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क्यूआर कोड से मिलेगी पौधे व उनके गुणों की जानकारी

जिले के बजघेड़ा स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय प्रदेश का पहला ऐसा विद्यालय बनेगा जहां पर पेड़ों को क्यूआर कोड दिया जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Feb 2020 07:08 PM (IST)Updated: Tue, 18 Feb 2020 07:08 PM (IST)
क्यूआर कोड से मिलेगी पौधे व उनके गुणों की जानकारी
क्यूआर कोड से मिलेगी पौधे व उनके गुणों की जानकारी

सोनिया, गुरुग्राम

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आजकल विद्यार्थियों समेत बड़े लोगों को सभी पेड़-पौधों के बारे में सही जानकारी नहीं होती है और न ही पेड़ों के नामों का पता होता है। ऐसे में लोग बगीचों में घूमते समय एक-दूसरे से पेड़ के बारे में पूछते हैं या फिर इंटरनेट का सहारा लेते हैं। लोगों को पेड़-पौधों की सही जानकारी मिले इसके लिए जिले के बजघेड़ा स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के छात्र हिमांशु ने पेड़ों को क्यूआर (क्विक रिस्पांस) कोड दिया है।

पेड़-पौधों के नाम, वैज्ञानिक नाम, औषधीय गुण, लाभ-हानि, बीमारियों में महत्व, जलवायु, उगाने की विधि, फूल व पत्तियां, जड़ का महत्व समेत सभी प्रकार की जानकारियां क्यूआर कोड की मदद से हासिल कर सकेंगे।

विद्यालय के मौलिक मुख्याध्यापक मनोज कुमार लाकड़ा ने बताया कि यह प्रदेश का पहला ऐसा विद्यालय बनेगा जहां पर पेड़ों को क्यूआर कोड दिया जा रहा है। स्कूल के छात्र हिमांशु व सोनू ने एक ऐसी आवर्त सारणी बनाई है, जिसके जरिए उन्होंने पेड़ों को क्यूआर कोड दिया है। हिमांशु कक्षा ग्यारह के छात्र हैं। इससे पहले भी उन्होंने कक्षा एक से बारह तक की पुस्तकों को क्यूआर कोड दिया था। ऐसे मिली प्रेरणा: छात्र हिमांशु के मार्गदर्शक शिक्षक मनोज कुमार लाकड़ा ने बताया कि दैनिक जीवन का सबसे बड़ा हिस्सा मोबाइल फोन बन चुके हैं। मोबाइल के बढ़ते प्रयोग से बच्चे भी अपना अधिकतर समय मोबाइल के साथ ही बिताते हैं। ऐसे में यदि मोबाइल में ही पेड़ों की जानकारी भी उपलब्ध हो जाए तो बच्चे आसानी से इनके लाभों और अन्य जानकारियों को हासिल कर सकते हैं।

पेड़ों को क्यूआर कोड देने का विचार हिमांशु के दिमाग में दिल्ली के लोधी गार्डन से आया है। यहां पर पेड़ों को क्यूआर कोड दिया गया है। हिमांशु ने सोचा कि यदि स्कूल के पेड़ों को भी क्यूआर कोड दिया जाएगा तो विद्यार्थियों को इनके संबंद्ध में जानकारी सरलता से मिल पाएगी। इसी से प्रेरित होकर मनोज लाकड़ा के मार्गदर्शन में हिमांशु ने पेड़ों को क्यूआर कोड से जोड़ दिया है। क्यूआर कोड एक पौधे की सभी जानकारी को संग्रहित किए हुए है, जो घरेलू नाम और वैज्ञानिक नाम के साथ-साथ अन्य जानकारी जैसे पेड़- पौधे की उत्पत्ति कहां से हुई, पेड़ की देखभाल कैसे की जाए, बीमारियों में उपयोग, धार्मिक महत्व, वातावरण इत्यादि की जानकारी मिलती है। विद्यार्थी आसानी से क्यूआर कोड को स्कैन कर सकते हैं और फिर अपने फोन पर जानकारी को स्टोर भी कर सकते हैं । 32 पेड़ों को दिए हैं क्यूआर कोड: शिक्षक मनोज लाकड़ा ने बताया कि जिस प्रकार पेटीएम के जरिए कैशलेस पद्धति की मदद से आप आसानी से शॉपिग कर सकते हैं, बस पेटीएम एप का होना आवश्यक है। ठीक उसी प्रकार मोबाइल में क्यूआर कोड स्कैन कर अब आसानी से पेड़ों की जानकारी मिल पाएगी। स्कूल की प्राचार्य अंजू कपूर ने बताया कि अभी तक स्कूल के 32 पेड़ों को क्यूआर कोड दिया जा चुका है। जल्द ही बाकी के पेड़ों को दे दिया जाएगा। इको क्लब के इंचार्ज सुशील शंकर ने बताया कि ये विद्यार्थी इन क्यूआर कोड से जानकारी लेकर प्रस्ताव लेखन, पोस्टर मेकिग, इत्यादि गतिविधियों में रुचि ले रहे हैं।

क्या है क्यूआर कोड प्रणाली: यह कोड क्विक रिस्पांस कोड का संक्षिप्त रूप है। इसका प्रयोग सबसे पहले जापान ने किया था। इसमें काले और सफेद रंग के वर्ग का प्रयोग कर इंर्फोमेशन टेक्नोलॉजी को बढ़ावा दिया था।


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