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सहेज लो हर बूंद: सरकारी महकमों की लापरवाही से गायब हो रहे तालाब

सरकारी महकमों की लापरवाही के चलते शहर व आसपास के क्षेत्र में तालाबों का वजूद खत्म होता जा रहा है। हालात ये है कि शहर व आसपास के क्षेत्र में सिर्फ 20 तालाब ही बचे हुए हैं और इनका भी संरक्षण नहीं होने के कारण तालाब बदहाल हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 05 Jul 2019 06:00 PM (IST)Updated: Fri, 05 Jul 2019 06:00 PM (IST)
सहेज लो हर बूंद: सरकारी महकमों की लापरवाही से गायब हो रहे तालाब
सहेज लो हर बूंद: सरकारी महकमों की लापरवाही से गायब हो रहे तालाब

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: सरकारी महकमों की लापरवाही के चलते शहर व आसपास के क्षेत्र में तालाबों का वजूद खत्म होता जा रहा है। हालात ये हैं कि शहर व आसपास के क्षेत्र में सिर्फ 20 तालाब ही बचे हैं और इनका भी संरक्षण नहीं होने के कारण ये बदहाल हैं। नगर निगम और जीएमडीए व पंचायतों ने तालाबों की सुध नहीं ली, जिसके कारण अतिक्रमण हो गया है। काफी जगहों के तालाबों पर पार्क, कम्युनिटी सेंटर, स्कूल सहित प्राइवेट बिल्डिंग भी बन गई है। तालाबों के सूखने के कारण और अंधाधुंध भूजल दोहन के कारण भूजल स्तर तेजी से गिर रहा है। आगामी कुछ सालों बाद गुरुग्राम में पीने का पानी भी नहीं बचेगा। पर्यावरण संतुलन और भूजल को रिचार्ज करने के लिए तालाबों का जीर्णोंद्धार जरूरी है। जिले में कुल 123 तालाब हैं, लेकिन इनको संरक्षित करने की शुरुआत अभी तक नहीं की गई है। आओ गढ़ें तालाब

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नगर निगम की 143 एकड़ सरकारी जमीन पर लोगों का कब्जा है। नगर निगम ने कब्जा हटाने की कार्रवाई शुरू नहीं की है। तालाब खोदने के लिए दो से ढाई एकड़ जमीन पर्याप्त होती है। अगर सरकारी भूमि से कब्जा हटाकर इस पर दो से तीन जगह भी तालाब बना दिए जाएं तो इससे पर्यावरण संरक्षण में काफी मदद मिल सकती है। नए तालाब खोदे जाएंगे तो भूजल स्तर बढ़ जाएगा। आसपास के क्षेत्र में हरियाली को बढ़ाया जा सकता है। नए तालाबों को तैयार कर जल संरक्षण के साथ-साथ बरसात के समय होने वाले जलभराव से भी बचा जा सकता है। आओ भरें तालाब

गांव धनवापुर के तालाब में गंदा पानी भरा हुआ है। तालाब के किनारे कंटीली झाड़ियां उगी हुई है। तालाब की सफाई करने की जरूरत है। तालाब का गंदा पानी रिसकर जमीन में पहुंच रहा है, जिससे भूजल पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है। इस तालाब की सफाई कर इसके किनारे फुटपाथ का निर्माण होना चाहिए। इसके अलावा तालाब किनारे पौधरोपण होगा तो आसपास के लोग यहां पर टहल सकेंगे। गांव कादीपुर के तालाब का पानी भी साफ नहीं है। तालाब को पूरे साल साफ पानी से भरने के लिए इसमें बरसाती नालों का कनेक्शन करने की जरूरत है। तालाब किनारे पौधरोपण होगा तो हरियाली बढ़ेगी। कहां गए तालाब

नरसिंहपुर में तालाब की जमीन पर कम्युनिटी सेंटर बना हुआ है। सिही गांव में तालाब की जगह पर सिर्फ खाली जमीन है। सिही के ही एक अन्य तालाब की जगह पर खाली जमीन ही बची है। गाढ़ौली कलां और गाढ़ौली खुर्द गांव के दो तालाबों में गंदा पानी भरा हुआ है। गांव व आसपास के क्षेत्र की गंदगी तालाब में पहुंच रही है। तालाब की बदहाली को दूर करने के लिए अभी तक कोई प्रयास नहीं किए गए हैं। जिसके चलते गांव व आसपास के क्षेत्र के गांवों का भूजल स्तर लगातार गिरता जा रहा है। लोगों के साथ-साथ प्रशासन को भी चिता नहीं है। अभी तो पानी मिल रहा है। कुछ ही सालों में मौजूदा बोरिग भी फेल हो जाएंगी। क्योंकि भूजल स्तर बढ़ाने के लिए पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए हैं।


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