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महिलाओं को कानूनी रूप से सशक्त बना रही हैं एडवोकेट रजिया परवीन

महिलाएं पढ़ी -लिखी हों या अनपढ़ उनका आत्मनिर्भर व सशक्त होना बेहद जरूरी है। समाज महिलाओं को भले ही कमजोर करने में लगा है लेकिन कुछ ऐसी महिलाएं भी हैं जो स्वयं आत्मनिर्भर व सशक्त बन अन्य महिलाओं को भी सशक्त बनाने का प्रयास कर रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 04 Jan 2021 07:09 PM (IST)Updated: Mon, 04 Jan 2021 07:09 PM (IST)
महिलाओं को कानूनी रूप से सशक्त बना रही हैं एडवोकेट रजिया परवीन
महिलाओं को कानूनी रूप से सशक्त बना रही हैं एडवोकेट रजिया परवीन

सोनिया, गुरुग्राम

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महिलाएं पढ़ी -लिखी हों या अनपढ़, उनका आत्मनिर्भर व सशक्त होना बेहद जरूरी है। समाज महिलाओं को भले ही कमजोर करने में लगा है लेकिन कुछ ऐसी महिलाएं भी हैं, जो स्वयं आत्मनिर्भर व सशक्त बन अन्य महिलाओं को भी सशक्त बनाने का प्रयास कर रही हैं। महिलाओं को उनके अधिकार और सम्मान दिलाने में जुटी हैं शहर की सेक्टर-14 स्थित अनामिका एंक्लेव निवासी रजिया परवीन। रजिया परवीन पेशे से एडवोकेट हैं। उनका कहना है कि उन्होंने वकालत की पढ़ाई के बाद ही लोगों को उनके अधिकारों, सरकारी योजनाओं और महिलाओं को शिक्षा, स्वावलंबी बनाने को लेकर जागरूक करने की ठानी है।

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जरूरतमंद महिलाओं को निश्शुल्क देती हैं कानूनी सहायता एडवोकेट रजिया परवीन महिलाओं को कानूनी रूप से सशक्त बनाने को लेकर लगातार कार्य कर रही हैं। वह किसी संस्था या संगठन से जुड़कर नहीं बल्कि अकेले ही इस पहल को आगे बढ़ा रही हैं। एडवोकेट रजिया परवीन जररूतमंद महिलाओं को निशुल्क कानूनी सहायता देती हैं। उन्होंने बताया कि वह 10 से अधिक महिलाओं को रोजगार दिलाकर स्वावलंबी बना चुकी हैं। जिन जरूरतमंद महिलाओं का शोषण हुआ है या आर्थिक स्थिति बेहतर नहीं होने के कारण उन्हें न्याय नहीं मिल पाया है, वह पिछले 10 वर्षों से ऐसी महिलाओं को निश्शुल्क कानूनी सहायता प्रदान करती आ रही हैं। महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करती हैं और विभिन्न सरकारी योजनाओं के बारे में बताती हैं। रजिया परवीन का कहना है कि कमजोर तबके की महिलाएं कम पढ़ी-लिखी होती हैं या जिन्हें सरकारी योजनाओं की जानकारी नहीं होती है, वह इन योजनाओं का लाभ नहीं ले पाती हैं। ऐसे में इन महिलाओं को जागरूक करने की जरूरत है।

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महिलाओं का पढ़ा-लिखा होना है जरूरी रजिया परवीन का कहना है कि वर्तमान में महिलाओं पर अत्याचार बढ़ रहे हैं। अधिकतर महिलाएं ऐसी हैं, जिनका कामकाज की जगहों पर शोषण होता है। वह महिलाएं शोषण के विरुद्ध आवाज उठाने की बजाय समाज के डर से चुप रहती हैं। वे अपने अधिकारों से वंचित हैं। महिलाओं की सुरक्षा के लिए बने एक्ट व कानूनों की जानकारी उन्हें नहीं हैं। महिलाओं को अब आत्मनिर्भर व शिक्षित होने की जरूरत है। ऐसे में वह महिलाओं को कानूनी संबंधी जानकारी देती हैं और उन्हें लैंगिक समानता के लिए जागरूक करती हैं। मुस्लिम व कामकाजी महिलाओं को उनकी सुरक्षा संबंधी जानकारी देती हैं। छोटी बच्चियों को पढ़ाई के लिए प्रेरित करती हैं। स्लम बस्तियों के अभिभावकों को बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाने के लिए प्रेरित करती हैं और उनकी आर्थिक मदद भी करती हैं। उनका कहना है कि महिलाएं न केवल आत्मनिर्भर बनें बल्कि शारीरिक रूप से भी सक्षम हों ताकि अपनी सुरक्षा स्वयं कर सकें।

उन्होंने बताया कि हर शनिवार व रविवार छुट्टी के दिन बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने का पूरा प्रयास रहता है। वह अपने घर पर ही जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाती हैं। जब उन्होंने बच्चों को पढ़ाने की पहल की तो एक-दो बच्चे ही आते थे लेकिन धीरे-धीरे इन बच्चों की संख्या बढ़ रही है। उन्होंने अपने घर के पास रहने वाले जरूरतमंद लोगों से बातचीत की और उनके बच्चों को अपने घर पर बुलाकर पढ़ाना शुरू कर दिया ताकि वह बेहतर इंसान बन सकें।


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