Women's Day 2021: कोरोना संक्रमण के दौर में डॉ. काजल के हौसले से चित हुईं चुनौतियां
Womens Day 2021 डॉ. काजल कुमुद ने बताया कि कई बार घर के बाहर होटल में रहना पड़ता था। जब घर जाती थी तो आठ वर्षीय बेटे से दूर रहती थी। कई माह तक बेटे को पास नहीं आने दिया।
अनिल भारद्वाज, गुरुग्राम। Women's Day 2021 डॉक्टर को ऐसे ही धरती का भगवान नहीं कहा जाता, बल्कि उन्होंने कई मौकों पर ऐसा करके दिखाया है। कोरोना संक्रमण के दौर में भी डॉक्टरों ने भगवान वाले उपमा को साबित किया है। कोरोनाकाल में जब हर कोई एक दूसरे से दूर भाग रहा था, तब स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर व अन्य स्टाफ संक्रमितों के इलाज में जुटे थे। ऐसे ही डॉक्टरों में शुमार हैं स्वास्थ्य विभाग की वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. काजल कुमुद, जिन्होंने कोरोना के शुरुआती दौर में मरीजों के उपचार के लिए अपने परिवार वालों से भी दूरी बना ली थी।
कोरोना वायरस ने जब पांव पसारना शुरू किया तो लोग डर गए। विज्ञानियों के हवाले से इस वायरस के बारे में नई-नई जानकारियां सामने आती थीं। इसके साथ ही सामाजिक परिस्थितियों में भी बदलाव होने लगता था। संक्रमण को रोकने के लिए शारीरिक दूरी बनाए रखने की अपील की गई, लेकिन इसका असर दिल-दिमाग पर ज्यादा हुआ। जो लोग सोसायटी में हर रोज एक दूसरे से हंसकर मिलते थे, वही नजरें चुराने लगे। हर कोई डरा हुआ था। डर था कि कहीं कोरोना वायरस उन्हें न जकड़ ले, सोसायटी में न फैल जाए।
डॉ. काजल कहती हैं, ‘लोगों का डर जायज था, लेकिन हमारे पास मरीजों के इलाज की जिम्मेदारी थी। हम इस जिम्मेदारी को सबसे अहम मानते हैं। लॉकडाउन में हमें ज्यादातर समय घर से बाहर रहना पड़ा। जब भी घर जाते थे तो जांच कराकर जाते थे, ताकि परिवार वाले कोरोना वायरस से बचे रहें। जब निजी सुरक्षा उपकरण (पीपीई) किट पहनकर आइसोलेशन सेंटर में जाते थे तो डर लगता था, लेकिन मरीजों से मिलने के बाद डर खत्म हो जाता था। जब हम कोरोना मरीजों के वार्ड में जाते थे तो सभी तालियां बजाकर हमारा स्वागत करते थे। उस समय गर्व महसूस होता था। सारा तनाव दूर हो जाता था। लोगों की सेवा की प्रेरणा मिलती थी।’
डॉ. काजल कुमुद ने बताया कि कई बार घर के बाहर होटल में रहना पड़ता था। जब घर जाती थी तो आठ वर्षीय बेटे से दूर रहती थी। कई माह तक बेटे को पास नहीं आने दिया। परिवार और समाज के हित में कोरोना से बचाव के उपायों को अपनाना बेहद आवश्यक है।