राजनीति में आगे रहने वाला बादशाहपुर विकास में पिछड़ा
बादशाहपुर आसपास के करीब दो दर्जन गांव का केंद्र है। प्रदेश की सबसे बड़ी व हॉट विधानसभा का मुख्यालय है। राजनीतिक मामलों में हमेशा महत्वपूर्ण माना जाने वाला बादशाहपुर विकास के मामले में बिल्कुल पिछड़ा है। लोग इसके लिए जनप्रतिनिधियों को दोषी मानते हैं।
महावीर यादव, बादशाहपुर
बादशाहपुर आसपास के करीब दो दर्जन गांवों का केंद्र है। प्रदेश की सबसे बड़ी विधानसभा सीट का मुख्यालय है। राजनीतिक मामलों में हमेशा महत्वपूर्ण माना जाने वाला बादशाहपुर विकास के मामले में बिल्कुल पिछड़ा है। लोग इसके लिए जनप्रतिनिधियों को दोषी मानते हैं। लोकसभा चुनाव सिर पर होने के दौरान दैनिक जागरण ने लोगों की नब्ज टटोली। ग्राउंड रिपोर्ट के तहत बादशाहपुर के विकास को लेकर लोगों से बातचीत की। अधिकतर लोगों का मानना है कि बादशाहपुर में विकास के नाम पर कुछ हुआ ही नहीं। किसी भी जनप्रतिनिधि ने यहां के विकास को लेकर कोई ध्यान ही नहीं दिया। चाहे लोकसभा का चुनाव हो, चाहे विधानसभा का चुनाव हो। नेता आते हैं। विकास का वादा करते हैं। पर जीतने के बाद कोई भी विकास की बात नहीं करता।
जिला मुख्यालय के साथ सटा बादशाहपुर अब गांव नहीं रहा। इसके चारों तरफ बड़ी-बड़ी सोसायटी व सेक्टर विकसित हो गए। इसके साथ ही बादशाहपुर का भी तेजी से विस्तार हुआ। गांव ने धीरे-धीरे कस्बे का रूप धारण कर लिया। बादशाहपुर को नगर निगम में शामिल करने के बाद 2011 में इसके विकास के लिए 38 करोड़ रुपये की डीपीआर तैयार की गई। कई सालों तक तो वह डीपीआर सांसद राव इंद्रजीत व तत्कालीन विधायक राव धर्मपाल में आपसी तालमेल न होने के कारण रिपोर्ट गुरुग्राम से चंडीगढ़ के बीच ही घूमती रही। 2013 में जैसे तैसे उसका पैसा पास होकर काम शुरू हुआ, जो आज छह साल बीतने के बाद भी पूरा नहीं हो पाया है।
बस अड्डे की सबसे पुरानी मांग
बादशाहपुर के आसपास करीब दो दर्जन गांव लगते हैं। इन गांवों के लोग बादशाहपुर से ही बस पकड़कर अपने कार्यों के लिए सफर करते हैं। 1997 में प्रदेश के तत्कालीन परिवहन मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर ने बादशाहपुर में बस अड्डा निर्माण का शिलान्यास भी किया। कुछ दिनों तक तो शिलान्यास का पत्थर भी लगा दिखा। पर धीरे-धीरे वो पत्थर भी गायब हो गया। 2000 में लोगों की मांग पर तत्कालीन ओम प्रकाश चौटाला सरकार ने फिर से बस अड्डा बनाने की बात की। उस समय बादशाहपुर में ग्राम पंचायत थी। ग्राम पंचायत ने बादशाहपुर मेन रोड पर पंचायती जमीन हरियाणा राज्य परिवहन निगम को प्रस्ताव पास करके दे दी। उसके बाद वह प्रस्ताव फाइलों में दबकर रह गया। नगर निगम में आने के बाद फिर से एक बार बस अड्डा बनाए जाने की चर्चा शुरू हुई। पर मसला वही ढाक के तीन पात वाला रहा। जहां बस अड्डा बनाया जाना था नगर निगम ने पिछले साल उस स्थान पर भवन तो बना दिया। पर उस भवन में अब बादशाहपुर की उप तहसील बना दी गई है।
- बादशाहपुर इतना बड़ा केंद्र है। यहां बस अड्डा तो होना ही चाहिए। पंचायत ने जमीन भी दे दी थी। जमीन मुहैया कराने के बाद भी बस अड्डा ना बनाया जाना बादशाहपुर के लोगों के साथ सरासर अन्याय है।
-दयानंद यादव बादशाहपुर हमेशा से राजनीति का केंद्र रहा है। यहां से जीतने वाला विधायक सरकार में अहम पदों पर रहा और विकास की तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया। तहसील के आसपास ही बस अड्डा बनाया जाना चाहिए। बड़ा ना हो तो कम से कम छोटा सा भवन बना दिया जाए ताकि लोगों को बरसात व धूप गर्मी में खड़े होने के लिए स्थान मिल जाए।
ओम प्रकाश यादव किसी भी राजनेता ने बादशाहपुर के विकास को कभी महत्व नहीं दिया। नेताओं ने हमेशा इस गांव से वोट बटोरे और अपना काम निकाला है। इतनी आबादी वाले गांव में बस अड्डा होना चाहिए। यहां से रोजाना हजारों लोग बस में सफर करते हैं। धूप गर्मी में लोग बस के इंतजार में इधर-उधर खड़े रहते हैं। जनप्रतिनिधियों को वोट के अलावा जनता की कोई समस्या दिखाई नहीं देती है
घनश्याम बादशाहपुर राजनीतिक महत्व का गांव है। प्रदेश की सबसे बड़ी विधान सभा का मुख्यालय बादशाहपुर है। विकास के नाम पर बादशाहपुर हमेशा पिछड़ा ही रहा। किसी भी जनप्रतिनिधि ने बादशाहपुर के विकास को तरजीह नहीं दी। पंचायत ने बस अड्डा निर्माण के लिए जगह दे दी थी। उसके बावजूद बस अड्डा न बनना जनप्रतिनिधियों की कमजोरी को दर्शाता है।
बेगराज यादव नेता चुनाव के समय आते हैं। लोगों से बड़े-बड़े वादे करते हैं। चुनाव जीतने के बाद कोई मुड़ कर नहीं देखता। बादशाहपुर में बस अड्डा की तो छोड़िए विकास के नाम पर कुछ भी नहीं है। प्राचीन बड़ा गांव होने के नाते इसमें कॉलेज व अस्पताल जैसी सारी सुविधाएं होनी चाहिए। बादशाहपुर में एक सार्वजनिक शौचालय तक नहीं है। बस अड्डा के लिए पंचायत ने रोडवेज विभाग को जमीन भी दे दी थी। उसकी सरकार में जनप्रतिनिधि ने पैरवी न करने के कारण मामला अटका रह गया। बादशाहपुर का मजबूत पैरोकार होता तो अब तक बस अड्डा बन चुका होता।
राजेश यादव, प्रदेश प्रवक्ता, कांग्रेस बादशाहपुर में जितना विकास होना चाहिए था। उतना विकास नहीं हो पाया। पिछले 5 सालों में भाजपा सरकार ने कुछ काम किए हैं। बस अड्डा बादशाहपुर की बेहद जरूरत है। इसके साथ ही बादशाहपुर में काफी सुविधाओं की जरूरत महसूस की जा रही है।
मुकेश जेलदार बस अड्डा बादशाहपुर की पुरानी मांग है। बस अड्डा बादशाहपुर में होना चाहिए। इसके लिए वे हस्ताक्षर अभियान चलाएंगे। चुनाव में वोट मांगने वाले नेताओं से पहले इसका जवाब मांगेंगे।
रोहताश सोनी 22 साल पहले बस अड्डा निर्माण का शिलान्यास किया गया था। परिवहन मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने शिलान्यास किया। उसके बाद बस अड्डा का काम सरकार की फाइलों में से निकल कर बाहर नहीं आया। बादशाहपुर अब कहने को ही गांव रह गया है। लगातार हो रहे विस्तार से बादशाहपुर अब कस्बा बन चुका है। प्रदेश का कोई ही ऐसा कस्बा होगा जिसमें बस अड्डा नहीं है। बादशाहपुर ही बस अड्डा जैसी सुविधा से वंचित है।
मुनेश त्यागी, नंबरदार