निर्भया कांड के बाद किशोर को संगीन मामलों में बालिग मानने के कानून को दी चुनौती
प्रिस हत्याकांड में आरोपित भोलू के अधिवक्ता ने निर्भया कांड के बाद किशोर को संगीन मामलों में बालिग की तरह सजा दिए जाने के कानून को चुनौती दी है।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: प्रिस हत्याकांड में आरोपित भोलू के अधिवक्ता ने निर्भया कांड के बाद किशोर को संगीन मामलों में बालिग की तरह सजा दिए जाने के कानून को चुनौती दी है। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने मंगलवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता को उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन केस के सभी दस्तावेज प्रस्तुत करने को कहा है। मामले की सुनवाई 8 अप्रैल को होगी।
पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता सुशील टेकरीवाल ने बताया कि भोलू के वकील ने निर्भया हत्याकांड के बाद बने कानून को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में चुनौती दी है। निर्भया कांड के बाद सरकार ने संगीन अपराधों में 16 साल से ऊपर के आरोपित को बालिग मानकर आजीवन कारावास का प्रविधान करने का कानून बनाया था। प्रिस हत्याकांड में भी हत्या के समय आरोपित भोलू (दोनों नाम अदालत द्वारा दिया गया) की उम्र साढ़े 16 वर्ष थी। भोलू उसी समय से बाल संरक्षण गृह में बंद है।
भोलू के अधिवक्ता ने इस कानून को निरस्त करने की याचिका दायर की। याचिका पर अदालत में मंगलवार को सुनवाई करते हुए कहा कि किसी भी कानून को खत्म करना कोई सहज बात नहीं है। मामला पहले ही उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है। अदालत ने आरोपित भोलू को बालिग मान कर मुकदमाचलाए जाने संबंधी उच्चतम न्यायालय में प्रस्तुत किए गए सभी दस्तावेज देने को कहा है। सुनवाई के बाद अदालत ने 8 अप्रैल को सुनवाई की अगली तारीख तय की है। बता दें कि सात साल के प्रिस की उसके स्कूल परिसर में ही गला रेतकर हत्या कर दी गई थी। सीबीआइ ने इस मामले में स्कूल के छात्र को आरोपित बनाया था।