रिश्वत लेने के मामले में बिजलीकर्मी को छह साल की सजा
भ्रष्टाचार के एक मामले की सुनवाई करते हुए अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अश्विनी कुमार मेहता की अदालत ने सोमवार को सजा सुना दी।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: भ्रष्टाचार के एक मामले की सुनवाई करते हुए अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अश्विनी कुमार मेहता की अदालत ने सोमवार को सजा सुना दी। आरोपित को पुख्ता सबूतों व गवाहों के आधार दोषी करार देते हुए 6 साल की कैद व 20 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माना राशि भुगतान न करने पर दोषी को 6 माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
16 मार्च 2017 को गांव सिरहौल के जगमोहन ने राज्य चौकसी ब्यूरो थाने में शिकायत दी थी कि उसका बिजली का मीटर जल गया था, जिसकी शिकायत उसने बिजली निगम को की थी कि उनका नया मीटर लगाया जाए। मगर मीटर नहीं लगाया गया। बिजली निगम के जेई व अन्य कर्मचारियों से वे मिले, फिर उनकी बात सेक्टर 18 स्थित बिजली निगम के कार्यालय में कार्यरत सीए राजपाल से हुई। उसने मीटर लगाने के लिए 20 हजार रुपये रिश्वत की मांग की, जिस पर उसने 2 हजार रुपये राजपाल को दे दिए और उसने मीटर लगवा भी दिया, लेकिन अब राजपाल बाकी के 18 हजार रुपये के लिए बार-बार फोन कर कह रहा था। नहीं देने पर मीटर उतार लेने की धमकी भी दे रहा था। शिकायत के बाद राज्य चौकसी ब्यूरो गुरुग्राम के आइजी ने छापामार टीम का गठन किया। उपायुक्त को जानकारी दी गई तो उन्होंने तत्कालीन डीडीपीओ को ड्यूटी मजिस्ट्रेट नियुक्त कर दिया था। छापामार टीम ने शिकायतकर्ता को 2-2 हजार रुपये के 9 नोट केमिकल लगाकर दिए गए। बिजली निगम के कार्यालय पहुंचकर शिकायतकर्ता ने रिश्वत की रकम राजपाल को दे दी। छापामार टीम ने तुरंत कार्रवाई करते हुए राजपाल से रिश्वत के 18 हजार रुपये बरामद भी कर लिए थे।