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कॉमर्शियल प्रोजेक्ट का नहीं कराया पंजीकरण, हरेरा ने लगाया जुर्माना

हरेरा गुरुग्राम बेंच ने मंगलवार को ओरिस इंफ्रास्ट्रक्चर एंड प्राइवेट लिमिटेड पर 30.48 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 21 Jan 2020 06:58 PM (IST)Updated: Wed, 22 Jan 2020 06:17 AM (IST)
कॉमर्शियल प्रोजेक्ट का नहीं कराया पंजीकरण, हरेरा ने लगाया जुर्माना
कॉमर्शियल प्रोजेक्ट का नहीं कराया पंजीकरण, हरेरा ने लगाया जुर्माना

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम : हरियाणा भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (हरेरा), गुरुग्राम बेंच ने मंगलवार को ओरिस इंफ्रास्ट्रक्चर एंड प्राइवेट लिमिटेड पर 30.48 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। इस रियल एस्टेट कंपनी पर यह जुर्माना इसलिए लगाया गया है कि उसने अपने एक कामर्शियल प्रोजेक्ट का प्राधिकरण में पंजीकरण नहीं कराया था। इस मामले का हरेरा गुरुग्राम ने स्वत: संज्ञान लिया था। हरेरा चेयरमैन डॉ. केके खंडेलवाल की अध्यक्षता वाली पीठ ने सदस्य समीर कुमार और सुभाष चंद्र कुश भी मौजूदगी में जुर्माने का यह आदेश सुनाया।

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हरेरा नियमों के अनुसार जिन परियोजनाओं का कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी नहीं किया गया हो तो उनका रेरा के प्रभावी होने के तीन माह के भीतर प्राधिकरण में पंजीकरण कराना जरूरी होता है। बिल्डर की जिस कामर्शियल परियोजना को लेकर पंजीकरण नहीं कराया गया है वह गुरुग्राम के सेक्टर-82 में 9.5 एकड़ क्षेत्र में है। डेवलपर को इस परियोजना का लाइसेंस 2008 में दिया गया था।

11 साल बीतने के बाद भी साइट पर कोई निर्माण कार्य नहीं शुरू किया है। जबकि प्रमोटरों द्वारा यूनिटों एवं प्लॉटों को बेच दिया गया है। जब यह मामला प्राधिकरण के संज्ञान में आया तो उस पर जुर्माना लगाने की यह कार्रवाई अमल में लाई गई। इस परियोजना के विषय में हरेरा द्वारा जब जांच की गई तो पता चला कि आवंटियों के साथ बिल्डर ने बड़ा धोखा किया है। हरेरा ने यह स्पष्ट कर दिया है कि गलत तरीके से निर्माण करने वाले बिल्डरों को किसी भी कीमत पर सहन नहीं किया जाएगा। उन पर हरेरा नियमों के तहत कठोर से कठोर कार्रवाई की जाएगी।

केके खंडेलवाल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि गलत तरीके से निर्माण करने वाले बिल्डरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का यह सिलसिला जारी रहेगा। ओरिस इंफ्रास्ट्रक्चर के सेक्टर-82 स्थित इस कामर्शियल परियोजना की अनुमानित लागत लगभग 300.48 करोड़ रुपये है। प्राधिकरण ने परियोजना की लागत का अधिकतम 10 फीसद यानी 30.48 का जुर्माना बिल्डर पर लगाने का आदेश दिया है। इस प्रकार की कार्रवाई से गलती करने वाले बिल्डरों तक यह संदेश जाएगा कि यदि वह अनियमित तरीके से काम करेंगे तो उन पर कठोर कार्रवाई होगी। वहीं इससे आवंटियों का विश्वास भी बढ़ेगा।


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