अगले माह होगी अवैध मोबाइल टावर मामले की सुनवाई
साइबर सिटी में अवैध रूप से लगे मोबाइल टावरों से नगर निगम को राजस्व का नुकसान हो रहा है। नियम कायदों को ताक पर रखकर खड़े किए गए इन मोबाइल टावरों में सुरक्षा मानकों का भी पालन नहीं किया गया है।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: साइबर सिटी में अवैध रूप से लगे मोबाइल टावरों से नगर निगम को राजस्व का नुकसान हो रहा है। नियम कायदों को ताक पर रखकर खड़े किए गए इन मोबाइल टावरों में सुरक्षा मानकों का भी पालन नहीं किया है। कई रिहायशी इलाकों में लगे अवैध मोबाइल टावरों के बेस यानी ढांचे की जांच भी नहीं की गई है। ऐसे में कमजोर बेस होने से कभी भी टावर गिरने से हादसा हो सकता है। नगर निगम की ओर से भी मोबाइल नेटवर्क कंपनियों के खिलाफ अभी तक कोई सख्त एक्शन नहीं लिया गया है।
अवैध मोबाइल टावरों से संबंधित एक केस की सुनवाई अब 15 अक्टूबर को लोकायुक्त के सामने होगी। नगर निगम के डीटीपी धर्मपाल के मुताबिक लोकायुक्त में नगर निगम ने अपना जवाब दाखिल कर दिया है और जैसे आदेश होंगे उनकी पालना की जाएगी। टावर के लिए लेना होता है लाइसेंस
नियमानुसार मोबाइल टावर लगाने के लिए लाइसेंस लेना होता है। लाइसेंस के लिए निर्धारित फीस जमा कराने के बाद टावर लगाने की अनुमति मिलती है। शहरी स्थानीय निकाय निदेशालय ने तीन अक्टूबर 2013 को मोबाइल टावरों की अनुमति लेने के लिए नोटिफिकेशन जारी किया था। नोटिफिकेशन में अनुमति लेने के लिए 90 दिनों की समय-सीमा तय की गई थी। बिना अनुमति चल रहे टावरों को हटवाने की जिम्मेदारी भी नगर निगम की है, लेकिन नोटिफिकेशन जारी होने के करीब छह साल बीतने के बावजूद अवैध मोबाइल टावरों को हटाया नहीं गया है।