अधिग्रहित किया जा रहा है। कुछ बिल्डरों ने अपने आदमी भी हरी जिप्सी में बीएसएफ अफसर बता भेजे थे। यह किसान सीबीआइ को बता चुके हैं।
बादशाहपुर के रहने वाले देवदत्त शर्मा ने सरकार की कार्यशैली को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। देवदत्त ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी कि सरकार ने उसकी जमीन को बिना किसी वजह के अधिग्रहित कर लिया। हाईकोर्ट ने देवदत्त की 16 कनाल 10 मरला जमीन को रिलीज करने के आदेश जारी कर दिए। हाईकोर्ट के इस फैसले को प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सरकार की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज करते हुए पूरे मामले की जांच सीबीआइ को करने का कहा था।
किसान अमरचंद, मैदाराम ने कहा कि सीबीआइ टीम गांव आकर पूरी तहकीकात कर ले गई थी। जिला योजनाकार विभाग से दस्तावेज भी लिए गए थे। जांच के दायरे में कई बिल्डर थे उनके भी बयान दर्ज हुए थे। अदालत जांच से क्यों नहीं संतुष्ट यह तो नहीं बता सकते पर हमें उम्मीद है कि न्याय मिलेगा।