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अरावली की प्यासी धरती के लिए बनाए तालाब

फरीदाबाद-गुरुग्राम समेत दिल्ली को शुद्ध आक्सीजन देने वाली अरावली पर्वतमाला में बरसाती पानी संजोने जलस्तर बढ़ाने और हजारों जीव-जंतुओं की प्यास बुझाने के उद्देश्य से युवाओं की टोली आगे आई है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 24 Feb 2021 07:27 PM (IST)Updated: Wed, 24 Feb 2021 07:27 PM (IST)
अरावली की प्यासी धरती के लिए बनाए तालाब
अरावली की प्यासी धरती के लिए बनाए तालाब

प्रवीन कौशिक, फरीदाबाद

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फरीदाबाद-गुरुग्राम समेत दिल्ली को शुद्ध आक्सीजन देने वाली अरावली पर्वतमाला में बरसाती पानी संजोने, जलस्तर बढ़ाने और हजारों जीव-जंतुओं की प्यास बुझाने के उद्देश्य से युवाओं की टोली आगे आई है। इनका जज्बा देखिये कि बिना शासन-प्रशासन की मदद लिए पहाड़ में 10 तालाब की खोदाई कर डाली। हालांकि खोदाई के लिए वन विभाग से अनुमति ली है। आज सभी तालाब पानी से लबालब हैं। कुछ में बरसाती पानी है तो कुछ को युवा टैंकर मंगाकर भरते हैं। इस साल तीन और तालाब खोदने की योजना है। कोशिश है कि अरावली व इसकी तलहटी में बसे हुए गांव में अगले कुछ सालों में सैकड़ों तालाब पानी से लबालब दिखाई दें। चंदा जुटाकर जुटते हैं काम में

सेव अरावली के बैनर तले युवाओं की टोली करीब एक दशक से पर्यावरण संरक्षण में जुटी है। अब हर काम के लिए पैसे की जरूरत होती है तो भी युवा इसके लिए भी पीछे नहीं हटते। जब भी पैसे की जरूरत होती है तो सेव अरावली के वाट्सएप ग्रुप पर केवल एक संदेश डाल दिया जाता है और फिर शुरू हो जाता है 100 से लेकर 500 रुपये तक सहयोग देने का सिलसिला। मिनटों में आनलाइन पैसे ट्रांसफर भी हो जाते हैं। इसके बाद काम को अंजाम दिया जाता है। जल है तो कल है

सेव अरावली के संस्थापक जितेंद्र भडाना और कैलाश बिधुड़ी बताते हैं कि जल है तो कल है। बस यही बात सभी को समझनी होगी। अरावली और तलहटी में बसे हुए गांव में जलस्तर बरकरार रहने का सबसे बड़ा जरिया बड़खल झील सूख चुकी है। यही कारण है कि 250 से 350 फुट नीचे तक जलस्तर पहुंच रहा है। दूसरा अरावली में हजारों जीव-जंतु पानी की तलाश में रिहायशी क्षेत्रों की ओर बढ़ते हैं। कई बार सड़क हादसे में जान जा चुकी हैं। इसके अलावा हर बार पहाड़ में बारिश का पानी व्यर्थ बह जाता है। इस पानी को संजोने के लिए पहाड़ के निचले इलाकों में तालाब बनाए गए हैं, ताकि यहां पानी सुरक्षित रह सके।

कुछ एक तालाब ऐसे हैं जहां हर महीने टैंकरों से पानी भरा जाता है। बिधुड़ी के अनुसार अनंगपुर और अनखीर के पहाड़ में 4-4, पाली में दो तालाब पानी से लबालब हैं। जबकि बंधवाड़ी, अनखीर और भांखरी-बड़खल में एक-एक तालाब की खोदाई की जानी है। अनखीर गांव में एक और तालाब कब्जामुक्त कराकर इसकी भी खोदाई की जाएगी। एक तालाब की खोदाई में 30 से 35 हजार रुपये खर्चा आता है। बिधुड़ी बताते हैं कि उनकी टीम में संजय राव बागुल, विकास थरेजा, मीनाक्षी शर्मा, जितेंद्र, रमेश अग्रवाल, शुचिता खन्ना सहित अन्य काफी सदस्य पर्यावरण संरक्षण में जुटे हैं और उनका यह प्रयास जारी रहेगा।


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