सरसों की फसल में बढ़ी सफेद रतुआ की बीमारी
जागरण संवाददाता फतेहाबाद एकदम मौसम में परिवर्तन आने से फसलों पर प्रतिकूल असर पड़ रह
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद :
एकदम मौसम में परिवर्तन आने से फसलों पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। पिछले एक सप्ताह में सरसों की फसल में अचानक सफेद रतुआ का प्रकोप बहुत अधिक बढ़ गया है। इससे किसान चितित हो गए हैं। किसानों का कहना है कि इससे उनकी फसल के उत्पादन पर असर पड़ेगा। वहीं कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि किसान इस बीमारी से ज्यादा न घबराए। दरअसल, जिले में 20 हजार हेक्टेयर में इस बार सरसों की खेती की गई है। ऐसे में जिले में गेहूं के बाद सरसों का सबसे अधिक रकबा है। किसानों की परेशानी को देखते हुए कृषि विभाग के साथ कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक भी सक्रिय हो गए है। वे गांवों में जाकर किसानों को जागरूक कर रहे है।
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सफेद रतुआ से प्रभावित तने को तोड़ कर मिट्टी में दबाएं :
कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सरसों की फसल मुख्य बीमारी तना गलन, सफेद रतुआ और अल्टरनेरिया ब्लाइट को खेतों में देखा गया। सफेद रतुआ बीमारी फलियों व तने पर अधिक आती है। इससे तना सिकुड़ जाता है। इससे फसल के उत्पादन पर ज्यादा असर नहीं पड़ता है।
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ये करें उपचार :
कृषि विभाग के अनुसार तना गलन बीमारी से बचाव के लिए अगले साल 2 ग्राम बाविस्ट्रीन प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें। यह फसल को 40 दिनों तक बीमारी के प्रकोप से बचाता है इसलिए 40-45 दिनों के बाद 100 ग्राम बाविस्ट्रीन दवा 100 लीटर पानी में मिलाकर पहला स्प्रे करें व दूसरा स्प्रे 65-70 दिनों के बाद करें जिससे की तना गलन बीमारी से बचा जा सकता है। सफेद रतुआ और अल्टरनेरियां ब्लाइट के आने पर खेत में मैनकोजैब दवाई 600 से 800 ग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से 200 लीटर पानी मिलाकर अवश्य स्प्रे करें व दूसरा स्प्रे 15 दिन के बाद करें।
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सरसों में आई सफेद रतुआ की बीमारी से किसान ज्यादा चितित न हो। इसके लिए जरूरी स्प्रे का छिड़काव करते हुए इस बीमारी पर काबू पाया जा सकता है। वहीं जिन टहनियों पर इस बीमारी का प्रकोप अधिक है। उन टहनियों का पहले तोड़कर मिट्टी में दबा दे।
- डा. भीम सिंह कुलड़िया, एसडीओ, कृषि विभाग।