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पांच महीनों से नहीं हुई जिप की बैठक, विकास कार्यो पर नहीं बन पा रही सहमति

जागरण संवाददाता फतेहाबाद जिला परिषद की बैठक पिछले पांच महीने से नहीं हो रही है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 09 Feb 2020 10:26 PM (IST)Updated: Sun, 09 Feb 2020 10:26 PM (IST)
पांच महीनों से नहीं हुई जिप की बैठक, विकास कार्यो पर नहीं बन पा रही सहमति
पांच महीनों से नहीं हुई जिप की बैठक, विकास कार्यो पर नहीं बन पा रही सहमति

जागरण संवाददाता, फतेहाबाद :

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जिला परिषद की बैठक पिछले पांच महीने से नहीं हो रही है। बैठक इसलिए महत्वपूर्ण है कि इसमें विभिन्न विभागों के 30 अधिकारी आते हैं। ताकि पार्षद उनके अपने क्षेत्र की समस्या का समाधान करवा सकते है। अब तो मनरेगा, डीआरडीए, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के जैसे अनेक ग्रामीण विभाग जिला परिषद के अधीन है। ऐसे में जिला परिषद का कार्य बढ़ गया है। उसके बाद भी चेयरमैन जिला परिषद की बैठक को लेकर गंभीर नहीं है।

इससे पहले पार्षद राजेश कस्वां ने चेयरमैन बनने के लिए काफी मेहनत की। पार्षदों को एकजुट करते हुए गीता नांगली को चेयरपर्सन के पद से हटाया। इसके लिए लंबा विवाद भी चला। आखिरकार गत वर्ष जनवरी में चेयरपर्सन हटाने के बाद विधानसभा चुनावों से पहले सितंबर में राजेश कस्वां चेयरमैन बन गए। हालांकि चेयरमैनी मिलने के बाद राजेश कस्वां बैठक करवाने के लिए अधिकारियों को आदेश तक नहीं दे रहे। जबकि चेयरमैन ही सीईओ व संबंधित विभाग के अधिकारियों की बैठक लेते है।

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गत वर्ष पूरे वर्ष में एक ही हुई सामान्य बैठक :

प्रदेश सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं में चुनाव के लिए शैक्षणिक योग्यता निर्धारित की थी, उम्मीद थी कि पढ़े-लिखे लोग व्यवस्था बदलेंगे। लेकिन पिछले वर्ष सिर्फ एक बार सामान्य बैठक हुई। जिसमें मनरेगा सहित अन्य योजनाओं का बजट पास किया गया। इसके अलावा सिर्फ एक बैठक हुई थी। जो चुनाव को लेकर थी। जिसमें राजेश कस्वां को चेयरमैन बने।

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चेयरमैन के आदेश के बाद होती है बैठक आयोजित :

जिला परिषद की बैठक को चेयरमैन के निर्देश पर ही आयोजित होती है। इसके बाद जिला परिषद के सीईओ संबंधित विभाग के अधिकारियों व पार्षदों को पत्र जारी करते है। बैठक में रखे जाने वाले एजेंडा भी चेयरमैन तय करते है। हद तो यह है कि चेयरमैन बनने के बाद राजेश कस्वां ने जिला परिषद की बैठक बुलाने के लिए अधिकारियों को निर्देश तक जारी नहीं किए। इसके चलते पांच महीने से एक भी बैठक आयोजित नहीं हुई। जबकि पंचायत राज अधिनियम में प्रावधान है कि एक वर्ष में कम से कम छह बैठक आयोजित हो, यानी प्रत्येक दो महीने बाद एक बैठक जरूरी है।

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35 लाख खर्च नहीं कर पाए पार्षद, अब एक करोड़ की मांग :

गत वर्ष पार्षदों को 35 लाख रुपये अपने क्षेत्र में काम करवाने के लिए आवंटित हुए। वे रुपये भी पार्षद अपने क्षेत्र में काम न करवाते हुए खर्च नहीं पाए। इसकी वजह थी कि अधिकारियों के साथ पार्षदों का तालमेल सही नहीं बैठा। जिसके चलते उनके कार्यों के लिए बजट जारी नहीं हुआ। अब पार्षदों सहित प्रधान की मांग है कि सरकार प्रत्येक पार्षद को एक करोड़ रुपये थे, ताकि वे अपने क्षेत्र में विकास करवा सकते है।

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पहले जिला परिषद के सीईओ काम नहीं कर रहे थे। हम उनके तबादले की मांग की थी। सरकार ने उनका तबादला कर दिया। अब नए सीईओ सोमवार को ज्वाइनिग कर लेंगे। उसके बाद बैठक आयोजित करवाई जाएगी। पहले सीईओ काम नहीं कर रहे थे। ऐसे में पार्षदों को उनके नाराजगी थी। अब हमारी मांग है कि सरकार प्रत्येक पार्षद को अपने क्षेत्र में काम करवाने के लिए 1 करोड़ रुपये का बजट दे, ताकि काम करवाएं जा सके।

- राजेश कस्वां, चेयरमैन, जिला परिषद।


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