क्राइम फाइल: आदित्य राज
कोई भी कार्य किसी के लिए वरदान तो किसी के लिए परेशानी का कारण बन जाता है। इन दिनों जिला अदालत परिसर में कुछ ऐसा ही दिख रहा है।
मध्यस्थता से परेशान अधिवक्ता
कोई भी कार्य किसी के लिए वरदान, तो किसी के लिए परेशानी का कारण बन जाता है। इन दिनों जिला अदालत परिसर में कुछ ऐसा ही दिख रहा है। जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण की सक्रियता ने कुछ अधिवक्ताओं को परेशान कर दिया है। प्राधिकरण की ओर से आयोजित मध्यस्थता एवं लोक अदालत ने अधिवक्ताओं के चैंबर के सामने की भीड़ कम कर दी है। अधिकतर मामलों का निपटारा लोक अदालत के सामने हो जाता है। यही नहीं, सिविल के मामलों का निपटारा मध्यस्थता के जरिए हो जाता है। वहां पर अधिवक्ताओं को फीस भी नहीं देनी पड़ती है। बिना खर्च किए ही विवादों का निपटारा हो जाता है। मध्यस्थता कराने वाले अधिवक्ताओं को फीस सरकार देती है। वरिष्ठ अधिवक्ता हरकेश शर्मा कहते हैं कि लोक अदालत एवं मध्यस्थता से आम लोगों को तो सही मायने में राहत मिल रही है, लेकिन धीरे-धीरे उन लोगों का काम कम हो रहा है।
पुलिस कस्टडी में कराया एग्रीमेंट
कई बार पुलिस को पता नहीं होता कि वह सही कर रही है या फिर गलत। जब मामला फंसता है, तो उसे लगता है गलत कर दिया। सेक्टर-48 की जिस सोसायटी में कारोबारी अमित गर्ग रहते हैं, उस सोसायटी का बिल्डर अवैध रूप से निर्माण करना चाहता था। इस पर गर्ग ने विरोध जताया, तो बिल्डर ने चोरी का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज करा दिया। जिस जगह पर चोरी किए जाने का आरोप लगाया, वहां पर कुछ है ही नहीं। यही नहीं, बिल्डर ने उनसे उनका पेंट हाउस खरीदने का ही प्लान बना लिया। अमित गर्ग कहते हैं कि बिना उनकी बात सुने पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। थाने में ही पेंट हाउस बेचने को लेकर बिल्डर ने एग्रीमेंट पर साइन करवाया। मामले को लेकर वह मुख्यमंत्री तक से मिल चुके हैं, लेकिन समाधान नहीं हुआ, जबकि सभी मानते हैं कि कस्टडी में कराया गया एग्रीमेंट गलत है। बात करके सुलझा दिया तलाक का मामला
यदि सच्चे मन से सही दिशा में प्रयास किया जाए, तो सफलता तय है। कुछ दिनों पहले दो युवा दंपती जिला अदालत परिसर में पहुंचे। गेट में घुसते ही उन्हें जिला बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष सतबीर सिंह तंवर दिख गए। दोनों सीधे उनके पास पहुंचे और कहा कि उन्हें तलाक लेना है। तंवर साहब ने दोनों को पहले पानी पिलाया। फिर पूछा कि शादी कब हुई है। दोनों एक साथ बोल पड़े, कुछ ही महीने पहले। फिर ऐसी क्या बात हुई कि तलाक लेने के लिए पहुंच गए। महिला रोती हुई बोली कि सुबह एक बात पर विवाद हो गया। इस पर उसके पति ने थप्पड़ जड़ दिया। अब हम दोनों को साथ नहीं रहना है, इसलिए तलाक चाहिए। तंवर साहब ने कहा कि पति-पत्नी का संबंध इतना कमजोर होता है कि एक छोटी-सी बात पर तलाक लेने पहुंच गए। इतना सुनते ही दोनों उनके पैरों में गिर गए।
अधिवक्ता का चैंबर बना आरामगृह
जिला अदालत परिसर में एक चैंबर को लेकर इन दिनों खूब चर्चा हो रही है। चैंबर अदालत परिसर में झंडा चौक के निकट है। इस वजह से यहां तक पहुंचना किसी के लिए भी आसान है। जिसे कहीं बैठने की जगह नहीं मिलती है, तो वह इस चैंबर में आकर बैठ जाता है। पीने का पानी कई ग्लास में भरा रहता है। उसे पीने की कोई मनाही नहीं। दरअसल, यह चैंबर एडवोकेट रविद्र जैन एवं हरियाणा महिला आयोग की पूर्व उपाध्यक्ष सुमन दहिया का है। इनमें दोनों अपने पेश के साथ ही सामाजिक एवं राजनीतिक क्षेत्र में भी सक्रिय हैं। इस वजह से उनका चैंबर सार्वजनिक स्थान की तरह आम जनों के लिए खुला रहता है। वैसे इसी चैंबर में एडवोकेट अजय गुलिया भी बैठते हैं, लेकिन उन्हें भी किसी के आने-जाने से कोई एतराज नहीं। काफी लोगों को पता चल चुका है कि चैंबर में पानी की व्यवस्था है।