खरपतवार की चपेट में गेहूं की फसल, किसान चितित
जागरण संवाददाता फतेहाबाद गेहूं की फसल में खरपतवार इतने अधिक हो गए कि कीटनाशक क
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद :
गेहूं की फसल में खरपतवार इतने अधिक हो गए कि कीटनाशक का प्रभाव इस पर नहीं हो रहा है। इसका मुख्य कारण मौसम साफ न रहना है। पिछले दिनों आसमान में बादल छाने के कारण समय पर धूप नहीं निकल पाई। यही कारण है कि कीटनाशक का प्रभाव बेअसर हो रहा है। आने वाले समय में खरपतवार पर अंकुश नहीं लगा तो गेहूं की पैदावार पर असर पड़ेगा। पिछले साल दिसंबर माह में धूप नहीं निकली। यहीं हाल जनवरी में रहा है। इस कारण गेहूं की फसल में खरपतवार भी बढ़ गया है।
गेहूं की बिजाई के बाद किसानों ने सिचाई कर दी है। ऐसे में पानी लगाने वाले खेत में खरपतवार भी पैदा होने शुरू हो गए है। नई किस्मों, खाद व पानी का प्रयोग करने से गेहूं की पैदावार प्रति एकड़ तो बड़ी है परंतु इसके साथ-साथ खरपतवारों की समस्या भी बढ़ गई है। धान-गेहूं फसल चक्र वाले इलाकों में गुल्ली-डंडा की एक बहुत बड़ी समस्या बन गया है। इन इलाकों में पोआ घास, जंगली पालक व मालवा की समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। जहां पर गेहूं की काश्त कपास, बाजरा, ग्वार व ज्वर के बाद की जाती है वहां पर जंगली जई, बथुआ, खडबाथू, गुल्ली डंडा, मेथा, गजरी, प्याजी व कंटीली पालक खरपतवार पाए जाते हैं। अगर गेहूं की फसल में खरपतवार नियंत्रण न किया जाए तो पैदावार में 30 प्रतिशत तक कमी आ सकती है।
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ये हैं मुख्य खरपतवार
- गुल्ली डंडा।
-जंगली जई।
- पोआ घास या घुई।
-चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार।
-बथुआ।
- जंगली पालक।
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ये हो सकता है नुकसान
गेहूं की फसल में खरपतवार पर अंकुश नहीं लगाया गया तो उत्पादन पर असर पड़ेगा। गेहूं की फसल में खरपतवार की रोकथाम दो तरीकों से की जाती है। निराई-गुड़ाई करके खरपतवारों को नष्ट करने का तरीका पुराना है। लेकिन आजकल मेहनत ज्यादा न लगे इसके लिए कीटनाशक का प्रयोग किया जाता है। बाजार में अनेक प्रकार के कीटनाशक की दवा है। लेकिन एक दवा जो आम चल रही है वो है अलग्रीप। इसका छिड़काव करने से लगभग सभी खरपतवार से मुक्ति पाई जा सकती है। इसका प्रयोग पहले पानी के बाद किया जाए तो यह कारगर साबित हो सकता है।
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पहले किसान फसल चक्र अपनाते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं करते है। खाद का प्रयोग अधिक होने के कारण ऐसी समस्या आ रही है। अगर कम खरपतवार है तो किसान इसे उखाड़ सकते है। अगर ज्यादा है तो कृषि विशेषज्ञों से बात कर कीटनाशक का प्रयोग करना चाहिए। इसकी मात्र कम ही रखनी चाहिए ताकि फसलों पर इसका प्रभाव ना पड़े।
:डा. बलवंत सहारण,
उपकृषि निदेशक, फतेहाबाद।