अब तीन साल की उम्र के बाद ही होगा प्री-नर्सरी में दाखिला
पलवल मौलिक शिक्षा निदेशालय ने निजी स्कूलों में नर्सरी व प्री नर्सरी कक्षाओं के दाखिले संबंधित निर्देश जारी कर दिए हैं। अब प्री नर्सरी में दाखिले की उम्र 31 मार्च को होनी चाहिए कम से कम तीन वर्ष होनी चाहिए। पहले यह दो वर्ष निर्धारित थी। इसके अलावा प्रत्येक सेक्शन में 20 से अधिक बच्चे न रखने, पहले आओ पहले पाओ के आधार पर दाखिला देने और टेस्ट न लेने जैसे कई निर्देश जारी किए हैं।
सुरेंद्र चौहान, पलवल
मौलिक शिक्षा निदेशालय ने निजी स्कूलों में नर्सरी व प्री नर्सरी कक्षाओं के दाखिले संबंधित निर्देश जारी कर दिए हैं। अब प्री नर्सरी में दाखिले की उम्र 31 मार्च को होनी चाहिए कम से कम तीन वर्ष होनी चाहिए। पहले यह दो वर्ष निर्धारित थी। इसके अलावा प्रत्येक सेक्शन में 20 से अधिक बच्चे न रखने, पहले आओ पहले पाओ के आधार पर दाखिला देने और टेस्ट न लेने जैसे कई निर्देश जारी किए हैं।
दरअसल, निजी स्कूलों के संचालकों ने पहली कक्षा से नीचे नर्सरी, प्री नर्सरी में केजी, केजी टू आदि कक्षाओं में दाखिले किए जाते हैं, जिनमें दो साल से भी कम उम्र के भी बच्चों को दाखिला दे दिया जाता है। दाखिले के दौरान बच्चों के टेस्ट के अलावा अभिभावकों से भी उनकी पढ़ाई और स्टेटस संबंधित सवाल किए जाते हैं। बच्चों की वर्दी और किताबों के नाम पर मोटी वसूली की जाती है। बड़े स्कूलों में जिन अभिभावक का स्टेट्स अच्छा होता है, उनके बच्चों को दाखिले में वरियता दी जाती है, जिससे मध्यम तबके के लोग अपने बच्चों को अच्छे स्कूलों में दाखिला दिलाने से वंचित रह जाते हैं। दूसरा कम उम्र में स्कूल जाने के चलते बच्चों का मानसिक विकास भी कम हो पाता है, उन्हें खेलकूद और अभिभावकों के साथ ज्यादा समय बिताने का मौका भी नहीं मिलता है।
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार को दाखिले संबंधित निर्देश जारी किए थे, जिस पर अमल करते हुए शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके दास ने निर्देश जारी किए हैं। निर्देशों में नए शैक्षिक सत्र से प्री स्कूल कक्षा वन में दाखिले की उम्र कम से कम तीन वर्ष, प्री स्कूल कक्षा टू के लिए कम से कम चार साल होनी आवश्यक है। दाखिले के दौरान छात्रों की लिखित या मौखिक किसी प्रकार का परीक्षा नहीं ली जाएगी। छात्रों के परिवार की धर्म, जाति, ¨लग, सामाजिक-आर्थिक स्थिति को लेकर कोई भेदभाव नहीं बरता जाएगा। एक किलोमीटर के दायरे में रहने वाले छात्रों को वरियता दी जाएगी और स्कूली कर्मचारियों के बच्चों, दिव्यांग, अकेला अभिभावक, बेटी आदि का कोटा निर्धारित रहेगा।
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प्री स्कूल में दाखिले के लिए बच्चे की आयु बढ़ाने से बच्चों को कुछ और समय घर पर अभिभावकों के बीच बिताने का मिलेगा, जिससे उनका समुचित विकास हो सकेगा। सरकार व विभाग द्वारा बच्चों और शिक्षा में गुणवत्ता के लिए अच्छे कदम उठाए जा रहे हैं। निजी स्कूल भी इसमें सहयोग करें।
- सुमन नैन, संयुक्त निदेशक एवं जिला शिक्षा अधिकारी